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बैक्टीरियल इंफेक्शन: लक्षण, कारण व इलाज | Bacterial Infection In Children In Hindi

बैक्टीरियल इंफेक्शन क्या है, बैक्टीरियल इंफेक्शन के लक्षण, कारण, इलाज व बचाव के तरीके सभी यहां बताए गए हैं। वयस्कों के मुकाबले बच्चों और बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है (1)। इस कारण से उन्हें जीवाणु संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। 

बैक्टीरियल इंफेक्शन का मतलब क्या है, सबसे पहले यह समझें।

बैक्टीरियल संक्रमण क्या है? | What is Bacterial Infection in Hindi

सूक्ष्म जीवाणुओं से होने वाले संक्रमण को बैक्टीरियल इंफेक्शन कहा जाता है। ये सूक्ष्म जीवाणु तेजी से शरीर में फैलते हैं, जो शरीर में कई विषाक्त पदार्थों को रिलीज करके संक्रमण से बीमारी का कारण बनते हैं। 

ये बैक्टीरिया इतने छोटे होते हैं कि इन्हें सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। यूं तो कुछ बैक्टीरिया शरीर के लिए लाभकारी होते हैं, जो भोजन को पचाने से लेकर शरीर को जरूरी पोषण देते हैं। साथ ही बीमार करने वाली कोशिकाओं को नष्ट करते हैं (2)। इसी वजह से बैक्टीरियल संक्रमण के बारे में जानना जरूरी है।

अब पढ़ें बैक्टीरियल संक्रमण कितनी तरह के होते हैं।

बैक्टीरियल इंफेक्शन के प्रकार

जीवाणु संक्रमण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं:

  1. बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial Pneumonia) - बैक्टीरियल निमोनिया जीवाणु संक्रमण का एक प्रकार होता है। यह बच्चे में सांस से जुड़ी समस्या होती है। इसके बैक्टीरिया नाक, मुंह या साइनस के जरिए फेफड़ों तक फैल सकते हैं (3)
  1. मूत्र मार्ग का संक्रमण (Urinary Tract Infections) - यूरिन इंफेक्शन ब्लैडर व गुर्दे के अलावा, मूत्राशय से मूत्र को बाहर निकलाने वाली ट्यूब यूरेथरा सहित मूत्र पथ के विभिन्न हिस्सों तक फैल सकता है। आमतौर पर यह बैक्टीरियल इंफेक्शन मलाशय की त्वचा के आस-पास रहने वाले जीवाणुओं के जरिए फैलता है (4)
  1. आंत से जुड़े बैक्टीरियल इंफेक्शन (Gastroenteritis) - साल्मोनेलोसिस व ई. कोलाई (Escherichia coli) जैसे बैक्टीरिया आंत से जुड़े बैक्टीरियल इंफेक्शन का कारण हो सकते हैं। इसकी वजह से दस्त और कभी-कभी उल्टी भी हो सकती है।

    इसके गंभीर होने पर डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। बच्चों में इस प्रकार का बैक्टीरियल इंफेक्शन दूषित खाद्य या पेय के जरिए फैल सकता है (5)
  1. त्वचा संबंधी बैक्टीरियल संक्रमण (Impetigo) - त्वचा संबंधी संक्रमण भी बैक्टीरियल इंफेक्शन का एक अन्य प्रकार हो सकता है। यह स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus Aureus) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो संक्रमण फैला सकता है (6)। इसके अलावा, रक्तप्रवाह के माध्यम से यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है (7)
  1. ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण (Upper Respiratory Tract Infection) - ऊपरी श्वसन पथ का संक्रमण भी बैक्टीरियल इंफेक्शन का एक प्रकार हो सकता है (8)। यह एक तरह का सामान्य सर्दी-जुकाम से जुड़ा संक्रमण होता है। उचित समय पर इसका इलाज न करवाने से समस्या गंभीर भी हो सकती है (9)
  1. कान का संक्रमण (Otitis Media) - बैक्टीरियल इंफेक्शन के एक प्रकार में कान का संक्रमण भी देखा जा सकता है (8)। लगभग 4 में से 3 बच्चों को कान के संक्रमण की समस्या हो सकती है। इसकी समस्या जन्म के पहले वर्ष से तीसरे वर्ष के बीच में सबसे अधिक हो सकती है (10)
  1. गले से जुड़ा संक्रमण (Pharyngitis) - यह गले में सूजन से जुड़ी एक समस्या है। इसकी वजह से गले में सूजन हो सकती है, जिससे खाना निगलने में परेशानी हो सकती है (11)

बैक्टीरियल इंफेक्शन के लक्षण जानने के लिए स्क्रॉल करें।

बच्चों में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने के लक्षण | Symptoms of bacterial infection in children in hindi

बैक्टीरियल इंफेक्शन के विभिन्न प्रकार हैं, जो शरीर के सभी हिस्सों को संक्रमित कर सकते हैं। यहां हम उन्हीं विभिन्न संक्रमणों के आधार पर बैक्टीरियल इंफेक्शन के लक्षण बता रहे हैं, जो निम्नलिखित हैं (12):

  • निमोनिया होना
  • मूत्र मार्ग में संक्रमण होना व पेशाब के साथ जलन या दर्द होना
  • दस्त व उल्टी के साथ डिहाइड्रेशन होना
  • त्वचा संक्रमण या कान में संक्रमण होना
  • सर्दी-जुकाम होना, ठंड लगना और पसीना आना
  • खांसी में बदलाव होना व गले में खराश होना
  • सांस लेने में परेशानी होना व नाक बंद होना
  • गर्दन में अकड़न होना
  • घाव में लालिमा, दर्द या सूजन होना।
  • पेट या मलाशय में दर्द होना।
  • गले में सूजन होना व खाना निगलने में परेशानी होना (13)
  • बुखार होना (14)
  • नाक, मुंह या हाथ-पैर के आसपास की त्वचा का लाल होना (15)

  • खुजलीदार घाव से मवाद बहना, जहां की त्वचा बाद में पपड़ीदार हो जाती है (15)

बैक्टीरियल संक्रमण क्यों होता है, अब हम इस बारे में बात करेंगे।

बैक्टीरियल इंफेक्शन होने के कारण | Causes of Bacterial Infection in Hindi

विभिन्न बैक्टीरियल रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया चार प्रकार के होते हैं, जिसे उसके आकार के अनुसार चार वर्गों में बांटा गया है, जो निम्नलिखित हैं (16):

  1. बेसिली (Bacilli) - यह बैक्टीरिया छड़ी के आकार का होता है, जिसकी लंबाई लगभग 0.03 मिमी होती है। इससे टाइफाइड और सिस्टिटिस जैसी बीमारियों का जोखिम हो सकता है।
  1. कोक्सी (Cocci) - यह गेंद के आकार का होता है, जो लगभग001 मिमी के व्यास जितना होता है। यह यौन संचारित संक्रमण गोनोरिया व फोड़े सहित अन्य संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया से जुड़ सकता है।
  1. स्पाइरोचेटेस (Spirochaetes) - यह सिफलिस जैसे यौन संचारित संक्रमण के बैक्टीरियल इंफेक्शन से फैल सकता है।
  1. विब्रियो (Vibrio) - यह बैक्टीरिया कॉमा (comma) के आकार का होता है, जो हैजा, गंभीर दस्त व डिहाइड्रेशन की वजह बन सकता है।

इसके अलावा, कुछ अन्य कारण भी हैं, जिनकी वजह से बैक्टीरियल इंफेक्शन फैल सकता है, जैसे :

  • कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता - रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। वयस्क लोगों के मुकाबले नवजात व छोटे बच्चों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है, जिस वजह से बच्चों में जीवाणु संक्रमण होने का जोखिम अधिक हो सकता है (1)
  • दवाओं का सेवन - सीडीसी (सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार, विभिन्न दवाओं का सेवन करना भी इम्यूनिटी को कमजोर कर सकता है (17)। ऐसे में अगर लंबे समय से दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है, जो शरीर में विभिन्न बैक्टीरिया के जोखिम को बढ़ाता है।
  • प्रदूषित वातावरण - अधिकतर बैक्टीरिया हवा के जरिए या संपर्क में आने पर शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। यही वजह है कि प्रदूषित वातावरण में रहने, धूल के संपर्क में आने या दूषित भोजन व पानी के सेवन से भी बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का जोखिम बढ़ सकता है (7)
  • संक्रमित लोगों से संपर्क - अगर कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन से संक्रमित है, तो उसके संपर्क में आने या उसके खांसने-छींकने के दौरान संपर्क में आने से भी बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है (7)

आगे पढ़ें बच्चों में बैक्टीरियल संक्रमण के जोखिम क्या हैं।

जीवाणु संक्रमण के जोखिम

कई तरह की स्थितियां बच्चों में बैक्टीरियल इंफेक्शन को गंभीर बना देती हैं, जो इस प्रकार है (18):

  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
  • लिम्फ नोड्स का आसामान्य आकार होना (Lymphadenopathy)
  • बच्चे के विकास में देरी होना
  • बच्चे को सांस से जुड़ी समस्या होना या संक्रमण होना (19)
  • बच्चे को सेप्सिस होना यानी ब्लड इंफेक्शन होने से भी बैक्टीरियल इंफेक्शन फैल सकता है। यह एक तरह का संक्रमण होता है, जो शरीर में बैक्टीरिया के विकास को बढ़ा सकता है (20)

जीवाणु संक्रमण की पुष्टि कैसे होती है, अब हम इसके बारे में बता रहे हैं।

जीवाणु संक्रमण का निदान | Diagnosis of Bacterial Infection in Hindi

बैक्टीरियल इंफेक्शन की पुष्टि करने के लिए कई तरह के परीक्षण किए जाते हैं, जो निम्नलिखित हैं (21):

  • शारीरिक परीक्षण - बैक्टीरियल इंफेक्शन की जांच करने के लिए डॉक्टर बच्चे के लक्षणों के आधार पर उसकी पुष्टि कर सकते हैं।
  • मेडिकल हिस्ट्री -  पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में पूछताछ कर सकते हैं।
  • लैब टेस्ट - ब्लड सैंपल लेकर उसे टेस्ट के लिए भेजा जाता है। इसमें सफेद रक्त कोशिकाओं की गिनती की जाती है। साथ ही मूत्र का सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती है। इसके अलावा, सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड टेस्ट यानी रीढ़ की हड्डी से तरल पदार्थ लेकर उसकी जांच की जा सकती है।

बैक्टीरियल इंफेक्शन का उपचार कैसे किया जाता है, अब यह पढ़ें।

बैक्टीरियल इंफेक्शन के उपचार | Treatment of Bacterial Infection in Hindi

बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है।

  • एंटीबायोटिक दवा - बैक्टीरियल संक्रमण के उपचार के लिए एंटीबायोटिक दवा दी जा सकती है (22)। एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया को खत्म करके प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बना सकती हैं (16)
  • इम्युनोग्लोबुलिन उपचार (Intravenous Immunoglobulin) - यह एक प्रकार का प्रोटीन  है, जो बैक्टीरिया से जुड़ कर शरीर को सुरक्षा प्रदार कर सकता है। बैक्टीरियल इंफेक्शन के उपचार के लिए इंजेक्शन व नसों के जरिए बच्चों को इसकी खुराक दी जा सकती है (23)

इस भाग में पढ़ें बच्चों में बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव के तरीके।

बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव | Prevention of Bacterial Infection in Hindi 

बैक्टीरियल संक्रमण का जोखिम कम करने के लिए निम्नलिखित बचाव से जुड़ी बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • बैक्टीरिया से संक्रमित लोगों से दूर रहें
  • अच्छा, साफ-सुथरा व पोषण से भरपूर आहार खाएं
  • इम्यूनिटी कमजोर है, तो डॉक्टरी सलाह पर इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ व दवाएं लें
  • अपनी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। प्रदूषित जगह पर न जाएं
  • हाथों की सफाई का ध्यान रखें
  • लंबे समय से कोई बीमारी है, तो उसका उचित उपचार कराएं
  • बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव के लिए सही समय पर उचित टीकाकरण करवाएं (24)

हमेशा साफ-सफाई का ध्यान रखें। आहार में पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करें, इससे बैक्टीरियल इंफेक्शन से बच सकते हैं। अगर कभी बैक्टीरियल इंफेक्शन से जुड़े किसी भी लक्षण को लेकर संदेह हो, तो तुरंत उसका उचित इलाज कराएं।

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