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ब्लड इन्फेक्शन (सेप्सिस): कारण, लक्षण व इलाज | Blood Infection In Hindi

सेप्सिस या ब्लड इन्फेक्शन एक जटिल मेडिकल कंडीशन है। ब्लड इंफेक्शन होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसकी जानकारी इस लेख में है। इसके अलावा, ब्लड इंफेक्शन के लक्षण और उपचार के बारे में भी बताया गया। समय रहते सेप्सिस का उपचार किया जा सके, इसलिए ब्लड संक्रमण से जुड़ी बातें पता होनी आवश्यक है।

सबसे पहले जानिए कि आखिर सेप्सिस या फिर ब्लड इन्फेक्शन कहा किसे जाता है।

खून में इन्फेक्शन या सेप्सिस क्या है? । What is Blood Infection or Sepsis in Hindi

सेप्सिस एक गंभीर मेडिकल कॉम्प्लिकेशन है। इसे शरीर में मौजूद संक्रमण के प्रति बॉडी की अति सक्रिय प्रतिक्रिया (extreme response) के रूप में देखा जाता है। यह तब होता है, जब पहले से ही शरीर में मौजूद संक्रमण पूरे शरीर में एक चेन रिएक्शन यानी प्रतिक्रिया को शुरू करता है। 

अगर समय पर उपचार न कराया जाए, तो यह टिशू डैमेज, ऑर्गन फेल्योर और यहां तक की मौत का कारण भी बन सकता है। यह समस्या कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। गर्भावस्था के दौरान भी यह समस्या देखी जा सकती है (1)। 

आगे जानिए सेप्सिस के स्टेजेस

खून में इन्फेक्शन के चरण। Stages of Sepsis Infection

सेप्सिस के चरणों को कुछ इस प्रकार समझा जा सकता है (2) (3) -

  1. सेप्सिस - यह तब होता है, जब संक्रमण से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम रक्त वाहिकाओं में केमिकल छोड़ता है और वो पूरे शरीर में सूजन का कारण बनता है। इसकी गंभीर स्थिति आगे चलकर सेप्टिक शॉक का कारण बन सकती है।

  1. सीवियर सेप्सिस (Severe Sepsis) - इसे ऑर्गन डिसफंक्शन या ऑर्गन फेल्योर के रूप में देखा जाता है। जैसे किडनी और लिवर फेल्योर।

  1. सेप्टिक शॉक (Septic Shock) - सेप्टिक शॉक एक गंभीर स्थिति है। यह तब होता है, जब शरीर का संक्रमण गंभीर निम्न रक्तचाप का कारण बनता है।

अब हम जानेंगे कि सेप्सिस किन वजहों से होता है।

खून में इन्फेक्शन होने का क्या कारण है? । Causes of Blood Infection

सेप्सिस निम्नलिखित वजहों से हो सकता है (4) (1)

  • जननांग पथ से जुड़ा संक्रमण (Genital Tract infection)

  • बैक्टीरियल संक्रमण (खासकर ई. कोलाई बैक्टीरिया)

  • निमोनिया जैसे संक्रमण

  • पेट, किडनी व मूत्राशय से जुड़ा संक्रमण

  • कोई घाव या चोट जो आगे चलकर संक्रमण का कारण बने

अब हम आगे जानेंगे सेप्सिस की पहचान कैसे हो सकती है।

सेप्सिस होने के लक्षण और संकेत। Sepsis or Blood Infection Symptoms

निम्नलिखित लक्षणों के जरिए सेप्सिस की पहचान की जा सकती है (4) -

  • योनि से गुलाबी रंग का डिस्चार्ज

  • पेल्विक यानी श्रोणि में दबाव

  • तेज बुखार (38.3 डिग्री सेल्सियस से अधिक यानी 100 डिग्री से अधिक)

  • बहुत कम तापमान (36 डिग्री सेल्सियस से कम यानी 96 डिग्री से कम)

  • पेट के निचले हिस्से में दर्द

  • तेजी से दिल धड़कना

  • तेज सांस लेना या सांस फूलना

  • सिरदर्द

  • मतली

  • योनि से रक्तस्राव

आगे पढ़िए, सेप्सिस का निदान कैसे किया जा सकता है।

खून में इन्फेक्शन का परीक्षण। Blood Infection Diagnosis in Hindi?

सेप्सिस की जांच के लिए डॉक्टर नीचे दी गई प्रक्रियाओं का सहारा ले सकते हैं (1)। 

  • मरीज की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछा जा सकता है।

  • सेप्सिस के लक्षणों के बारे में पूछा जा सकता है।

  • फिजिकल एग्जामिनेशन जैसे शरीर के तापमान और रक्तचाप की जांच की जा सकती है।

  • संक्रमण और ऑर्गन फेल्योर का पता लगाने के लिए कुछ लैब टेस्ट (जैसे ब्लड, यूरिन या अन्य टेस्ट) किए जा सकते हैं।

  • शरीर में संक्रमण की स्थिति और सोर्स का पता लगाने के लिए एक्स-रे ,अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन भी किया जा सकता है।

अगले भाग में पढ़िए कि सेप्सिस का इलाज कैसे किया जाता है।

ब्लड इन्फेक्शन का उपचार | Treatment of Blood Infection in Hindi

गर्भावस्था के दौरान सेप्सिस होने पर गर्भवती को जल्द से जल्द हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा सकता है, जहां डॉक्टर निम्नलिखित उपचार की प्रक्रिया को अपना सकते हैं (4)

  • रक्त प्रवाह – सबसे पहले डॉक्टर रक्त संचार को बेहतर करने का प्रयास करते हैं। इसके लिए इंट्रावेनस कैथेटर के जरिए व्यक्ति को तरल पदार्थ दिया जाता है। साथ ही नब्ज की रफ्तार व रक्तचाप का स्तर लगातार चेक किया जाता है, ताकि पता चले शरीर में तरल पदार्थ सही तरह से जा रहा है या नहीं।

    अगर इससे रक्त प्रवाह में सुधार नहीं होता, तो डॉक्टर हार्ट कैथेटर के जरिए स्थिति को मॉनिटर करते हैं। साथ ही डोपामाइन नामक हॉर्मोन की दवा दी जाती है। यह दवा हृदय की कार्यप्रणाली को बेहतर करती है, जिससे शरीर के सभी अंदरुनी अंगों तक रक्त का प्रवाह बेहतर होता है।

  • एंटीबायोटिक - संक्रमण की रोकथाम के लिए एंटीबायोटिक उपचार अपनाया जा सकता है। इसमें डॉक्टर गर्भवती महिला की स्थिति के अनुसार कुछ दवाएं दे सकते हैं।

  • वेंटिलेशन - ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखने के लिए गर्भवती को वेंटिलेशन पर रखा जा सकता है।

  • एक्सट्रॉस्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजिनेशन - रेस्पिरेटरी फेल्योर के दौरान यह उपचार प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। इस उपचार में पंप का इस्तेमाल करके एक कृत्रिम फेफड़े के माध्यम से ब्लड को वापस रक्त वाहिकाओं में प्रवेश कराया जाता है (5)

  • सर्जरी - कुछ मामलों में डॉक्टर सर्जरी भी कर सकते हैं। इसमें पेल्विस एरिया में जमा पस को निकाला जाता है या फिर पेल्विस के संक्रमित हिस्से को निकाला भी जा सकता है।

आगे जानिए सेप्सिस से बचने के उपाय।

ब्लड इन्फेक्शन से बचाव। How to Prevent Sepsis in Hindi

सेप्सिस से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जा सकता है - (1) (6)

  • स्वच्छता बनाए रखें और साफ पानी का प्रयोग करें।

  • शरीर की उचित देखभाल जरूरी है।

  • अपने शरीर के घावों का विशेष ध्यान रखें, जब तक वो पूरी तरह से भर नहीं जाते।

  • जरूरी टीकाकरण करवाएं।

  • खानपान और शरीर का पूरा ध्यान रखें।

  • किसी भी तरह की तकलीफ होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

  • डॉक्टर द्वारा दी गई दवा को समय और जिम्मेदारी के साथ लें।

  • अगर पहले से ही कोई स्वास्थ्य संबंधित समस्या है, तो डॉक्टर को इस विषय में जरूर बताएं।

आगे पढ़ें, सेप्सिस होने की स्थिति में डॉक्टर से परामर्श कब करें।

डॉक्टर से कब परामर्श करें?। When to consult a doctor?

लेख में बताए गए सेप्सिस के लक्षण दिखने पर या किसी घाव या संक्रमण के ठीक न होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह इमरजेंसी मेडिकल कंडीशन है। इससे स्वास्थ्य से जुड़े गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या खून में इन्फेक्शन से जान का खतरा हो सकता है?

हां, सेप्सिस या ब्लड इन्फेक्शन से इंसान को जान का खतरा हो सकता है। 

क्या गर्भावस्था के दौरान खून में इन्फेक्शन होने से बच्चे को हानि होती है?

हां, गर्भावस्था के दौरान सेप्सिस होने पर बच्चे को भी हानि हो सकती है। इसमें फेटल (foetal) इंफेक्शन यानी भ्रूण को होने वाला संक्रमण, समय से पहले जन्म और भ्रूण की मृत्यु तक शामिल है (7)

अब आप समझ गए होंगे कि गर्भावस्था में सेप्सिस एक गंभीर समस्या है, जिसका सही समय पर इलाज करवाना जरूरी है। जरा-सी लापरवाही के कारण मां के साथ-साथ होने वाले शिशु को भी जान का खतरा हो सकता है। इसलिए सेप्सिस के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

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