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एनीमिया के कारण, लक्षण और इलाज - Hemolytic Anemia in hindi

भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोग अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाते, जिस वजह से वे आसानी से कई बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। समय रहते अगर इनके बारे में पता चल जाए तो ठीक है, वरना इसके गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ जाते हैं। 

ऐसी ही एक बीमारी है हेमोलिटिक एनीमिया। यहां हम हेमोलिटिक एनीमिया का कारण व हेमोलिटिक एनीमिया के लक्षण के साथ इसके इलाज और बचाव के तरीके भी बताएंगे।

सबसे पहले जानते हैं कि हेमोलिटिक एनीमिया क्या है।

हेमोलिटिक एनीमिया क्या है?

हेमोलिसिस वो प्रक्रिया है, जिसमें शरीर सामान्य रूप से स्प्लीन या फिर अन्य भागों में पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देता है (1)। जब हेमोलिसिस से अधिक लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होती है, तो हेमोलिटिक एनीमिया होता है। हेमोलिटिक एनीमिया, एनीमिया का ही एक स्वरूप है। 

अगर इसे और भी आसान भाषा में समझें तो एनीमिया की स्थिति में शरीर में पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बन पाती हैं। आमतौर पर ये लाल रक्त कोशिकाएं शरीर में लगभग 120 दिनों तक रहती हैं, लेकिन हेमोलिटिक एनीमिया की स्थिति में ये लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य से पहले ही नष्ट हो जाती हैं (2)।

हेमोलिटिक एनीमिया इन हिंदी में अब जानते हैं हेमोलिटिक एनीमिया होने के कारण क्या हो सकते हैं।

हेमोलिटिक एनीमिया होने का कारण – Causes of Hemolytic Anemia in Hindi

हेमोलिटिक एनीमिया के कई संभावित कारण हैं, जो लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं (2):

  • हेमोलिटिक एनीमिया का एक कारण ऑटोइम्यून समस्या है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।
  • लाल रक्त कोशिकाओं में आनुवंशिक दोष जैसे सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया आदि भी हेमोलिटिक एनीमिया का कारण बन सकता है।
  • कई बार कुछ दवाओं, केमिकल या फिर विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से भी हो सकता है।
  • संक्रमण भी इसका कारण बन सकता है।
  • रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के बनना।
  • किसी ऐसे व्यक्ति से खून लेना जो उसके खून के प्रकार से मेल नहीं खाता हो।

कारण जानने के बाद लेख में आगे हेमोलिटिक एनीमिया के लक्षण के बारे में जानेंगे ।

हेमोलिटिक एनीमिया के लक्षण – Symptoms of Hemolytic Anemia in Hindi

यदि एनीमिया हल्का है तो इसके लक्षण सामने नहीं आते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हेमोलिटिक एनीमिया की समस्या बढ़ती है तो ये लक्षण दिखने शुरू होते हैं तो आइए जानते हैं इनके लक्षणों के बारे में (2) (1):

  • सामान्य से अधिक कमजोर या थका हुआ महसूस करना
  • व्यायाम करने पर ऐसा महसूस होना कि दिल तेजी से धड़क रहा है या दौड़ रहा है
  • सिर दर्द का अनुभव
  • चक्कर आना
  • त्वचा का पीला होना
  • ध्यान केंद्रित करने या फिर सोचने में समस्या

यदि एनीमिया की समस्या बढ़ गई है तो ये निम्न लक्षण दिख सकते हैं:

  • खड़े होने पर हल्कापन या चक्कर आना
  • त्वचा का पीला पड़ना
  • सांसों की कमी महसूस होना
  • जीभ में छाले होना
  • बढ़ी हुई तिल्ली (प्लीहा/स्प्लीन)
  • ठंड लगना
  • बुखार
  • पीठ और पेट में दर्द

हेमोलिटिक एनीमिया के लक्षण जानने के बाद अगले भाग में जानिए हेमोलिटिक एनीमिया के जोखिम कारक क्या हैं।

हेमोलिटिक एनीमिया के जोखिम कारक – Risk Factors of Hemolytic Anemia in Hindi

हेमोलिटिक एनीमिया के जोखिम कारक एनीमिया के समान ही होते हैं, क्योंकि यह एनीमिया का ही स्वरूप है (2)। आइए जानते हैं हेमोलिटिक एनीमिया के जोखिम कारक (3):

    • मासिक धर्म की अधिकता
    • गर्भावस्था
    • अल्सर
    • कोलन कैंसर
    • अनुवांशिक विकार
    • आहार में आयरन, फोलिक एसिड या विटामिन बी 12 की कमी
    • ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज (G6PD) की कमी, यह एक आनुवांशिक विकार है, जो अक्सर पुरुषों को प्रभावित करता है।

लेख में आगे जानें हेमोलिटिक एनीमिया के निदान कैसे होता है।

हेमोलिटिक एनीमिया के निदान- Diagnosis of Hemolytic Anemia in Hindi

हेमोलिटिक एनीमिया के निदान के लिए डॉक्टर निम्नलिखित सवाल पूछ सकते हैं व रोग की पुष्टि करने के लिए कुछ खास परीक्षण की सलाह दे सकते हैं (1)।

  • शारीरिक परीक्षण: सबसे पहले डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री से जुड़े सवाल पूछने के साथ शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं।
  • ब्लड टेस्ट: डॉक्टर सीबीसी टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं जिससे एनीमिया का पता चल सकेगा। सीबीसी टेस्ट के जरिए खून के कई अलग-अलग हिस्सों और विशेषताओं को मापा जा सकता है (4)।
  • बोन मैरो टेस्ट : इसमें बोन मैरो द्रव की जांच की जाती है। इससे खून में मौजूद कोशिकाओं या असामान्य कोशिकाओं की संख्या, आकार और स्तर का पता चल सकता है (5)।
  • इसके अलावा यूरिन टेस्ट या फिर आनुवंशिक परीक्षण के लिए भी डॉक्टर कह सकते हैं।

इस भाग में हम हेमोलिटिक एनीमिया का इलाज से जुड़ी जानकारी देंगे।

हेमोलिटिक एनीमिया का इलाज – Treatment of Hemolytic Anemia in Hindi

हेमोलिटिक एनीमिया का उपचार रोगियों में उसके प्रकार और कारण पर निर्भर करता है (2):

  • इमरजेंसी हालात में हेमोलिटिक एनीमिया के उपचार के दौरान खून चढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है। इससे नष्ट हो चुकी लाल रक्त कोशिकाएं नई रक्त कोशिकाओं में बदलने लगती हैं।
  • अगर इम्यून की अति सक्रियता के कारण यह समस्या हो रही है तो ऐसी दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो इम्यून सिस्टम को दबाने यानी उसकी अतिसक्रियता को घटाने में मदद कर सके।
  • इसके अलावा, अगर रक्त कोशिकाएं तेजी से खत्म हो रही हों तो ऐसे में फोलिक एसिड और आयरन के खुराक की भी सलाह दी जा सकती है। इसके सेवन से रक्त कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
  • वहीं, कुछ दुर्लभ मामलों में स्प्लीन को बाहर निकालने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। स्प्लीन पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है। इसे हटाने से लाल रक्त कोशिकाओं को तेजी से नष्ट होने से रोका जा सकता है।

अब जानते हैं कि हेमोलिटिक एनीमिया से बचाव कैसे किया जा सकता है।

हेमोलिटिक एनीमिया से बचने के उपाय – Prevention Tips for Hemolytic Anemia in Hindi

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि हेमोलिटिक एनीमिया एक ही स्वरूप है ऐसे में एनीमिया से बचाव को अपनाकर इससे बचा सकता है। आइए जानते हैं इससे बचने के उपाय :

  • अपने खानपान में संतुलित आहार जैसे डेयरी खाद्य पदार्थ, दुबला मांस, नट और फलियां, ताजे फल और सब्जियों को शामिल करें (6)।
  • एनीमिया के इलाज में आमतौर पर शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने की सलाह दी जाती है (2)। ऐसे में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे लीन मीट और चिकन, हरी पत्तेदार सब्जियां व बीन्स को शामिल किया जा सकता है (7)।
  • ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं और पिएं जो शरीर में आयरन के अवशोषण में मदद कर सकते हैं, जैसे संतरे का रस, स्ट्रॉबेरी, ब्रोकोली, या विटामिन सी युक्त फल और सब्जियां (7)।
  • भोजन के साथ कॉफी या चाय पीने से बचें। ये पेय पदार्थ आयरन के अवशोषण में रुकावट पैदा कर सकते हैं (7)।
  • इसके अलावा अगर कोई कैल्शियम की गोलियां ले रहा है, तो उसे भी अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। दरअसल, कैल्शियम शरीर में आयरन के अवशोषण में बाधा डाल सकता है (8)।

हेमोलिटिक एनीमिया से जुड़े इस लेख को पढ़कर इसके बारे में काफी कुछ जान गए होंगे। इस लेख में हमने बताया है कि यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है, इसलिए जितना हो सके इसके प्रति जागरूक रहें। अगर हेमोलिटिक एनीमिया के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या हेमोलिटिक एनीमिया इलाज योग्य है?

हां, बिल्कुल अगर हेमोलिटिक एनीमिया के लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें। वो इसका उपचार हेमोलिटिक एनीमिया के प्रकार और कारण के अनुरूप ही करेंगे (2):

  • डॉक्टर इसके लिए खून चढ़ा सकते हैं
  • दवाइयां दे सकते हैं
  • वहीं कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी की भी सलाह दे सकते हैं

एनीमिक होने पर किन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए?

एनीमिया होने के दौरान शरीर में आयरन की आवश्यकता होती है। ऐसे में खाने के दौरान चाय व कॉफी जैसे पेय पदार्थों के सेवन से बचें, क्योंकि ये पदार्थ आयरन के अवशोषण में बाधा डालते सकते हैं (7)। वहीं अगर कैल्शियम की गोलियां ले रहे हैं तो डॉक्टर से बात करें क्योंकि कैल्शियम शरीर में आयरन के अवशोषण में बाधा डाल सकता है (8)।

हेमोलिटिक एनीमिया का निदान कब किया जाता है?

हेमोलिटिक एनीमिया कई प्रकार के होते हैं, जिनका निदान डॉक्टर एनीमिया के अंतर्निहित कारण के आधार पर करते हैं (1)।

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