प्रस्तुतकर्ता
Sunita Regmi
Pregnancy
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रोजमर्रा के कामकाज के दौरान छोटी-छोटी बातों को भूल जाना आम है। हां, अगर कोई अहम बातों को भूलने लगे, तो यह अल्जाइमर का लक्षण हो सकता है। इस बीमारी से पीड़ित लोग अपनों के साथ होते हुए भी नहीं होते, क्योंकि उनके दिमाग की तमाम बातें और यादें मिटने लगती हैं।
यह बीमारी समय के साथ और गंभीर होती जाती है। अफसोस, इस भूलने की बीमारी यानी अल्जाइमर का कोई सटीक इलाज नहीं है (1)। लेकिन दवाई से इसके लक्षण को कुछ कम किया जा सकता है। इसी वजह से हम अल्जाइमर रोग से जुड़ी सभी जानकारी लेकर आए हैं।
पहले हम बताएंगे कि अल्जाइमर रोग क्या होता है।
अल्जाइमर रोग न्यूरोलॉजिकल यानी दिमाग संबंधी विकार है। इसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं खत्म व नष्ट होने लगती हैं, जिससे याददाश्त और दैनिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। अल्जाइमर यानी भूलने की बीमारी डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का सबसे आम प्रकार है।
शुरुआती दौर में अल्जाइमर के लक्षण कम होते हैं, लेकिन समय के साथ यह समस्या गंभीर होती जाती है। आमतौर पर यह रोग 60 साल के बाद होता है (1)।
माना जाता है कि युवा लोगों को भी अल्जाइमर रोग होता है, लेकिन यह आम नहीं है। हालांकि, अभी भी अल्जाइमर डिजीज का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है, इसलिए वैज्ञानिक इस मामले में काफी शोध कर रहे हैं (2)।
एक रिसर्च में यह भी सामने आया था कि अल्जाइमर रोग भी एक तरह की ऑटोइम्यून बीमारी हो सकती है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही न्यूरॉन्स को खत्म करने लगती है (3)।
अल्जाइमर रोग क्या है, जानने के बाद अब आगे अल्जाइमर रोग के चरण पर एक नजर डाल लें।
व्यापक रूप से अल्जाइमर को 7 चरणों में विभाजित किया गया है। इन सभी सात स्टेज के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (4)।
इस दौरान स्मृति से संबंधित किसी तरह की समस्या नहीं होती। डॉक्टर भी इस स्टेज का पता नहीं लगा पाते, क्योंकि इस चरण के दौरान प्रभावित व्यक्ति में आमतौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आते।
इस स्टेज में अल्जाइमर प्रभावित व्यक्ति को लगता है कि उसकी याददाश्त कम हो रही है और वह परिचित शब्दों, जगह और लोगों के नाम भूल रहा है। जैसे - चाबियां, चश्मा और अन्य रोजमर्रा की चीजों को रखने की जगह और दोस्तों के नाम भूलना।
इस स्टेज पर रोगी के मानसिक (संज्ञानात्मक) व्यवहार में बदलाव दिखने लगता है। व्यक्ति की याददाश्त और एकाग्रता कम होने लगती है। डॉक्टर परीक्षण के दौरान इस स्टेज का पता लगा सकते हैं।
ऐसे मरीज परिवार व करीबी लोगों के नाम भूल जाते हैं और नए लोगों से मिलने पर उनका नाम याद नहीं रख पाते। साथ ही किसी भी प्लान को बनाने की क्षमता में कमी आने लगती है और वो सामान खोने या किसी गलत जगह पर रख देते हैं।
इस दौरान व्यक्ति हाल ही में हुई घटनाओं को काफी हद तक भूल जाते हैं। इस स्टेज में किसी भी तरह का बिल भरने, पैसों से संबंधित कामों को करने की क्षमता में कमी आने लगती है। साथ ही खुद से जुड़ी हुई बीती बातों को व्यक्ति भूलने लगता है।
इस चरण में अल्जाइमर के लक्षण काफी ज्यादा दिखने लगते हैं। कई नई समस्याएं होने लगती हैं, जैसे मोबाइल नंबर, घर का पता, तारीख, महीना और मौसम को याद रखने में समस्या व गिनती भूलना आदि।
इस स्टेज में व्यक्ति को अपना नाम और अपने घर परिवार वालों का नाम याद रहता है। साथ ही खाना खाने और शौचालय इस्तेमाल करने में कोई समस्या नहीं होती।
इस अवस्था में स्मृति से संबंधित समस्याएं इतनी गंभीर हो जाती हैं कि दैनिक गतिविधियां प्रभावित होने लगती हैं, जैसे कपड़े पहनना और बाथरूम इस्तेमाल करने में समस्या होना।
सामान्य तौर पर इस दौरान व्यक्ति अपने घरवालों का नाम भूल जाता है, लेकिन अपना नाम याद रखता है और परिचितों को भी पहचान लेता है। इस स्टेज में नींद आने में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
अल्जाइमर डिजीज का यह अंतिम चरण होता है। इसमें व्यक्ति प्रतिक्रिया करने, बोलने और शरीर को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है। हालांकि, कभी-कभी पीड़ित शब्द या छोटे-छोटे वाक्य बोल लेता है।
इस दौरान व्यक्ति को खाने और शौचालय जाने में सहायता की जरूरत पड़ती है। साथ ही सहायता के बिना चलने, उठने व बैठने की क्षमता भी लगभग खत्म हो जाती है। इसके अलावा, मांसपेशियां भी कठोर होने लगती हैं और खाना निगलने में भी समस्या हो सकती है।
लेख के अगले हिस्से में हम बता रहे हैं कि अल्जाइमर रोग के लक्षण क्या-क्या हैं।
भूलने की बीमारी जिसकी वजह से हर दिन प्रभावित हो, वह सामान्य रूप से बढ़ती उम्र का हिस्सा नहीं है। यह अल्जाइमर का लक्षण हो सकता है। ऐसे में भूलने की बीमारी से घर में कोई भी जूझ रहा हो, तो सतर्क होना जरूरी है। नीचे हम कुछ संकेत व लक्षण बता रहे हैं, जिनके दिखते ही भूलने की बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है (4)।
आर्टिकल के अगले हिस्से में हम अल्जाइमर रोग के कारण की जानकारी दे रहे हैं।
अल्जाइमर रोग का वैसे तो कोई सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन शोध से पता चलता है कि मस्तिष्क में कुछ परिवर्तन होने से ही अल्जाइमर रोग होता है (5)। इसके कुछ संभावित कारण ये हो सकते हैं।
चलिए, अब जानते हैं कि अल्जाइमर रोग का निदान।
अल्जाइमर रोग का निदान मुश्किल होता है, लेकिन सही समय पर डॉक्टर की मदद से इस समस्या का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर निम्न निदान संबंधी सुझाव दे सकते हैं (5):
आगे हम अल्जाइमर का इलाज किस तरह से किया जा सकता है, इससे जुड़ी जानकारी दे रहे हैं।
हम ऊपर ही बता चुके हैं कि अल्जाइमर रोग को ठीक करने का कोई इलाज नहीं है। हां, इसके लक्षण को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाओं को लेने की सलाह दे सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (14)।
अल्जाइमर के रोगियों का किस तरह से ख्याल रखा जाना चाहिए, इसपर एक नजर डाल लेते हैं।
अल्जाइमर की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति की देखभाल करने के लिए इन टिप्स को अपना सकते हैं। इससे अल्जाइमर की स्थिति में कुछ सुधार हो सकता है (15)।
अब हम अल्जाइमर रोग के जोखिम कारकों के बारे में बता रहे हैं।
अल्जाइमर का जोखिम कारक सेरेब्रोवास्कुलर (Cerebrovascular) रोग भी है। यह रोग मरीज के मस्तिष्क और रक्त वाहिकाओं में खून और ऑक्सीजन की आपूर्ति को रोक सकता है। इसके अलावा, रक्त वाहिका से संबंधित वास्कुलोपैथी (Vasculopathies) नामक विकार होने पर भी अल्जाइमर होने का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों के साथ ही अल्जाइमर के अन्य जोखिम कारक कुछ इस प्रकार हैं (5) (16)।
आगे हम अल्जाइमर रोग से बचाव करने के कुछ तरीकों के बारे में बता रहे हैं।
भूलने की बीमारी का इलाज करवाने के साथ ही अल्जाइमर रोगियों के दिनचर्या में कुछ बदलाव भी करना जरूरी है। ये बदलाव शुरुआती स्टेज के अल्जाइमर रोग के लक्षण को कम करने के साथ ही स्वस्थ लोगों को इस बीमारी से बचा सकते हैं (17)।
अल्जाइमर से निपटना और इससे प्रभावित व्यक्ति को संभालना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से अल्जाइमर रोग को समझने और रोगी का ख्याल रखने के तरीके आप जान सकते हैं। हम समझते हैं कि प्रियजनों में अल्जाइमर रोग से संबंधित बदलाव को स्वीकार करना आसान नहीं, लेकिन इस मुश्किल घड़ी में हार नहीं माननी चाहिए।
आप आर्टिकल में दी गई जानकारी की सहायता से अल्जाइमर रोगी को भावनात्मक और मानसिक सहायता देकर उनके साथ खड़े रहें। साथ ही डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह को भी फॉलो करें।
लेख में ऊपर बताए गए अल्जाइमर रोग के लक्षण नजर आते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए। अल्जाइमर रोग का जितनी जल्दी पता चलता है, उतनी जल्दी इस रोग का निदान करके स्थिति को काबू करने में मदद मिल सकती है (5)।
डेमेंटिया की स्थिति में स्मरण शक्ति कम होना, भ्रम, व्यक्तित्व में परिवर्तन और रोजमर्रा की गतिविधियों में परेशानी हो सकती है। डेमेंटिया के कई प्रकार होते हैं, जिनमें सबसे आम अल्जाइमर रोग है। डेमेंटिया की समस्या से जूझ रहे ज्यादातर लोगों को अल्जाइमर होता है। इन दोनों समस्याओं का संबंध याददाश्त से है (18)।
हां, अचानक दिखने वाले अल्जाइमर डिजीज के नए लक्षण – जैसे नाम को भूलना, निर्णय लेने में परेशानी, टूथब्रथ करना भूलने के कारण अन्य स्वास्थ्य स्थितियों का इलाज करने में मुश्किल हो सकती है (1)।
समय के साथ अल्जाइमर रोग और गंभीर हो सकता है, क्योंकि नए-नए लक्षण नजर आने लगते हैं। साथ ही ऐसा समय भी आ जाता है कि व्यक्ति कुछ भी बोलने और समझने की क्षमता को खो देता है। इस स्थिति के गंभीर होने की दर प्रत्येक रोगी पर निर्भर करती है। यह दर हर किसी में अलग-अलग हो सकती है (2)।
पीनट बटर की खुशबू के मदद से अल्जाइमर रोग का पता लगाने में मदद मिल सकती है। अगर अल्जाइमर रोग के लक्षण दिखाई देने वाले व्यक्ति को अगर पीनट बटर की खुशबू नहीं आती, तो माना जाता है कि उसे अल्जाइमर डिजीज है (19)।
अल्जाइमर रोग होने के 3 से 20 साल तक रोगी जी सकते हैं (5)।
नहीं, अल्जाइमर के मरीज को रात में नींद न आने की समस्या हो सकती है (5)।
अल्जाइमर रोग में व्यक्ति को अकेलापन महसूस हो सकता है। इस स्थिति में यादें कमजोर हो जाती हैं, जिससे कि वह लोगों को ठीक से नहीं पहचान पाता है।
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