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विटामिन डी के फायदे, मुख्य स्रोत और नुकसान - All About Vitamin D in Hindi

विटामिन डी शरीर के लिए बेहद जरूरी है। अगर शरीर में विटामिन डी 3 की कमी हो जाए, तो शरीर के कई कार्य प्रभावित होते हैं। इसी वजह से विटामिन डी की कमी को अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्यों है विटामिन डी जरूरी यह हम आपको विटामिन डी के फायदे के माध्यम से बताएंगे। इसके अलावा भी कई अन्य जानकारी भी देंगे।

विटामिन डी के फायदे - Vitamin D Benefits In Hindi

विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग कई तरह के हैं। इसी वजह से विटामिन की कमी के लक्षण पता लगते ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हम यहां पहले विटामिन डी के फायदे बताएंगे, जिससे पता चलेगा कि विटामिन डी किस तरह की स्वास्थ्य स्थितियों में लाभकारी है। 

1. इम्यूनिटी के लिए

विटामिन डी में इम्यूनोमॉड्यूलेशन प्रभाव होता है, जो इम्यूनिटी में सुधार कर सकता है (1)। विटामिन डी का इम्यूनोमॉड्यूलेशन प्रभाव शरीर की आवश्यकता के अनुसार रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम या ज्यादा कर सकता है। 

यह शरीर के इम्यून सेल्स जैसे टी सेल्स और मैक्रोफेज के कार्यों को बेहतर करता है। साथ ही, विटामिन डी 3 में एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है, जो बैक्टीरिया नष्ट कर सकता है। यह प्रभाव रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करने वाले एम. ट्यूबरकुलोसिस जैसे विभिन्न बैक्टीरिया को खत्म करके बैक्टीरियल इंफेक्शन से शरीर का बचाव कर सकता है (2)।

एनसीबीआई के एक अन्य शोध में बताया गया है कि विटामिन डी इनफ्लुएंजा ए (फ्लू) के उपचार या बचाव में कारगर हो सकता है (3)। इनफ्लुएंजा ए (फ्लू) एक संक्रामक बीमारी है, जो कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण हो सकती है (4)। 

2. नसों व मांसपेशियों के लिए

विटामिन डी की कमी सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियों जैसे - सिजोफ्रेनिया और मल्टीपल स्केलेरोसिस का जोखिम बढ़ा सकता है। वहीं, विटामिन डी का न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से तंत्रिका कोशिकाओं को होने वाली क्षति को रोकने में मदद कर सकता है (5)। 

इसके अलावा, एनसीबीआई के एक अन्य शोध में यह भी बताया है कि विटामिन डी तंत्रिका के साथ-साथ मांसेपशियों को मजबूत बनाने व इसके कार्य को बेहतर बना सकता है (6)।

इतना ही नहीं, विटामिन डी की खुराक नोसिसेप्टिव दर्द यानी शरीर की नसों में अचानक उठने वाले तेज दर्द से राहत दिला सकता है (7)। हालांकि, इस संबंध में अभी और शोध की आवश्यकता है, लेकिन मांसपेशियों को स्वस्थ रखने और दर्द से बचाव के लिए डाइट में विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए।

3. प्रोटीन लेवल के लिए

एक शोध के अनुसार, प्रोटीन पाउडर और अमिनो एडिस के साथ विटामिन डी का सेवन करने से न सिर्फ फैट फ्री मास को बढ़ाया जा सकता है, बल्कि शारीरिक शक्ति और सार्कोपेनिक (Sarcopenic) यानी बढ़ती उम्र के साथ कमजोर होती मांसपेशियों व उनके कार्यों में आ रही कमी को भी दूर किया जा सकता है। 

दरअसल, विटामिन डी की खुराक, मांसपेशियों में प्रोटीन के घुलने (Synthesis) की क्षमता बढ़ा सकता है। इससे न्यूरोमस्कुलर फंक्शन यानी शारीरिक गतिविधि, शक्ति और शारीरिक संतुलन बेहतर हो सकता है।

4. कैल्शियम और फास्फोरस के स्तर के लिए

विटामिन डी आंतों में कैल्शियम और फास्फोरस जैसे सीरम के अवशोषण को बढ़ाता है। इससे हड्डी में कैल्शियम के घुलने की प्रक्रिया तेज होती है और गुर्दे में भी कैल्शियम के अवशेषण को बढ़ावा मिलता है (8)। इस वजह से विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाने व आंतों के कार्य को बेहतर बनाने में सहायक है। बता दें कि कैल्शियम और और फॉस्फेट हड्डियों के सही निर्माण के लिए जरूरी मिनरल्स होते हैं (9)।

5. हड्डियों के लिए

विटामिन डी शरीर की हड्डियों के ढांचे को बेहतर बनाए रखने के लिए जरूरी है (10)। दरअसल, हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम जरूरी है। इस कैल्शियम को अवशोषित करने में विटामिन डी मदद करते हैं।

विटामिन डी हड्डियों को स्वस्थ रखने और उससे संबंधित ऑस्टियोपोरोसिस और रिकेट्स जैसे विकार को कम करता है (11)। अध्ययनों से इसकी पुष्टि होती है, विटमिन डी कमजोर होती हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है (12)।

6. मस्तिष्क के लिए

विटामिन डी की कमी सेंट्रल नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचाती है। इससे मानसिक समस्याओं का जोखिम बढ़ता है (13)। यही वजह है कि विटामिन डी के कम स्तर को ज्ञान संबंधी स्थितियों, जैसे - डिमेंशिया, सिजोफ्रेनिया, अवसाद, ऑटिज्म से जुड़ा हुआ पाया गया है। 

ऐसे में इनके जोखिम को कम करने और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए आहार में विटामिन डी को शामिल करना अच्छा विकल्प है, क्योंकि इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव है। इसका यह प्रभाव मस्तिष्क कार्य को बेहतर बनता है (14)।

इसके अलावा, इटालियन लोगों पर किए गए एक शोध में इसकी पुष्टि भी होती है कि विटामिन डी का कम स्तर उम्रदराज लोगों के संज्ञानात्मक स्तर को कम करता है, जिसकी वजह से उनमें याददाश्त खोने और ज्ञान-संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती है (15)। 

7. ह्रदय के लिए

एनसीबीआई की रिसर्च के अनुसार, शरीर में विटामिन डी की कमी से हृदय संबंधी रोग का जोखिम बढ़ा सकता है। यही वजह  है कि विटामिन डी की उचित खुराक हृदय स्वास्थ्य और उससे जुड़े रोगों से बचाव कर सकता है (16)। 

इस आधार पर कहा जा सकता है कि ह्रदय संबंधी रोगों से बचाव के लिए आहार में विटामिन डी शामिल करना लाभकारी है। हालांकि, विटामिन डी किस तरह से हृदय रोग का जोखिम कम कर सकता है, इस विषय में अभी भी अध्ययनों की आवश्यकता है (17)।

8. पेट के लिए

इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या है। इसके कारण पेट में गैस होना, पेट फूलना, पेट दर्द के लक्षण और कब्ज की समस्या भी हो सकती है (18)। पाचन तंत्र से जुड़ी इस समस्या के उपचार में भी विटामिन डी सहायक हो सकता है। 

दरअसल, विटामिन डी इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षणों को कम कर सकता है। वहीं, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम कोलन कैंसर यानी पेट के कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है। ऐसे में विटामिन डी के सेवन से पेट से जुड़ी समस्या और पेट के कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है (19)।

9. मधुमेह के लिए

विटामिन डी की कमी से शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ता है, जिससे मधुमेह का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे में विटामिन डी का सेवन करने से शरीर में इंसुलिन लेवल कम किया जा सकता है, जिससे टाइप-2 मधुमेह से बचाव हो सकता है (20)।

एक अन्य अध्ययन में यह भी पाया गया है कि टाइप-2 मधुमेह के इलाज के साथ विटामिन डी सप्लीमेंट देने से रक्त में शुगर की मात्रा (A1c (HbA1c), इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार देखा गया। ऐसे में मधुमेह में विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन को उपयोगी माना जा सकता है (21)। 

मधुमेह रोगी ध्यान दें कि विटामिन डी सप्लीमेंट्स डॉक्टर की सलाह पर ही लें। हीमोग्लोबिन A1c का स्तर बढ़ने से रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ सकती है, क्योंकि रक्त में इसका बढ़ना मधुमेह का संकेत हो सकता है, जो मधुमेह के साथ ही हृदय रोग, किडनी से जुड़े रोग और नसों के नुकसान का जोखिम बढ़ा सकता है (22)।

10. रक्तचाप कम करे

एनसीबीआई की अध्ययन के अनुसार, विटामिन डी में रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करने का प्रभाव होता है। ऐसे में अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर है, तो रक्तचाप कम करने वाली दवाओं के साथ विटामिन डी सप्लीमेंट्स का सेवन करके बढ़े हुए रक्तचाप को कम कर सकते हैं (23)। हालांकि, इसका सेवन डॉक्टरी सलाह पर ही करें।

इसके अलावा, अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि विटामिन डी का कम स्तर उच्च रक्तचाप का एक जोखिम कारक है। इसलिए, हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों को समय-समय पर रक्त में विटामिन डी के स्तर की भी जांच करानी चाहिए (24)।

11. वजन घटाने के लिए

विटामिन डी की कमी से मोटापे का जोखिम बढ़ सकता है। इसकी पुष्टि एनसीबीआई की रिसर्च से होती है। इन रिसर्च में जिक्र मिलता है कि शरीर में विटामिन डी का कम स्तर बॉडी मास इंडेक्स को बढ़ा सकता है, जो मोटापे का कारण बनता है (25)। इसके अलावा, मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति में विटामिन डी की कमी हो सकती है (26)।

एक अन्य रिसर्च के अनुसार, 6 सप्ताह तक विटामिन डी सप्लीमेंट्स का सेवन करने से ओवरवेट महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स, शारीरिक वजन और कमर की चौड़ाई में काफी कमी देखी गई (27)। ऐसे में मोटापा घटाने के घरेलू उपाय में विटामिन डी युक्त आहार को शामिल किया जा सकता है।

12. डिप्रेशन दूर करे

विटामिन डी मानसिक विकार से बचाव में उपयोगी हो सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध में बताया गया है कि विटामिन डी का कम स्तर मूड खराब करने और डिप्रेशन (अवसाद) जैसे मानसिक रोग का जोखिम बढ़ा सकता है (28)। 

एक अन्य वैज्ञानिक रिसर्च में यह भी पाया गया है कि विटामिन डी की खुराक मूड को नियंत्रित करने और अवसाद को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है (29)। ऐसे में विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से मूड अच्छा होता है। साथ ही अवसाद जैसे मूड विकार से बचाव या उन्हें दूर किए जा सकता है।

लेख में यह पहले ही बता चुके हैं कि विटामिन डी कई तरह से मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है (30)। ऐसे में विटामिन डी को विभिन्न मानसिक व मस्तिष्क संबंधी समस्याओं से बचाव में प्रभावकारी हो सकता है।

13. त्वचा के लिए

एनसीबीआई के एक शोध मे बताया गया है कि मुंहासों के गंभीर प्रकार नोडुलोसाइटिक एक्ने की समस्या वाले लोगों में विटामिन डी का स्तर काफी कम था। अध्ययन में इन लोगों को विटामिन डी की खुराक दी गई, जिसके बाद उनके एक्ने के लक्षणों में सुधार देखा गया (31)। 

एनसीबीआई के एक अन्य अध्ययन में भी इसकी पुष्टि होती है कि विटामिन डी की कमी एटोपिक डर्माटाइटिस के साथ ही सोरायसिस और स्किन कैंसर जैसी त्वचा से जुड़ी विभिन्न बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकती है (32)।

एक अन्य रिसर्च में विटामिन डी3 को त्वचा के लिए मलहम के रूप में भी इस्तेमाल करने का जिक्र मिलता है। इसके अनुसार, त्वचा पर विटामिन डी 3 लगाने से त्वचा से संबंधित समस्या सोरायसिस के इलाज में मदद मिल सकती है। इतना ही नहीं, यह सूजन पर कुछ हदतक असर करके त्वचा के घावों को भर सकता है (33)।

14. बालों के लिए

महिलाओं पर किए गए अध्ययन से यह पता चलता है कि विटामिन डी का कम स्तर बालों के झड़ने का कारण बन सकता है। इसलिए, स्वस्थ बालों के लिए भी विटामिन डी की भूमिका अहम हो सकती है। इस शोध के अनुसार, विटामिन डी हेयर फॉलिकल साइकलिंग यानी बालों के विकास को बढ़ा सकता है और गंजेपन की समस्या एलोपेसिया को भी कम कर सकता है (34)। 

अब पढ़ें विटामिन डी युक्त खाद्य स्रोत।

विटामिन डी के मुख्य स्रोत - Vitamin D Rich Foods in Hindi

विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी है। इसके अलावा हम इस भाग में अन्य विटामिन डी के मुख्य स्रोत की जानकारी देंगे। इन खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करके शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ाया जा सकता है। साथ ही विटामिन डी की कमी के जोखिम भी कम हो सकते हैं। चलिए जानते हैं विटामिन डी के मुख्य स्रोत (35) (36) (37):

  • विटामिन डी के शाकाहारी स्रोत - पनीर, दही, चीज़, मक्खन और क्रीम, जैसे दूध और डेयरी उत्पाद, मशरूम।
  • विटामिन डी के मांसाहारी स्रोत - सालमन, झींगा व वसायुक्त अन्य मछलियां, कॉड लिवर ऑयल, अंडे की जर्दी या पीला भाग, आदि।

अब पढ़ें विटामिन डी की कमी से कौन-सा रोग हो सकता है।

शरीर में विटामिन डी की कमी से होने वाली बीमारियां

विटामिन डी की कमी से कुछ रोग भी हो सकते हैं। यही वजह है कि इस भाग में हम विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग का नाम बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (38) (39) (40)।

  • शरीर में विटामिन डी का कम स्तर हड्डियों के रोग का जोखिम बढ़ा सकता है। इससे हड्डियां कमजोर और लचीली हो सकती हैं, जो ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बन सकता है।
  • व्यस्क लोगों के अलावा, बच्चों में भी विटामिन डी की कमी से कुछ रोग हो सकते हैं, जिनमें रिकेट्स का जोखिम अधिक देखा जा सकता है। यह भी हड्डियों से जुड़ा एक रोग है। इसकी समस्या होने पर बच्चों की हड्डियां नरम होने लगती हैं।
  • इसके अलावा, वयस्क लोगों को विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग में ऑस्टियोमलेशिया को भी शामिल किया जा सकता है। यह भी एक हड्डी रोग होता है, जिसके कारण हड्डियां नरम हो सकती हैं, उनमें दर्द की समस्या हो सकती है और मांसपेशियां भी कमजोर हो सकती हैं।
  • कुछ लोगों में विटामिन डी की कमी से कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता हो सकती है।
  • विटामिन डी की कमी से रक्तचाप, मधुमेह और कैंसर के जोखिम की भी समस्या हो सकती है।
  • इसके अलावा, कुछ स्थितियों में विटामिन डी की कमी से मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसे ऑटोइम्यून डिजीज हो सकते हैं। यह मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी की नसों से जुड़ी बीमारी है।
  • कुछ स्थितियों में विटामिन डी की कमी के कारण मानसिक समस्याएं जैसे - सिजोफ्रेनिया, डिप्रेशन, ऑटिजम भी हो सकता है।
  • विटामिन डी की कमी से मोटापे की परेशानी भी हो सकती है।

आगे पढ़ें विटामिन डी की अधिकता के दुष्प्रभाव।

जरूरत से ज्यादा विटामिन डी लेने से नुकसान

आप जानते ही हैं कि किसी भी चीज की अति बुरी होती है। कुछ ऐसा ही विटामिन डी के साथ भी है। अगर शरीर में इसकी मात्रा अधिक हो जाए, तो ये नुकसान हो सकते हैं (38)।

  • अधिक मात्रा में इसका सेवन विटामिन डी टॉक्सीसिटी के नाम से जाना जाता है। इसके कारण मतली, उल्टी, अनियमित भूख, कब्ज, कमजोरी और वजन का घटना जैसे दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं
  • इसका अधिक सेवन किडनी से संबंधित कई समस्याओं का कारण बन सकता है।

  • इसका सीमित मात्रा से अधिक सेवन खून में कैल्शियम का स्तर बढ़ा सकता है, जिसके कारण हाइपरकैल्सिमिआ यानी भ्रम भटकाव और हृदय की धड़कन से जुड़ी समस्याएं होने का जोखिम बढ़ सकता है।

  • विटामिन डी के लिए अधिक समय तक धूप के संपर्क में रहने से त्वचा संबंधी विकार, जैसे जलन व खुजली हो सकती है।

हमने आपको न सिर्फ विटामिन डी के फायदे बताए हैं, बल्कि विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग भी बताए हैं। विटामिन डी का स्तर बढ़ाने के लिए आप किस तरह के खाद्य पदार्थ आहार में शामिल करें, इसकी भी पूरी जानकारी यहां है। ध्यान रखें कि जरूरत से अधिक मात्रा में विटामिन डी की खुराक लेने से दुष्प्रभाव भी होते हैं। इसलिए, सीमित मात्रा में विटामिन डी आहार या सप्लीमेंट्स से लें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

विटामिन डी शरीर में क्या करता है?

विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण यानी घुलने में मदद कर सकता है। इसलिए इसके सेवन से हड्डियों का स्वास्थ्य अच्छा हो सकता है और हड्डियों के रोगों से शरीर का बचाव किया जा सकता है।

किस तरह के पेय पदार्थ में विटामिन डी होता है?

पेय के रूप में दूध को विटामिन डी से समृद्ध माना जा सकता है। दूध में शामिल विटामिन डी की मात्रा की बात करें, तो एक कप दूध (लगभग 226 मिलीलीटर) में 115 से 124 IU (इंटरनेशनल यूनिट) की मात्रा तक विटामिन डी होता है (41)।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

मैं अपना विटामिन डी का स्तर कैसे बढ़ा सकता हूं?

शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ाने का सबसे अच्छा विकल्प सूर्य की रोशनी है। अगर आप किसी कारण धूप से संपर्क नहीं रख पाते हैं, तो विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों के जरिए शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आप निम्नलिखित खाद्य सामग्रियों को आहार में शामिल कर सकते हैं (42) (43):

  • शाकाहारी लोगों के लिए : दूध, पनीर, दही, मक्खन और क्रीम जैसे अन्य डेयरी उत्पाद, मशरूम आदि।
  • मांसाहारी (नॉन वेज) लोगों के लिए : वसायुक्त मछली जैसे सालमन, कॉड लिवर ऑयल, अंडे की जर्दी आदि।

अगर शारीरिक तौर पर कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको विटामिन डी की कमी हो सकती है। ऐसे में आपको विटामिन डी के खुराक की आवश्यकता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं (38):

  • कमजोर होती हड्डियों के कारण हड्डियों में दर्द होना।
  • फ्रैक्चर होना या हड्डी से जुड़े रोग होना।
  • बच्चों में रिकेट्स के लक्षण होना।
  • मांसपेशियों में कमजोरी महसूस करना।
  • मधुमेह होना।
  • उच्च रक्तचाप की समस्या।
  • ऑटोइम्यून डिजीज होना, जैसे - मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी की नसों से जुड़ा रोग मल्टीपल स्क्लेरोसिस होना।

विटामिन डी या विटामिन डी 3 में से कौन सा अच्छा है?

वैसे तो शरीर के लिए विटामिन डी 2 के दोनों ही प्रकार जरूरी होते हैं, लेकिन अध्यननों के अनुसार, विटामिन डी 2 के मुकाबले विटामिन डी 3 की खुराक शरीर में तेजी से विटामिन डी की कमी को पूरा कर सकता है (44)।

एक महिला को प्रतिदिन कितनी मात्रा में विटामिन डी की जरूरत होती है?

एक महिला को प्रतिदिन विटामिन डी की कितनी खुराक की आवश्यकता होती है, यह उसकी उम्र और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर है, जिसके बारे में आप नीचे पढ़ सकते हैं (45)।

  • जन्म से 12 माह की उम्र की महिला शिशु के लिए - 10 माइक्रोग्राम (400 IU)
  • 1 से 18 साल उम्र की महिला के लिए, इनमें गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी शामिल हैं - 15 माइक्रोग्राम (600 IU)
  • 19 से 50 वर्ष की महिलाओं के लिए, इनमें गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी शामिल हैं - 15 माइक्रोग्राम (600 IU)
  • 51 वर्ष से 70 वर्ष की महिलाओं के लिए - 15 माइक्रोग्राम (600 IU)
  • 70 वर्ष से बड़ी उम्र की महिलाओं के लिए - 20 माइक्रोग्राम (800 IU)

विटामिन डी की खुराक लेने का सही तरीका क्या है?

अगर विटामिन डी की खुराक आहार या सप्लीमेंट्स के रूप में ले रहे हैं, तो सीधे तौर पर इसका सेवन कर सकते हैं। वहीं, अगर धूप के जरिए विटामिन डी प्राप्त करना चाहते हैं, तो सुबह और शाम के समय कुछ मिनट के लिए धूप में टहल सकते हैं।

क्या विटामिन डी की कमी से बालों के झड़ने की समस्या हो सकती है?

शरीर में विटामिन डी का कम स्तर बालों को प्रभावित कर सकता है (46)। हांलांकि, विटामिन डी की कमी झड़ते बालों का कारण हो सकता है या नहीं इस विषय में अभी और शोध की आवश्यकता है।

क्या विटामिन डी की कमी से सर्दी-खांसी की समस्या हो सकती है?

विटामिन डी की कमी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर सकती है, जो श्वास प्रणाली से जुड़े जोखिम बढ़ा सकता है। जिस कारण से सर्दी-खांसी की समस्या भी हो सकती है (47) (48)।

मुझे विटामिन डी की खुराक सुबह में लेनी चाहिए या रात में?

विटामिन डी की खुराक दिन के समय लेना सबसे सही माना जाता है। चाहें तो सुबह भी ले सकते हैं।

क्या बीयर पीने से विटामिन डी का स्तर या शरीर में उसका अवशोषण प्रभावित हो सकता है?

हां, लंबे समय से बीयर या अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने से शरीर में विटामिन डी का स्तर प्रभावित हो सकता है। हालांकि, इस संबंध में अभी भी रिसर्च जारी हैं (49)।

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