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थकान, कमजोर हड्डियां, जोड़ों में दर्द है, कहीं विटामिन डी की कमी तो नहीं?

हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में कई प्रकार के विटामिन अहम भूमिका निभाते हैं। इनमें से कुछ विटामिन त्वचा और बालों के लिए जरूरी होते हैं, तो कुछ हड्डियों के लिए। इन्हीं में से एक है विटामिन-डी (1)। विटामिन डी हमारे शरीर के लिए क्यों अहम है, प्रकार, विटामिन डी की कमी के कारण के साथ ही आप विटामिन डी की कमी के लक्षण भी जानेंगे।

विटामिन डी के प्रकार से पहले जानें विटामिन डी की कमी का मतलब।

विटामिन डी की कमी क्या है?

शरीर में विटामिन डी की कमी का मतलब है कि शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी मौजूद नहीं है। विटामिन डी की कमी के लक्षण में शरीर की कमजोर होती हड्डियां अहम है। यही वजह है कि शरीर में विटामिन डी की कमी होने से हड्डियों से संबंधित रोग जैसे - ऑस्टियोपोरोसिस, ओस्टीयोमलेशिया और रिकेट्स का जोखिम भी बढ़ सकता है। साथ ही इसकी कमी हड्डियों और जोड़ों, खासकर पैरों की हड्डियों में दर्द होने का कारण भी बन सकता है (3)

विटामिन डी की कमी के बाद आगे पढ़ें विटामिन डी के प्रकार।

विटामिन डी के प्रकार - Types Of Vitamin D

विटामिन डी मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, पहला विटामिन डी 2 और दूसरा विटामिन डी 3। विटामिन डी के दोनों ही प्रकार के बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गई है (3)।

1. विटामिन डी 2: विटामिन डी 2 को एर्गोकैल्सीफेरोल (Ergocalciferol) भी कहा जाता है। यह मुख्य रूप से कुछ तरह के प्लांट्स या पौधों और यीस्ट में पाया जाता है। इसका इस्तेमाल विटामिन डी के फोर्टिफिकेशन और सप्लीमेंट्स बनाने में किया जा सकता है।

2. विटामिन डी 3: विटामिन डी 3 को कोलेकल्सीफेरोल (Cholecalciferol) के नाम से भी जाना जाता है। सामान्य तौर पर जब हमारी त्वचा सूर्य की रोशनी के संपर्क में आती है, तो त्वचा में विटामिन डी 3 का उत्पादन होता है। विटामिन डी 3 के कई स्त्रोत हैं, जिनमें विभिन्न आहार जैसे - वसायुक्त मछलियां, अंडा या अन्य मांसाहारी खाद्य शामिल हैं। इसके अलावा, कई तरह के फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों और सप्लीमेट्स के तौर पर भी विटामिन डी 3 प्राप्त किया जा सकता है।

विटामिन डी के प्रकार जानने के बाद आगे पढ़ें शरीर और विटामिन डी के बीच का संबंध।

विटामिन डी की आपके शरीर में क्या भूमिका है?

मुख्य तौर पर 13 प्रकार के विटामिन होते हैं, जिनमें विटामिन डी भी शामिल है। विटामिन डी ऐसा तत्व है, जो शरीर में कैल्शियम को अवशोषित (Absorption) करने में मदद करता है। कैल्शियम हड्डियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी माना गया है। 

दरअसल, विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों से संबंधित विकार जैसे - ऑस्टियोपोरोसिस और रिकेट्स आदि के जोखिम बढ़ सकते हैं। साथ ही यह तंत्रिका, मांसपेशियों और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में भी मददगार माना जाता है (4)। यही वजह है कि शरीर में विटामिन डी की उपयुक्त मात्रा बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

नोट : सामान्य रूप से एक स्वस्थ्य मनुष्य को प्रतिदिन 400 से 800 आईयू यानी 10 माइक्रोग्राम से 20 माइक्रोग्राम विटामिन डी की जरूरत होती है (5)। 

सूर्य की रोशनी आपकी विटामिन डी की कमी को पूरा कर सकती है या नहीं, जानने के लिए नीचे पढ़ें।

क्या हमें सूर्य से पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिल सकता है? - Vitamin D from sun in Hindi

विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए सूर्य की रोशनी को एक बेहतर विकल्प माना गया है। कहा जाता है कि सूर्य की रोशनी में समय बिताने मात्र से ही विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा को हासिल किया जा सकता है (6)। यह तभी संभव है, जब सूर्य की रोशनी सीधे शरीर पर पड़े।

इससे अलग धूप के संपर्क में अधिक देर तक रहने के कुछ दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। कारण यह है कि सूरज की रोशनी में शामिल अल्ट्रावायलेट किरणें शरीर पर जलन, खुजली और अन्य त्वचा संबंधी विकार पैदा कर सकती हैं (7)। 

इसलिए, विटामिन डी वाले आहार को अपनी डाइट में शामिल करके विटामिन डी की कमी से बचाव या उसकी कमी को पूरा किया जा सकता है। नीचे पढ़ें धूप के संपर्क में जाने का सही समय और साथ ही यह भी जानें कि धूप से बचाव करने के लिए क्या करें (7 ) (8)।

  • दोपहर के समय या तेज धूप में जानें से बचें। कोशिश करें कि दिन के 10 बजे से शाम के 4 बजें तक धूप में बाहर न जाएं। अगर धूप में निकल भी रहें हैं, तो छाते का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • सनबर्न होने से बचाव करें, क्योंकि इसकी समस्या बढ़ने से स्किन कैंसर और झुर्रियों का जोखिम बढ़ सकता है। इसके लिए धूप में जाने से 20 से 30 मिनट पहले एसपीएफ यानी सन प्रोटेक्शन फैक्टर 15 युक्त सनस्क्रीन या लोशन का इस्तेमाल करें। साथ ही, हर दो घंटे बाद भी इसका इस्तेमाल करते रहें। यह खसतौर पर, उस वक्त के लिए है जब धूप तेज हो। देखा जाए तो गर्मियों के मौसम में इसकी अधिक जरूरत पड़ सकती है।
  • धूप से बचाव करने वाले कपड़े पहनें।
  • सनग्लासेज पहनें। इससे आंखों को सूर्य के हानिकारक प्रभाव से बचाया जा सकता है।
  • धूप में जाते समय टोपी पहनें।
  • धूप का तापमान कितना है, यह जानने के लिए यूवी इंडेक्स की निगरानी भी कर सकते हैं।
  • पानी, बर्फ और रेत जैसी जगहों पर जानें से बचें, क्योंकि ऐसे स्थानों पर धूप का असर तेज हो सकता है, जो सनबर्न की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

धूप में रहने का समय : सप्ताह में कम से कम 3 बार 10 से 15 मिनट के लिए धूप के संपर्क में रहा जा सकता है (1)।

अब हम विटामिन डी की कमी का कारण बता रहे हैं।

शरीर में विटामिन डी की कमी होने के कारण - Causes of Vitamin D Deficiency in Hindi

अब सवाल यह उठता है कि विटामिन डी की कमी का कारण क्या है। आइए लेख के इस भाग में जानते हैं विटामिन डी की कमी का कारण क्या हो सकता है। तो विटामिन डी की कमी का कारण जानने के लिए नीचे दिए गए बिन्दुओं पर गौर करें।

  • पर्याप्त धूप का न मिल पाना विटामिन डी की कमी का मुख्य कारण हो सकता है।
  • त्वचा का रंग गहरा होना भी बड़ी वजह हो सकता है। माना जाता है कि गहरा रंग होने के कारण सूर्य के प्रकाश से विटामिन डी शरीर में ठीक से अवशोषित नहीं हो पाता या देर से होता है।
  • लिवर या किडनी के सही से काम न करने की वजह से भी शरीर में इसकी कमी हो सकती है।
  • हो सकता है कि किसी विशेष दवा के सेवन के कारण शरीर विटामिन डी को एक्टिव न कर पा रहा हो।
  • शरीर में विटामिन डी का कम स्तर होने के पीछे बढ़ती उम्र भी जिम्मेदार हो सकती है।
  • अन्य लोगों की तुलना में मोटे लोगों को विटामिन डी की अधिक आवश्यकता हो सकती है। इसलिए, मोटापे की समस्या भी विटामिन डी की कमी का एक कारण हो सकता है।
  • एनसीबीआई के अनुसार, गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी भी विटामिन डी की कमी का जोखिम बढ़ा सकती है। दरअसल, ऐसी स्थिति में शरीर में विटामिन डी का अवशोषित होना प्रभावित हो सकता है, जो विटामिन डी की कमी का कारण बन सकती है।
  • अत्यधिक सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना।
  • मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के कारण भी शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। यह सिंड्रोम होने से शरीर में विटामिन डी का अवशोषण प्रभावित हो सकता है।
  • मांसाहारी खाद्य के मुकाबले शुद्ध शाकाहारी और वीगन डाइट फॉलो करना भी विटामिन डी की कमी का कारण हो सकता है (9)

आगे लेख में हम विटामिन डी की कमी के लक्षण कैसे पहचाने जाए, इसके बारे में बात करेंगे।

विटामिन डी की कमी के लक्षण - Symptoms of Vitamin D Deficiency in Hindi

विटामिन डी की कमी के कारण जानने के बाद अब इसकी कमी के लक्षण जानना भी जरूरी है, ताकि वक्त रहते विटामिन डी की कमी से बचाव हो सके। तो ऐसे में विटामिन डी की कमी होने पर आपको कुछ इस प्रकार के लक्षण दिख सकते हैं (10) (11) (12) (13):

  • विटामिन डी के कमी के लक्षण के तौर पर हड्डियों में अक्सर दर्द की समस्या हो सकती है।
  • जरूरत से अधिक कमजोरी या थकान महसूस होना।
  • एक या एक से अधिक जोड़ों में दर्द (Arthralgias) होना।
  • मांसपेशियों में दर्द (Myalgias) होना।
  • मांसपेशियों में ऐंठन होना भी विटामिन डी 3 की कमी के लक्षणों में गिना जा सकता है।
  • उम्रदराज लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है। यह हड्डियों को कमजोर करने वाला एक प्रकार का हड्डी का रोग होता है।
  • विटामिन डी 3 की कमी के लक्षणों में मानसिक समस्याएं भी शामिल हो सकती हैं।
  • अवसाद की समस्या।
  • वहीं बच्चों में रिकेट्स का जोखिम हो सकता है, जो बच्चों की हड्डियां कमजोर कर सकता है।
  • बच्चों में आलस होना, उनका धीमा विकास होना और हड्डियों का टूटना भी विटामिन डी 3 की कमी के लक्षण हैं।

विटामिन डी की कमी से बचने के उपाय - Prevention Tips for Vitamin D Deficiency in Hindi

विटामिन डी की कमी होने के कारण हम ऊपर पहले ही बता चुके हैं। उन्हीं कारणों पर ध्यान देकर और कुछ अन्य टिप्स अपनाकर विटामिन डी की कमी के जोखिम को कम किया जा सकता है (12)।

  • आहर में विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें।
  • कुछ देर धूप में रहने के लिए समय निकालें।
  • जरूरत के अनुसार ही सनस्क्रीन लगाएं।
  • समय-समय पर डॉक्टर से शरीर में विटामिन डी का स्तर चेक करवाते रहें।
  • आवश्यकता होने पर डॉक्टरी सलाह पर विटामिन डी सप्लीमेंट्स का सेवन करें।

विटामिन डी की कमी से बचाव के लिए विटामिन डी की सही खुराक जानें।

विटामिन डी की मात्रा कितनी होनी चाहिए?

प्रतिदिन विटामिन डी की आवश्यकता व्यक्ति के उम्र के आधार पर निर्भर करती है। नीचे हम उम्र के अनुसार प्रतिदिन के लिए आवश्यक विटामिन डी की खुराक के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं (12)।

नवजात शिशुओं के लिए प्रतिदिन आवश्यक विटामिन डी की मात्रा :

  • जन्म से लेकर 12 महीने तक के शिशु के लिए - 10 माइक्रोग्राम (लगभग 400 IU)

छोटे बच्चों के लिए प्रतिदिन आवश्यक विटामिन डी की मात्रा :

  • 1 वर्ष से 8 साल की उम्र के बच्चों के लिए - 15 माइक्रोग्राम (लगभग 600 IU)

बड़े बच्चों और वयस्कों के लिए प्रतिदिन आवश्यक विटामिन डी की मात्रा :

  • 9 वर्ष से 70 साल की उम्र तक के लोगों के लिए - 15 माइक्रोग्राम (लगभग 600 IU)
  • 70 साल से बड़ी उम्र के व्यक्तियों के लिए - 20 माइक्रोग्राम (लगभग 800 IU)
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए - 15 माइक्रोग्राम (लगभग 600 IU)

नोट : कुछ स्वास्थ्य स्थितियों में शरीर में विटामिन डी की मात्रा की आवश्यकता कम या अधिक भी हो सकती है। इसलिए, विटामिन डी युक्त आहार के साथ ही विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टरी सलाह लें।

विटामिन डी के मुख्य स्रोत - Vitamin D Rich Foods in Hindi

इस भाग में हम विटामिन डी के मुख्य स्रोत की जानकारी दे रहे हैं। यहां बताए गए खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करके शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ाया जा सकता है। साथ ही विटामिन डी के कमी के जोखिम को कम किया जा सकता है। तो विटामिन डी के मुख्य स्रोत कुछ इस प्रकार हैं (1) (2) (12):

  • विटामिन डी के शाकाहारी स्रोत - पनीर, दही, चीज़, मक्खन और क्रीम, जैसे दूध और डेयरी उत्पाद, मशरूम।
  • विटामिन डी के मांसाहारी स्रोत - सालमन, झींगा व वसायुक्त अन्य मछलियां, कॉड लिवर ऑयल, अंडे की जर्दी या पीला भाग, आदि।
विटामिन डी की कमी से जुड़ी काफी जानकारी आपको मिल ही गई होगीा। इसके बारे में और जानने के लिए आप विटामिन डी के फायदे से संबंधित आर्टिकल पढ़ सकते हैं। याद रखें कि जिस विटामिन डी से शरीर को फायदे होते हैं, उसी विटामिन डी की अधिकता होने पर बहुत ज्यादा नुकसान भी हो सकते हैं। इसका जिक्र भी दूसरे लेख में किया गया है। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

मैं अपना विटामिन डी का स्तर कैसे बढ़ा सकता हूं?

शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ाने का सबसे अच्छा विकल्प सूर्य की रोशनी होती है। हालांकि, अगर आप
किसी कारण धूप से संपर्क नहीं रख पाते हैं, तो विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों के जरिए शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आप निम्नलिखित खाद्य सामग्रियों को आहार में शामिल कर सकते हैं (1) (12):

  • शाकाहारी लोगों के लिए : दूध, पनीर, दही, मक्खन और क्रीम जैसे अन्य डेयरी उत्पाद, मशरूम आदि।
  • मांसाहारी (नॉन वेज) लोगों के लिए : वसायुक्त मछली जैसे सालमन, कॉड लिवर ऑयल, अंडे की जर्दी आदि।

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