प्रस्तुतकर्ता
Sunita Regmi
Pregnancy
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डिस्लेक्सिया एक न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क व तंत्रिकाओं को प्रभावित करने वाली) स्थिति है (1)। इसे डेवलपमेंटल रीडिंग डिसऑर्डर भी कहते हैं। यह सीखने और पढ़ने से जुड़ी एक समस्या है। इसके होने पर मस्तिष्क कुछ प्रतीकों या चिह्नों की न तो सही पहचान कर पाता है और न ही उन्हें याद रख पाता है (2)।
मतलब इसके कारण अक्षर पहचानने, लिखने और बोलने में गलती हो सकती है। उदाहरण के तौर पर बच्चे का सीधे अक्षर को उल्टा लिखना, जैसे अंग्रेजी के छोटे लेटर में ‘b’ व ‘d’ लिखते समय उलझन महसूस होना।
अब बात करते हैं डिस्लेक्सिया से शिकार होने वाले बच्चों का आंकड़ा कितना गंभीर है।
भारतीय बच्चों में डिस्लेक्सिया होना आम माना जाता है। यह बात एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) पर प्रकाशित एक शोध से स्पष्ट है। शोध में माना गया है कि दक्षिण भारत में डिस्लेक्सिया जैसे स्पेशफिक लर्निंग डिसऑर्डर के मामले 16.49 फीसदी देखे गए।
इसमें 12.57 फीसदी बच्चों में पढ़ने, 15.6 फीसदी बच्चों में लिखने और 9.93 फीसदी बच्चों में गणित से जुड़ी परेशानी देखी गई। यह भी पाया गया है कि यह समस्या लड़कियों के मुकाबले लड़कों को अधिक प्रभावित करती है (3)।
यहां अब हम डिस्लेक्सिया के प्रकार के बारे में बताएंगे।
डिस्लेक्सिया के कई प्रकार होते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (4):
इस प्रकार के डिल्सेक्सिया में बच्चे शब्दों को पढ़ तो पाते हैं, लेकिन उनकी स्थिति की सही पहचान करने में कठिनाई महसूस करते हैं। जैसे कोई शब्द लिखने के लिए कहा जाए, तो अक्षरों को आगे-पीछे लिखना।
कुछ अंग्रेजी शब्दों के उदाहरण के तौर पर ‘Cloud’ को ‘Could’ लिखना, ‘Fried’ को ‘Fired’ लिखना या ‘Dairy’ को ‘Diary’ लिखना आदि (4)। इसे प्राथमिक डिस्लेक्सिया का लक्षण माना जाता है (5)।
अटेंशनल डिस्लेक्सिया की स्थिति में बच्चा अक्षरों व शब्दों की सही पहचान कर सकता है, लेकिन अगले शब्द के अक्षर पर उसे उलझन होती है। उदाहरण के तौर पर, ‘Fig Tree’ को ‘ Fig Free’ या ‘Tie Tree’ लिखना (6)।
इस प्रकार के डिस्लेक्सिया में बच्चे एक सामान दिखाई देने वाले अक्षरों को पहचानने और उनका उच्चारण (एनकोड) करने में कठिनाई महसूस होती है। उदाहरण के तौर पर, ‘TRIAL’ को ‘TRAIL’ पढ़ सकते हैं और ‘JUGDE’ को ‘JUDGE’ पढ़ सकते हैं (7)।
नेगलेक्ट डिस्लेक्सिया बच्चे के पढ़ने की क्षमता प्रभावित करता है। इसके कारण बच्चा पढ़ते समय गलतियां कर सकता है। बच्चा किसी शब्द को पढ़ते समय शुरुआती अक्षरों को पढ़ना भूल सकता है या उस शब्द के उच्चारण में नए अक्षर जोड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर बच्चा ‘Lend’ को ‘Blend’ पढ़ना (8)।
इस प्रकार के डिस्लेक्सिया के कारण बच्चा दिखने वाले सामान शब्द के आधार पर शब्दों को पढ़ने लगता है। इसकी वजह से बच्चा शब्दों को पढ़ते समय उसमें नए शब्द जोड़ता है या किसी शब्द को न पढ़ने की गलतियां करने लगता है (4)।
सरफेस डिस्लेक्सिया में बच्चे को शाब्दिक ज्ञान की कमी होती है। इस वजह से बच्चा बार-बार पढ़ने वाले शब्दों का उच्चारण सही से कर सकता है, लेकिन उस शब्द के जैसा मिलता-जुलता शब्द देखने पर उसका उच्चारण गलत कर सकता है (4)।
इस प्रकार का डिस्लेक्सिया होने पर बच्चे को एक जैसे दिखने वाले दूसरे शब्दों को पढ़ने व लिखने में कठिनाई हो सकती है। उदाहरण के तौर पर अंग्रेजी का ‘p’ व ‘b’ शब्द। क्योंकि इस तरह के शब्द एक-दूसरे के उल्टे प्रतिबिंब को दर्शाते हैं (4)।
डीप डिस्लेक्सिया का कारण सिर की चोट, स्ट्रोक, बीमारी या कोई ऑपरेशन हो सकता है। इसके कारण बच्चा शब्दार्थ या वाक्य का प्रतिस्थापन (किसी वस्तु के साथ उसके सही कार्य को दर्शाने) में कठिनाई हो सकती है।
उदाहरण के तौर पर बच्चा ‘कुत्ता’ पढ़ सकता है, लेकिन वह ‘भौंकता है’ या ‘म्याऊं करती है’, इसका चयन करने में असमर्थ हो सकता है। इसी तरह बच्चा नींबू खट्टा है या नमकीन है, यह भी बताने में असमर्थ हो सकता है (4)।
सिमेंटिक ऐक्सेस डिस्लेक्सिया की स्थिति में शब्दों को याद रखने की क्षमता (शब्दावली) और ध्यान लगाने की क्षमता कम हो सकती है। इसके कारण पढ़ते समय बच्चे का ध्यान केंद्र से भटक सकता है और वाक्यों का अर्थ स्पष्ट रूप से समझने में असमर्थता होती है। इस डिस्लेक्सिया से ग्रसित बच्चे नए शब्दों, आकार में छोटे या लिखावट में बड़े शब्दों को पढ़ने में गलतियां कर सकते हैं (4)।
इस भाग में हम डिस्लेक्सिया का कारण जानेंगे।
जैसा लेख में बता चुके हैं कि डिस्लेक्सिया एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसका एक कारण आनुवंशिकता भी हो सकता है। इसके अलावा, बच्चों में डिस्लेक्सिया होने के कारण क्या-क्या हैं, इसकी जानकारी नीचे दी गई है (5)।
अब हम किन बच्चों में डिस्लेक्सिया का खतरा अधिक होता है, यह बताएंगे।
कुछ विशेष स्थितियां बच्चों में डिस्लेक्सिया होने का जोखिम बढ़ा सकती हैं। यह स्थितियां कुछ इस प्रकार हैं (5):
यहां अब हम बच्चों में डिस्लेक्सिया के लक्षण बताएंगे।
बच्चों में डिस्लेक्सियां पढ़ने-लिखने व सीखने संबंधी एक समस्या है। ऐसे में आमतौर पर स्कूल जाना शुरू करने के बाद ही बच्चों में डिस्लेक्सिया होने के लक्षण पहचानते हैं। यहां हम उन लक्षणों को उम्रवार बताने का प्रयास कर रहे हैं।
स्कूल जाने की उम्र के पहले के लक्षण (3 साल से छोटे बच्चों में डिस्लेक्सिया होने के लक्षण) कुछ इस प्रकार हैं (9) :
स्कूल जाने की उम्र में दिखाई देने वाले लक्षण (3 साल से बड़े बच्चों में डिस्लेक्सिया होने के लक्षण) कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (5) :
किशोरावस्था व इसके बाद के चरण की उम्र में दिखाई देने वाले लक्षण (13 वर्ष व इससे बड़ी उम्र के बच्चों में डिस्लेक्सिया होने के लक्षण) इस प्रकार हैं (10) :
अब आगे हम डिस्लेक्सिया से बचाव के तरीके जानेंगे।
डिस्लेक्सिया, जीन व आनुवंशिक स्थिति है। इसी वजह से किसी डिस्लेक्सिया होने से रोका नहीं जा सकता। हां, बच्चे के शुरुआती लक्षणों की पहचान करके इन लक्षणों में कुछ हद तक सुधार लाया जा सकता है। एनसीबीआई पर प्रकाशिक एक अध्ययन के मुताबिक, बच्चों को पांच साल की उम्र या इससे छोटी उम्र में किंडरगार्डन (प्ले वे स्कूल) में भेजने से उनके लक्षणों की शुरुआती पहचान की जा सकती है (5)।
शुरुआती लक्षणों की पहचान करके, बच्चे को इस तरह के स्कूल या कार्यक्रम में शामिल किया जा सकता है, जहां पर निम्नलिखित गतिविधियों की मदद से बच्चे की सहायता की जा सकती है (10)।
अब यहां हम डिस्लेक्सिया की जांच और उसकी पुष्टि के लिए अपनाए जाने वाले तरीके जानेंगे।
वर्तमान में बच्चों में डिस्लेक्सिया का निदान करने के लिए किसी तरह के रक्त परीक्षण या मस्तिष्क इमेजिंग टेस्ट का विकल्प उपलब्ध नहीं है। इस वजह से इसका निदान करने के लिए बच्चे के लक्षणों की निगरानी की जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट बच्चे के पढ़ने-लिखने के तरीके व व्यवहार का आंकलन करके इसका पता लगाते हैं (5)। इसके लिए किस तरह की स्थितियों पर निगरानी रखी जाती है, यह नीचे पढ़ सकते हैं (2):
बच्चों में डिस्लेक्सिया का उपचार कैसे होता है, आइए अब यह जानते हैं।
वर्तमान समय में बच्चों में डिस्लेक्सिया का इलाज करने के तरीके उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों में सीखने, समझने व अन्य कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित विकल्पों की अपनाया जा सकता है।
अंत में जानिए डिस्लेक्सिया से होने वाली जटिलताएं क्या हैं।
बच्चों में डिस्लेक्सिया होने के कारण निम्नलिखित जटिलाताएं हो सकती है (2)।
आपको बच्चों में डिस्लेक्सिया होने के कारण, निदान, लक्षण और निवारण संबंधी बातें जानने को मिलीं। आपके किसी जानने वाले को डिस्लेक्सियो हो, तो उसका मनोबल बढ़ाने का प्रयास करें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
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