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फूड पॉइजनिंग होने के कारण व इलाज | Food Poisoning in Hindi

खानपान में लापरवाही बरतने पर या फिर साफ-सफाई का ध्यान न रखने से फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। इससे सामान्य व्यक्ति से लेकर गर्भवती महिला तक प्रभावित होती है। इस समय हर चीज सोच-समझ कर खाने की सलाह दी जाती है। 

इस आर्टिकल में हम फूड पॉइजनिंग के विषय पर बात करेंगे और बताएंगे कि इसकी चपेट में आ जाएं, तो कैसे घरेलू नुस्खों से इसे ठीक किया जा सकता है।

लेख की शुरुआत फूड पॉइजनिंग की परिभाषा के साथ करते हैं।

क्या है फूड पॉइजनिंग?

फूड पॉइजनिंग को संक्रामक रोग माना गया है। यह बीमारी बासी भोजन करने या फिर खाना बनाते वक्त साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखने से होती है। दूषित भोजन से शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया और विभिन्न तरह के वायरस उत्पन्न होते हैं, जो फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं (1)।  

फूड पॉइजनिंग होने की सबसे बड़ी वजह स्टैफिलोकोकस व ई. कॉली नामक बैक्टीरिया है, जो किसी किसी भी तरह के भोजन को संक्रमित कर सकता है। इसके कारण उल्टी व डायरिया भी हो सकता है (2)

अब जानते हैं फूड पॉइजनिंग होना आम है या किसी-किसी को होता है।

फूड पॉइजनिंग होना कितना आम है?

कीटाणुओं का प्रेवश जब खाने के जरिए शरीर में होते हैं, तो उसे कंटैमिनेशन कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विकासशील देशों में फूड पॉइजनिंग के प्रतिवर्ष करीब 10 करोड़ मामले सामने आते हैं (1)। 

प्रेगनेंसी में इसका खतरा और ज्यादा रहता है, क्योंकि गर्भवती महिला का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने से विभिन्न तरह की बीमारियां जैसे फूड पॉइजनिंग हो सकती है।

लेख के अगले हिस्से में हम फूड पॉइजनिंग के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानते हैं।

फूड पॉइजनिंग के प्रकार

लोगों में फूड पॉइजनिंग के प्रकार निम्न रूप के हैं:

  1. लिस्टेरियोसिस - लिस्टेरियोसिस फूड पॉइजनिंग का प्रकार है। अगर आप कच्ची सब्जी या कच्चा मीट खाते हैं, तो लिस्टेरियोसिस इंफेक्शन होने का अंदेशा बना रहता है।

    यह इंफेक्शन लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो कच्ची सब्जियों, कच्चे मांस व डेयरी प्रोडक्ट्स में हो सकता है। लिस्टेरियोसिस ऐसा संक्रमण है, जो सामान्य लोगों की तुलना में गर्भवती महिलाओं 20 गुना ज्यादा हो सकता है।

    प्रेगनेंसी के दौरान इस तरह के संक्रमण होने से समय पूर्व शिशु का जन्म, गर्भ में बच्चे की जान को खतरा या लंबे समय के लिए स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं (3)
  1. टोक्सोप्लाज्मोसिस - यह फूड पॉइजनिंग का वो गंभीर प्रकार है, जो टॉक्सोप्लाजमा गोंडी पैरासाइट के कारण होता है। इस इन्फेक्शन का खतरा बिल्ली से होता है, इसलिए जो लोग बिल्ली पालने का शौक रखते हैं, वो जान लें कि बिल्ली के मल से यह इंफेक्शन हो सकता है। यह इंफेक्शन होने से गर्भपात की आशंका हो सकती है (4)
  1. सालमोनेलोसिस - यह इंफेक्शन गली-मोहल्ले में घूमने वाले जानवरों से होता है। इससे डिहाइड्रेशन और रक्त कोशिकाओं में हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं।

    सालमोनेलोसिस गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे में हो सकता है, जिसके कारण पैदा हुए बच्चों को डायरिया या फिर मेनिनजाइटिस की समस्या हो सकती है। मस्तिष्क व स्पाइनल कॉर्ड में सूजन आने को मेनिनजाइटिस कहा जाता है (5)

जब कीटाणु खाने के जरिए शरीर में आते हैं, तो उसे कंटैमिनेशन कहा जाता है।अगले हिस्से में फूड पॉइजनिंग के लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।

फूड पॉइजनिंग के लक्षण क्या हैं?

फूड पॉइजनिंग के लक्षण इस प्रकार हैं (6) (7):

  • पेट में लगातार दर्द का होना
  • पेट में मरोड़ का अहसास होना
  • दस्त लगना (साथ में खून आना)
  • ठंड लगकर बुखार आना
  • सिर में दर्द का होना
  • मतली और उल्टी
  • शारीरिक कमजोरी

लक्षण जानने के बाद अब हम इस समस्या के प्रमुख कारणों पर चर्चा करेंगे।

फूड पॉइजनिंग के कारण क्या होते हैं?

फूड पॉइजनिंग के लक्षणों की तरह ही इसके कारण भी जानना आवश्यक है। इसके कारणों के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (6)

  • खाना बनाते समय सफाई की अनदेखी करना, जिसके कारण हानिकारक बैक्टीरिया मीट को दूषित कर सकते हैं।
  • खेत में सिंचाई के समय नाले का या गंदे कुएं का पानी इस्तेमाल करने से भी फल व सब्जियां संक्रमित हो सकती हैं।
  • खाने-पीने की चीजों को हाथ धोए बिना छूना और खाना।
  • किसी भी तरह के डेयरी उत्पाद को मार्केट से लाने के बाद फ्रिज की जगह बाहर खुले में रखना।
  • कच्चे मांस को खाना।
  • बाजार से लाई हुई कच्चे फल या सब्जियों को बिना धोए पकाना और फिर खाना।
  • प्यास लगने पर किसी भी तरह के पानी का सेवन जैसे कुएं, तालाब या बिना फिल्टर किया हुआ पानी पीना।

कई तरह के हानिकारक बैक्टीरिया भी फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं, जैसे :

  • कैम्पिलोबैक्टर एंटरटाइटिस - यह एक तरह का इन्फेक्शन है, जिसकी शुरुआत पेट से होते हुए पेट के अंदर मौजूद कई कोशिकाओं में होती है। इस तरह का इंफेक्शन होने से पेट में दर्द हो सकता है और पेट खराब हो सकता है। इस तरह के इंफेक्शन से बचने के लिए किसी भी खाने को खासतौर से मांसाहारी खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह से धोकर सफाई के साथ बनाकर खाना चाहिए (8)
  • कॉलरा (Cholera) - कॉलरा यानी हैजा से पेट खराब होने की गंभीर समस्या हो सकती है। अगर इसका समय पर इलाज न हो, तो ये जानलेवा हो सकती है। दरअसल, हैजा में दस्त होने पर शरीर में पानी की भारी कमी हो सकती है। इसलिए, इस स्थिति में पानी ज्यादा से ज्यादा पीने की सलाह दी जाती है (9)
  • ई.कॉली (E. Coli) - ई-कॉली ऐसा संक्रमण है, जो दूषित खाना और दूषित पानी की वजह से होता है (10)
  • ज्यादा दिन की फिश - ज्यादा दिन की फिश को खाना खतरे से खाली नहीं होगा, क्योंकि इस तरह की फिश में हानिकारक बैक्टीरिया का प्रवेश होता है। इसे खाने पर सारे बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर को क्षति पहुंचा सकते हैं (11)
  • साल्मोनेला - साल्मोनेला बैक्टीरिया का हानिकारक प्रभाव कॉलरा बैक्टीरिया जैसा ही है। इसमें दस्त की समस्या होती है और पानी की कमी हो जाती है। किसी भी खाद्य पदार्थ को पचाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए इसमें हल्का खाना ही मरीज को खिलाया जाता है (5)

आइए, अब जान लेते हैं कि इस समस्या का मेडिकल ट्रीटमेंट क्या है।

Food Poisoning  During Pregnancy In Hindi-1

फूड पॉइजनिंग का इलाज कैसे किया जा सकता है?

फूड पॉइजनिंग होने पर बिना देरी किए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर इस समस्या का निम्न प्रकार से उपचार कर सकते हैं (5):

  • हाइड्रेटेड रहें - फूड पॉइजनिंग की अवस्था में उल्टी और दस्त शुरू हो सकते हैं। इससे डिहाइड्रेशन हाे सकता है, जो गर्भवती महिला के लिए खतरनाक स्थिति है। इससे निपटने के लिए डॉक्टर पर्याप्त पानी, सूप या फिर ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सिस्टम) का घोल पीने की सलाह दे सकते हैं। इससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर को संतुलित किया जा सकता है ।
  • कारण की पहचान करें - इस समस्या के पीछे मुख्य कारण क्या है, इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ मेडिकल टेस्ट कर सकते हैं। अब किसके लिए कौन-सा मेडिकल टेस्ट सही है, यह डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं।
  • एंटीबायोटिक - कारण की सही पहचान होने पर डॉक्टर उचित एंटीबायोटिक दे सकते हैं। ये एंटीबायोटिक दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए।

लेख के इस भाग में फूड पॉइजनिंग से निपटने के लिए जरूरी घरेलू उपचार बताए गए हैं।

फूड पॉइजनिंग में कौन-से घरेलू नुस्खे अपनाने चाहिए?

मेडिकल ट्रीटमेंट के साथ-साथ कुछ घरेलू नुस्खे भी हैं, जो इस समस्या से उबरने में मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं फूड पॉइजनिंग के घरेलू उपायों के बारे में।

  • जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए। इससे शरीर में जमा सभी विषाक्त पदार्थ बाहर निकल सकते हैं।
  • फूड पॉइजनिंग होने पर नरम, हल्के और आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इससे पाचन तंत्र को सही प्रकार से काम करने में मदद मिल सकती है।
  • गर्भवती महिला को दूध व दूध से बने खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • इस अवस्था में प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है, जैसे कि दही।
  • पूरी तरह से बाहर के खाने और पैक व डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
  • नारियल पानी का सेवन किया जा सकता है। इसे इलेक्ट्रोलाइट का सबसे बेहतर स्रोत माना गया है।

अब जानते हैं कि फूड पॉइजनिंग होने से किस बात का खतरा रहता है।

फूड पॉइजनिंग से बचाव कैसे करें?

फूड पॉइजनिंग से बचाव के टिप्स कुछ इस तरह हैं  (12):

  • खाने से पहले अपने हाथों को साबुन से अच्छे से साफ करें।
  • कच्चे मीट, मछली व अड्डों के लिए उपयोग किए गए बर्तनों में खाना बनाने से पहले उन्हें अच्छी तरह साफ करें।
  • मांसाहारी खाद्य पदार्थों व अंडे को कच्चा या अधपका खाने से बचें।
  • रेफ्रिजरेटर को लगभग 40° F (4.4° C) और फ्रीजर को 0° F (-18° C) या उससे नीचे के तापमान पर रखें।
  • 1-2 दिन से ज्यादा समय तक फ्रिज में रखे बिना पके मांस को न खाएं।
  • उन खाद्य पदार्थों का उपयोग न करें जिनकी गंध अच्छी न हो या फिर खाने का स्वाद बदल गया हो।
  • हमेशा साफ और फिल्टर किया पानी ही पिएं।

फूड पॉइजनिंग से ठीक होने में कितना समय लगता है?

फूड पॉइजनिंग का प्रभाव परहेज करने से कुछ ही दिन में कम हो जाता है। साथ ही यह प्रत्येक व्यक्ति के इम्यून सिस्टम व स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है। हां, अगर अवस्था गंभीर हो, तो इसे ठीक होने में समय लग सकता है (6)

डॉक्टर से कब परामर्श करें?

अगर जरा भी महसूस होता है कि फूड पॉइजनिंग है और उसके साथ मतली, उल्टी या दस्त के लक्षण दिखें, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस दौरान  इंतजार नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहिए।

फूड पॉइजनिंग में अपने खानपान पर पूरा ध्यान दे, ताकि ऐसी किसी भी अवस्था से बचा जा सके। हां, अगर तमाम सावधानियों के बावजूद इसका शिकार हो जाते हैं, तो बिना समय गंवाए डॉक्टर के पास जाएं। साथ ही ऊपर लेख में बताए गए घरेलू उपचार का पालन करना चाहिए।

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