कुछ व्यक्ति मसूड़ों से खून आने का अनुभव करते हैं, जिसे लेकर उनका चिंतित होना लाजमी है। मसूड़ों में सूजन या खून आने की समस्या कितनी गंभीर है, इसके पीछे के कारण और लक्षणों पर यहां चर्चा की गई है। साथ ही प्रेगनेंसी में मसूड़ों में सूजन या खून आने की समस्या भ्रूण व शिशु को कैसे प्रभावित करती है, इसके बारे में भी जानकारी दी गई है। बस तो इन सबके बारे में जानने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।
सूजे व खून वाले मसूड़ों की समस्या कितनी सामान्य हैं, यह जानने के लिए लेख पढ़ें।
मसूड़ों से खून आना व सूजन होना सामान्य है? | Pregnancy mein masudo se khoon aana
हां, अन्य समस्याओं की तरह ही मसूड़ों से खून आना व मसूड़ों में सूजन होना सामान्य है। मेडलाइन की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान सूजे हुए मसूड़े से खून आने की समस्या सामान्य स्थिति है (1)। हार्मोनल बदलाव के कारण पेरियोडोंटल बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। इसे मेडिकल टर्म में जिंजीवाइटिस (Gingivitis) कहा जाता है (2)।
अब पढ़ें मसूड़ों से खून आने के कारण।
मसूड़ों से खून आने का क्या कारण है? Causes of Bleeding Gums in Hindi
मसूड़ों से खून आने का कारण विभिन्न स्थितियों में अलग-अलग हो सकता है। इनमें से कुछ सामान्य कारण नीचे विस्तार से पढ़ें।
- हार्मोनल बदलाव - गर्भावस्था के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण इस दौरान मसूड़ों से खून आ सकता है (3)। दरअसल, गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तरों में बदलाव देखा जाता है।
ऐसा खासकर तीसरी तिमाही में होता है। इस वजह से मसूड़ों के उत्तकों की कोशिकाएं कमजोर होकर सूख सकती हैं और रक्त वाहिकाएं अधिक फैल सकती हैं, जिसके चलते उनसे खून बहने की समस्या हो सकती है (2)।
- लार के उत्पादन में कमी होना - मुंह में लार के उत्पादन में कमी से ड्राई माउथ होता है। यह ड्राई माउथ की समस्या मसूड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है (4) (5)। ऐसे में अगर किसी वजह से मुंह में लार का उत्पादन प्रभावित होता है, तो मसूड़ों से जुड़ी समस्या बढ़ सकती है।
- अधिक मीठा खाना - एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) के अनुसार, मिठाई खाने और फास्ट फूड जैसे खाद्यों खाने से ओरल कैविटी की समस्या होती है (7)। ऐसे में ओरल कैविटी होने से मसूड़ों से खून आने की समस्या पैदा हो सकती है।
- कैल्शियम व फास्फोरस की कमी - रिसर्च में यह भी जिक्र मिलता है कि अगर शरीर को कम मात्रा में कैल्शियम या फास्फोरस मिले, तो यह भी सीधे तौर पर दांतों व मसूड़ों से जुड़ी समस्या को बढ़ा सकता है (8)।
- विटामिन सी व के की कमी - मसूड़ों से खून आने का एक कारण विटामिन सी और के की कमी को भी माना जाता है (3)। ऐसे में अगर किसी कारण शरीर में आहार के जरिए विटामिन सी या के की पूर्ति नहीं होती है, तो यह भी उसके मसूड़ों से खून आने के जोखिम बढ़ सकते हैं।
- दांतों व मसूड़ों की खराब देखभाल - जाहिर है हर किसी को अपने दांतों की सही देखभाल करनी चाहिए, क्योंकि दांतों व मसूड़ों की खराब देखभाल भी इनसे जुड़ी समस्या को बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर दातों पर ब्रश को सख्ती से रगड़ा जाए या गलत तरीक से फ्लॉसिंग की जाए, तो इससे भी मसूड़ों से खून आ सकता है (3)।
- खराब डेन्चर का इस्तेमाल - खराब फिटिंग वाले डेन्चर या दांतों से जुड़े अन्य मेडिकल टूल का इस्तेमाल करने से भी मसूड़ों से खून आने की समस्या हो सकती है (3)। मतलब अगर दांतों में ब्रेसेस या अन्य टीथ टूल का इस्तेमाल करती है, जिसकी फीटिंग सही नहीं है, तो भी मसूड़ों से खून आ सकता है।
- मधुमेह होना - मधुमेह जैसे चयापचय संबंधी रोग भी दांतों और मसूड़ों की समस्या को बढ़ा सकते हैं, जिसकी वजह से मसूड़ों में सूजन और उनसे खून आने की समस्या हो सकती है (9)।
मसूड़ों से खून आने के लक्षण भी यहां बताए गए हैं।

मसूड़े से खून आने के लक्षण | Bleeding gums ke lakshan
मसूड़ों से खून आना या उनमें सूजन होना, यह अपने आप में ही इस समस्या का लक्षण है। हां, कुछ अन्य लक्षण भी इस समस्या का संकेत हो सकते हैं, जैसे (9):
- बिना दर्द के सूजे हुए या लाल मसूड़े
- दांतों की संवेदनशीलता का बढ़ना
- मसूड़ों का छोटा होना, जिस वजह से दांत लंबे हो रहे हों
- गले में खराश होना
- सांसों से दुर्गंध आना
- दांतों और मसूड़ों के बीच गैप होना
- चबाते समय दांत का डगमगाना
मसूड़ों से खून आने का इलाज | Treatment of Bleeding Gums in Hindi
मसूड़ों से खून आने का इलाज अलग-अलग तरीके से किया जाता है। नीचे इन तरीकों के बारे में विस्तार से पढ़ें।
- स्केलिंग और रूट प्लानिंग - रिसर्च बताते हैं कि गर्भावस्था में मसूड़े में सूजन या खून आने की समस्या हो, तो डॉक्टरी सलाह पर गर्भावस्था के 8वें सप्ताह तक स्केलिंग और रूट प्लानिंग से इसका इलाज किया जा सकता है (2)।
- एंटीबायोटिक्स थेरेपी - एंटीबायोटिक्स थेरेपी के जरिए भी गर्भावस्था में मसूड़ों से खून आने की समस्या का इलाज होता है। यह समय से पहले शिशु के जन्म व कम वजन के जोखिम को कम कर सकता है (12)।
मसूड़ों से खून को रोकने के लिए कुछ घरेलू उपाय पढ़ें।
मसूड़ों में सूजन व खून बहने के घरेलू उपचार
मसूड़ों में सूजन व खून बहने के लिए कुछ तरह के सुरक्षित व प्रभावकारी घरेलू उपचार भी किए जाते हैं, जिनके बारे में हमने नीचे विस्तार से बताया है।
- बेकिंग सोडा - बेकिंग सोडा युक्त टूथपेस्ट से ब्रश करने पर दांतों में जमे प्लाक को साफ करने में मदद मिल सकती है, जो मसूड़ों में सूजन व खून आने की समस्या को कम कर सकता है (13)। इसके अलावा, अगर गर्भवतियां बेकिंग सोडा टूथपेस्ट का इस्तेमाल नहीं करना चाहती हैं, तो आधे कप पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर उससे कुल्ला भी कर सकती हैं। बस ध्यान रखें इस दौरान उस पानी को निगलें नहीं।
- ग्रीन टी - दांतों व मसूड़ों से जुड़ी समस्या के उपचार में ग्रीन टी का इस्तेमाल भी लाभकारी पाया गया है (14)। एक अन्य शोध में यह भी पाया गया है कि ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनोल्स एंटी-प्लाक एजेंट प्रभाव दिखाते हैं, जो मुंह में बैक्टीरियल प्लाक को जमने से रोक सकता है और ओरल हेल्थ को बेहतर कर सकता है (15)।
अध्ययन यह भी बताते हैं कि ग्रीन टी में कैफीन की भी मात्रा होती है, जिस वजह से गर्भावस्था में इसका अधिक सेवन करने से बचना चाहिए (16)। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए कम मात्रा में ही ग्रीन टी का सेवन करना सुरक्षित माना जाता है।
- ऑलिव ऑयल - एक अध्ययन में बताया गया है कि ऑलिव ऑयल में विटामिन ए, ई, के, 70% मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, ओलिक एसिड जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं, जो एंटीमाइक्रोबियल, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी व एंटी ऑक्सीटेंड प्रभाव प्रदर्शित करते हैं।
इसके यही गुण मुंह से जुड़े विभिन्न बैक्टीरिया को खत्म कर दांत व मसूड़ों से जुड़ी समस्या का उपचार कर सकते हैं। इसके लिए ऑलिव ऑयल से ऑयल पुलिंग करना बेहतर रहेगा (17)।
- बादाम तेल - मुंह के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने व मसूड़ों व दांतों से जुड़ी समस्या का उपचार करने के लिए विभिन्न खाद्य तेलों से ऑयल पुल्लिंग की जा सकती है। इसी में बादाम तेल का नाम भी शामिल हैं। हालांकि, जैतून के तेल के मुकाबले इसे कुछ हद तक कम प्रभावी पाया गया है (17)।
बस किसी भी खाद्य तेल से ऑयल पुल्लिंग करते समय तेल को न निगलें। तेल से कुल्ला करने के बाद साफ पानी से कुल्ला जरूर करें।
- बर्फ का पानी - मसूड़ों से खून को निकलने से रोकने के लिए घरेलू तौर पर बर्फ के पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए किसी कटोरी में बर्फ वाला पानी लें। उसमें साफ कॉटन के पैड भिगोएं। अब उस पैड को पानी से बाहर निकाल कर निचोड़ लें और हल्के हाथों से मसूड़ों पर दबाते हुए लगाएं (3)।
- मसाज करें - मसूड़ों को मजबूत बनाने के लिए गर्भवती महिलाएं डेंटल टूल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इसी में मसूड़ों की मालिश करने वाले उपकरण का भी नाम शामिल है (3)।
हालांकि, इस टूल का इस्तेमाल डॉक्टरी सलाह पर ही करें और इसे कैसे इस्तेमाल करना चाहिए, इस बारे में भी डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देश को फॉलो करें।
- नमक पानी - मसूड़ों से आने वाले खून को रोकने में नमक पानी को भी कारागर माना गया है। 1 कप गुनगुने पानी में 1 चम्मच नमक मिलाएं। फिर इस पानी से कुल्ला करें और मुंह को अच्छे से साफ करें। इसके बाद साफी पानी से मुंह कुल्ला करें (3)।
मसूड़ों से खून आने की समस्या से बचाव करने के कारगर टिप्स।
मसूड़ों से खून आने से बचने के उपाय | Tips to avoid bleeding gums during pregnancy in hindi
अगर मसूड़ों से खून आने की समस्या है, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखकर इससे बचाव किया जा सकता है।
- हाइड्रेट रहें - भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ पीते रहें और शरीर को हाइड्रेट बनाए रखें। इससे मसूड़ों के ऊतकों के सूखने का जोखिम कम हो सकता है (1)। पानी के साथ ही फलों के जूस का सेवन भी करती रहें।
- विटामिन सी व के का सेवन करें - जैसा हम लेख में बता चुके हैं कि विटामिन सी व के की कमी से भी मसूड़ों से खून आने की समस्या हो सकती है। ऐसे में विटामिन सी युक्त संतरे व अन्य फलों के साथ ही विटामिन के युक्त फलों व आहार का भी सेवन करें (1)।
- मुलायम ब्रश का इस्तेमास - दांतों को साफ करने के लिए मुलायम ब्रश का इस्तेमाल करें। इससे मसूड़ों से आने वाले खून के बहाव को कम किया जा सकता है (1)।
- ओरल हेल्थ का ध्यान रखें - उचित व सही देखभाल से भी ओरल हेल्थ या मसूड़ों से खूून आने की समस्या से बचा जा सकता है। दांतों व मसूड़ों की साफ-सफाई रखने से मसूड़ें स्वस्थ बने रहते हैं, इसलिए नियमित ब्रश करने के साथ सही तरीके से फ्लॉस भी जरूर करें (1)। यही नहीं हर बार खाना खाने के बाद कुल्ला करना भी आवश्यक है।
- सही डेन्चर का इस्तेमाल करें - ब्रेसेस, डेन्चर जैसे अन्य टूथ टूल्स को पहनती है, तो उसकी सही फिटिंग को सुनिश्ति करें। गलत फिटिंग होने से मसूड़ों पर घाव हो सकता है (3)। फिर उसी से ब्लीडिंग की परेशानी होगी।
- डॉक्टर से मिलें - समय-समय पर दांतों के विशेषज्ञ से मिलती रहें और नियमित रूप से अपने दांतों की जांच कराएं (3)। ऐसा करने से दांतों व मसूड़ों के साथ ही मुंह के स्वास्थ्य की भी सही देखभाल की जा सकती है और मसूड़ों से खून आने की समस्या का जोखिम भी कम हो सकता है।
- इलैक्ट्रिक टूथब्रश का इस्तेमाल - सामान्य टूथब्रश के मुकाबले, इलैक्ट्रिक टूथब्रश दांतों व मसूड़ों में जमे प्लाक को हटाने में अधिक प्रभाकारी माने गए हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाएं छोटे सिरे वाले व मुलायम ब्रश इलैक्ट्रिक टूथब्रश का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
- मीठा कम खाएं - मीठा खाद्य दांतों में सड़न और मसूड़ों से जुड़ी समस्या को बढ़ाता है (7)। ऐसे में अपने आहार में कम मीठा शामिल करना चाहिए।
- मधुमेह का उपचार - जैसा लेख में बताया गया है कि मधुमेह होने से भी मसूड़ों से खून आने की समस्या हो सकती है (9)। ऐसे में अगर गर्भावस्था के पहले या इस दौरान मधुमेह होता है, तो डॉक्टरी सलाह पर इसका उचित उपचार कराएं और इसकी रोकथाम पर भी विषेश ध्यान दें।
क्या प्रेगनेंसी में मसूड़ों के रोग से होने वाले बच्चे को कोई खतरा हो सकता है?
रिसर्च बताते हैं कि गर्भावस्था में जिंजीवाइटिस या मसूड़ों व दातों से जुड़ी समस्या का इलाज न कराया जाए, तो ये गंभीर हो जाती है। इसके कारण समय से पहले शिशु के जन्म होने और जन्म के समय शिशु के कम वजन होने की समस्या का जोखिम भी हो सकता है (2)।
एनसीबीआई की साइट पर मौजूद शोध इसकी भी पुष्टि करता है कि अगर गर्भवती को जिंजीवाइटिस है, तो यह प्लेंसटा के जरिए भ्रूण को प्रभावित कर सकता है। इससे शिशु के समय से पहले जन्म के जोखिम बढ़ सकते हैं (10)।
अब हम गर्भावस्था में मसूड़ों से खून आने के कारण होने वाले जोखिम बता रहे हैं।
गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आने से होने वाले जोखिम
गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आना एक सामान्य स्थिति है। आमतौर पर यह समस्या गर्भावस्था में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन से जुड़ी है, जो प्रसव के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो सकती है।
ऐसे में गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आने की समस्या को अधिक गंभीर नहीं माना जा सकता है। फिर भी यह परेशानी कुछ स्थितियों का कारण बन सकती है, जैसे कि (10) (11):
- समय से पहले शिशु का जन्म
- जन्म के समय शिशु का कम वजन
- गर्भवती को प्रीक्लेम्पसिया यानी उच्च रक्तचाप का जोखिम
- मसूड़ों में संक्रमण -
- दांतों का कमजोर होना
- दांतों का टूटना
सीडीसी के अनुसार, अगर गर्भवती को प्रसव के दौरान दांतों व मसूड़ों से जुड़ी सड़न की समस्या है या कैविटी है, तो शिशु में ये परेशानी होने की आशंका 3 गुना अधिक हो सकती है। मुंह व दांतों के हानिकारक बैक्टीरिया मां के मुंह से शिशु के मुंह तक आसानी से पहुंच सकते हैं, जिसके कारण बच्चे के दातों में दर्द भी हो सकता है (11)।
मसूड़ों से खून आने का कारण अधिकतर सामान्य स्थितियों से जुड़ा होता है, जिस वजह से इसे अधिक गंभीर नहीं माना जाता। हां, अगर इसके प्रति लापरवही बरती जाए, तो यह गंभीर स्थितियों का जोखिम बढ़ा सकता है। ऐसे में जरूरी है कि ओरल हेल्थ चेअकप जरूर कराएं, ताकि मसूड़ों से खून आने की समस्या को कम किया जा सके।
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