पीसीओएस और बांझपन का क्या है संबंध, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर

महिलाओं में बांझपन के कई कारण और कारक हो सकते हैं। इनमें जहां कुछ कारक अनहेल्दी लाइफस्टाइल से जुड़े हैं, तो वहीं, कुछ कारक अन्य शारीरिक स्थितियों पर भी निर्भर हो सकते हैं। इन्हीं एक कारक में पीसीओएस (PCOS) का नाम भी शामिल है। पीसीओएस क्या है, पीसीओएस और बांझपन का क्या संबंध है, इसके बारे में विस्तार से इस लेख में बताया गया है। 

साथ ही, पीसीओएस और महिलाओं में बांझपन से कैसे बचाव करना चाहिए, इस बारे में प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ, सेक्सोलॉजिस्ट और कॉस्मेटोलॉजिस्ट डॉ. ऋतु संतवानी की सलाह भी जानेंगे।



पीसीओएस और बांझपन के बीच क्या है संबंध? | PCOS and Infertility Relation in Hindi

पीसीओएस (PCOS) को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovarian syndrome) कहते है, जो कि महिलाओं में आमतौर पर होने वाला सबसे आम हॉर्मोनल विकार है। यह सीधे तौर पर महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने वाले हार्मोन से संबंधित है। यही वजह है कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में बांझपन का सबसे आम कारण भी माना जा सकता है। 

दरअसल, पीसीओएस के कारण ओवरी में हर महीने अंडे बनाने की क्षमता घटने लगती है। इसके बजाय अंडे छोटे-छोटे सिस्ट के रूप में जमने लगते हैं, जो सीधे तौर पर पीरियड्स में समस्‍या ला सकते हैं और इनफर्टिलिटी भी बढ़ा सकते हैं।

भारतीय महिलाओं में पीसीओएस के आंकड़ों बताते हैं कि लगभग 3.7 से 22.5 प्रतिशत महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या देखी जा सकती है। 

क्या महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होना गंभीर है? | Is PCOS Serious in Hindi?

प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ, सेक्सोलॉजिस्ट और कॉस्मेटोलॉजिस्ट डॉ. रितु संतवानी का कहना है कि पीसीओएस मुख्य तौर पर लाइफस्टाइल बेस्ड डिसऑर्डर है। यानी अगर एक बार लाइफस्टाइल में सुधार किया जाए, तो इस परेशानी के इलाज की संभावना भी बढ़ाई जा सकती है। लेकिन, अगर वहीं पीसीओएस होने पर भी इस समस्या के प्रति लापरवाही बरती जाए, तो यह समय के साथ गंभीर हो सकती है, जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। 

जैसा की पीसीओएस एक हार्मोनल विकार है। ऐसे में इस समस्या के होने पर अंडे अंडाशय यानी ओवरी (ovaries) में ही फंसे रह सकते हैं। इससे महिलाओं में ओव्यूलेशन की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है, उन्हें पीरियड्स की अनियमितता हो सकती है और अंड़ों के निषेचित होने की प्रक्रिया भी बाधित हो सकती है।

पीसीओएस के लक्षण | PCOS Symptoms

पीसीओएस के लक्षण हर महिलाओं में अलग-अलग हो सकते हैं, हालांकि अधिकांश महिलाओं में निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैंः

  • स्पॉटिंग होना
  • मुंहासे होना
  • अनियमित पीरियड्स 
  • पीरियड्स न होना
  • मूड स्विंग
  • वजन बढ़ना 
  • मोटापा
  • वजन घटना
  • बाल झड़ना
  • पेट में ऐंठन होना
  • गर्भावस्था में विफल होना
  • चेहरे व शरीर के हिस्‍सों पर बाल उगना 
  • गंभीर व क्रोनिक होने पर डायबिटीज और हृदय रोग का जोखिम भी हो सकता है।

पीसीओएस (PCOS) का इलाज? | Treatment of PCOS in Hindi

प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ, सेक्सोलॉजिस्ट और कॉस्मेटोलॉजिस्ट डॉ. रितु संतवानी की सलाह है कि पीसीओएस के इलाज के लिए सबसे जरूरी है लाइफस्‍टाइल को बेहतर बनाना। कुछ लड़कियां और महिलाएं ऐसा भी सोचती हैं कि उनसे पहले उनकी मां, दादी या नानी को भी पीसीओएस की समस्या थी, इसलिए उन्हें भी यह समस्या हुई है।

हालांकि, अगर लाइफस्‍टाइल को ठीक रखा जाए, जैसे दैनिक आहार में स्वस्थ आहार शामिल किया जाए, शारीरिक वजन को संतुलित बनाया जाए, तनाव के कारण कम किए जाए, तो महिला के शरीर में हुए हार्मोनल बदलाव को ठीक किया जा सकता है। इससे पीसीओएस के लक्षण कम हो सकते हैं और इस तरह इसका इलाज किया जा सकता है। 

इसके अलावा, अगर किसी महिला में पीसीओएस के गंभीर लक्षण है, तो स्वास्थ्य विशेषज्ञ लक्षणों व कारणों के आधार पर उचित इलाज की सलाह दे सकते हैं। 

उदाहरण के तौर परः

  • दिन में कम से कम 30 मिनट तक हल्के व धीमी गति वाले शारीरिक व्यायाम करना, जैसे - जुम्बा, कार्डियो, जॉगिंग।
  • संतुलित आहार लेना, जैसे- लो फैट डेयरी उत्पाद, साबुत अनाज, मौसमी सब्जियां और फल
  • धूम्रपान छोड़ना
  • कैफीन का सेवन सीमित करना
  • शराब के सेवन से बचना

क्या पीसीओएस के इलाज के लिए दवा का विकल्प है? | PCOS Medicine in Hindi

सीधे तौर पर पीसीओएस के इलाज के लिए दवाओं की खुराक नहीं दी जा सकती है। हालांकि, हार्मोनल असंतुलन के कारण शरीर में दिख रहे अन्य लक्षणों को कम करने के लिए, जैसे - अनचाहे बालों के ग्रोथ कम करने, बाल झड़ने, पेट दर्द व अन्य समस्याओं के लिए डॉक्टर उचित दवा की खुराक दे सकते हैं। 

इसके अलावा, कुछ गंभीर स्थितियों में डॉक्टर लेप्रोस्कोपी (Laparoscopy) की सिफारिश कर सकते हैं। यह एक तरह की सर्जरी है, जिसमें पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में गर्भधारण की संभावना बढ़ाने के लिए ओवेरियन ड्रिलिंग की जाती है। इससे हार्मोन का स्तर संतुलित किया जा सकता है और अंडाशय में अंडों के निर्माण की प्रक्रिया को ठीक किया जा सकता है। 

सारांश | Conclusion

पीसीओएस के लक्षणों को कम करना आसान हो सकता है। इसके लिए बस एक नियमित तौर पर फॉलो की जाने वाली हेल्दी डाइट, फीजिकल एक्टीविटीज और बेहतर लाइफस्टाइल की भूमिका का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि पीसीओएस महिलाओं में बांझपन का मुख्य कारण नहीं। इसके होने पर बांझपन का जोखिम बढ़ सकता है, जो कई अन्य अहम कारकों पर भी निर्भर कर सकते हैं। 

Pic Credit- Pexels

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