प्रस्तुतकर्ता
Sunita Regmi
Pregnancy
- लिंक पाएं
- ईमेल
- दूसरे ऐप
दुनिया जैसे-जैसे आधुनिक हो रही है, वैसे-वैसे बीमारियां अपने पैर पसार रही है। कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं कि बिना किसी कारण व्यक्ति को मौत का डर सताने लगता है। ऐसी ही एक परेशानी है पैनिक अटैक। पैनिक अटैक क्या है, यह समस्या क्यों शुरू होती है, पैनिक अटैक के लक्षण और इसे कम करने के तरीके विस्तार से बताएंगे।
पैनिक अटैक का कारण, बचाव को लेख के अंत तक पढ़ें। सबसे पहले यह जानते हैं कि पैनिक अटैक क्या है।
पैनिक अटैक वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति पर अचानक से कोई अनजान सा डर इतना हावी हो जाता है कि उसे मौत के खतरे का एहसास होने लगता है। यह अटैक कहीं भी और किसी भी समय व्यक्ति को आ सकता है।
“डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर (DSM) के मुताबिक अचानक तीव्र भय और बेचैनी होना और कुछ ही मिनटों में इनका काफी ज्यादा बढ़ जाना पैनिक अटैक कहलाता है” (1) (2)।
पैनिक अटैक अचानक और समय-समय पर आता-जाता रहता है (3)। पैनिक अटैक आने वाले सभी लोगों को पैनिक विकार नहीं होता। साथ ही यह पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को प्रभावित कर सकता है (4)।
यह अटैक घातक परिणाम भी दे सकता है, इसलिए जरूरी है कि इस संबंध में आवश्यक जानकारी रखी जाए। लेख में आगे इसके कारण, लक्षण, इलाज और बरती जाने वाली सावधानियां जानने को मिलेंगी।
अब हम बता रहे हैं पैनिक अटैक के कारण।
पैनिक अटैक का कारण जानकर इसका इलाज करने के साथ ही बचाव भी किया जा सकता है। चलिए, पैनिक अटैक के कारण जानते हैं (2) (5) (6) (7)।
पैनिक अटैक के कारण तो हम बता ही चुके हैं। चलिए, अब पैनिक अटैक के लक्षण के बारे में जानते हैं।
पैनिक अटैक के कारण के बाद अब हम पैनिक अटैक के लक्षण पर गौर करेंगे। तो पैनिक अटैक आने के दौरान व्यक्ति कुछ इस तरह के शारीरिक लक्षणों को महसूस कर सकता है (1) (2) (7) (8)।
अब पैनिक अटैक को कम करने के तरीके पर एक नजर डाल लेते हैं।
पैनिक अटैक के कारण और लक्षण के बाद अब यहां हम आपको पैनिक अटैक को कम करने के तरीके बता रहे हैं। ध्यान रहे पैनिक अटैक के ये घरेलू उपाय पैनिक अटैक के लक्षण को कम कर सकते हैं या उससे बचाव कर सकता है। इन्हें पूरी तरह से पैनिक अटैक का इलाज न समझें।
पैनिक अटैक में लैवेंडर के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। माना जाता है कि लैवेंडर ऑयल स्ट्रेस, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों में आराम पहुंचा सकता है, जो पैनिक अटैक का कारण बनते हैं। इसमें एंटीडिप्रेसेंट गुण भी पाए जाते हैं, जो पैनिक अटैक से बचाव और इससे आराम पाने में मदद कर सकते हैं (9)।
इसके लिए लैवेंडर ऑयल को एक इनहेलर में डालकर पीड़ित व्यक्ति को सुंघाया जा सकता है। चाहें तो डिफ्यूजर में लैवेंडर ऑयल को डालकर उसे अरोमा थेरेपी की तरह भी उपयोग कर सकते हैं।
मांसपेशियों को रिलैक्स करके भी पैनिक अटैक के लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में मसल्स को रिलैक्स करने के बाद चिंता के स्तर में कमी पाई गयी (10)।
मसल्स को रिलैक्स करने वाले एक्सरसाइज करने के लिए सबसे पहले सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को किया जाना चाहिए। तनाव को कम करने के लिए भी मसल्स को कुछ देर तक आराम दें (11)।
मांसपेशियों में किसी प्रकार की समस्या, तनाव या चिंता का जोखिम बढ़ा सकता है (12)। ऐसे में व्यक्ति चाहे तो डॉक्टर की सलाह पर भी मसल्स को रिलैक्स करने के तरीके अपना सकता है।
कुछ हल्के व्यायाम करने से एंडोर्फिन हार्मोन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। एक्सरसाइज करने से बढ़ने वाला एंडोर्फिन हार्मोन व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से जुड़ा है, जिसमें मूड भी शामिल है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध की मानें तो यह हार्मोन मूड को अच्छा करने में मदद कर सकता है (13)।
इसके अलावा, एक्सरसाइज तनाव और चिंता जैसी परेशानियों के जोखिम को भी कम करने में सहायक हो सकता है (14)। इसी वजह से हल्के व्यायाम जैसे - टहलना या जॉगिंग करना और विशेषज्ञ की सलाह पर स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करना पैनिक अटैक को कम कर सकता है। स्ट्रेस दूर करने के लिए योग भी किया जा सकता है।
पैनिक अटैक आने पर प्रभावित व्यक्ति को गहरी सांस लेने की सलाह दी जानी चाहिए। दरअसल, स्ट्रेस की वजह से पैनिक अटैक आता है। स्ट्रेस में गहरी सांस लेना कारगर है (2)। गहरी सांस लेने से स्ट्रेस दूर होने के साथ ही मूड भी बेहतर हो सकता है (15)।
स्कूली छात्रों की दैनिक गतिविधियों में डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज को शामिल करना अच्छा विकल्प है। इससे उनमें न सिर्फ तनाव के जोखिम कम होते हैं, बल्कि पढ़ाई व अन्य गतिविधियों में भी प्रदर्शन बेहतर हो सकता है (16)। ऐसे में माना जाता है कि गहरी सांस लेने से अप्रत्यक्ष रूप से पैनिक अटैक से राहत मिल सकती है।
माइंडफुलनेस मेडिटेशन भी पैनिक अटैक को रोकने का अच्छा तरीका माना जाता है। इसे माइंडफुलनेस कॉग्निटिव थेरेपी भी कहा जाता है, जिसमें भावनाओं पर नियंत्रण रखने, खुद के साथ समय बिताने, अच्छी चीजों को महसूस करना और मेडिटेशन शामिल है। यह माइंडफुलनेस एक्सरसाइज स्ट्रेस और चिंता को दूर कर सकते हैं, जिनका सीधा संबंध पैनिक अटैक से है (17) (3)।
पैनिक अटैक से ग्रसित लोगों को शांत रहने और अटैक आने का आभास होते समय आंखें बंद करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, कुछ पैनिक अटैक की समस्याएं पर्यावरणीय कारणों से भी हो सकती है, ज्यादा भीड़भाड़ और आसपास की चहल-पहल की वजह से इसपर और बुरा प्रभाव पड़ सकता है (18)।
ऐसे में खुद को शांत रखने की कोशिश करें। साथ ही अच्छी तरह सांस लेते और छोड़ते रहें। साथ ही भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की कोशिश करें।
अब जानते हैं पैनिक अटैक का निदान कैसे किया जाता है। इसके बाद पैनिक अटैक ट्रीटमेंट पर नजर डालेंगे।
इससे पहले पैनिक अटैक का इलाज जानें, उससे पहले पैनिक अटैक का निदान जानना जरूरी है। तो यहां हम पैनिक अटैक के निदान से जुड़ी जानकरियां दे रहे हैं। तो नीचे बताए गए तरीकों के जरिए डॉक्टर पैनिक अटैक की पहचान कर सकते हैं (19) (7)।
चलिए, अब पैनिक अटैक का इलाज क्या हो सकता है, यह जानते हैं।
पैनिक अटैक का इलाज करने के लिए मनोवैज्ञानिक और औषधीय दोनों ट्रीटमेंट दिया जाता है। इन दोनों के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं (20) (2) (7)।
चलिए, अब एक नजर डालते हैं पैनिक अटैक से बचाव के कुछ टिप्स पर।
यह तो हम बता ही चुके हैं कि पैनिक अटैक प्रभावित व्यक्ति के लिए काफी भयावह हो सकता है। ऐसे में इस समस्या के बारे में इतना कुछ जानने के बाद पैनिक अटैक से बचाव के बारे में भी पता होना जरूरी है। पैनिक अटैक को कम करने के तरीके में इन बिंदुओं को शामिल किया जा सकता है (7)–
अब हम बता रहे हैं कि पैनिक अटैक की समस्या होने पर कब डॉक्टर को दिखाएं।
अब सवाल यह उठता है कि पैनिक अटैक के दौरान डॉक्टरी सलाह कब लेनी चाहिए। तो नीचे बताई गई स्थितियों में पैनिक अटैक के दौरान डॉक्टरी सलाह लेने से पीछे न हटें (7):
पैनिक अटैक की जानकारी से प्रभावित लोगों को फायदा मिलेगा। यहां बताए गए पैनिक अटैक के लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से संपर्क करें। यह समस्या दवाइयों की मदद से नियंत्रित हो सकती है। पैनिक अटैक से संबंधित इस आर्टिकल को अन्य लोगों के साथ शेयर करके उन्हें पैनिक अटैक के कारण, लक्षण और इलाज से अवगत कराएं।
पैनिक अटैक की गंभीर समस्या का मतलब सांस लेने में तकलीफ, घुटन की भावना, सीने में दर्द और बेचैनी, बेहोशी महसूस करना, खुद से नियंत्रण खाना और पागल होने का डर या मरने के डर जैसा अनुभव हो सकता है (2)।
लोगों को पैनिक अटैक क्यों आते हैं?
पैनिक अटैक आने का कोई निश्चित कारण नहीं है (7)। हालांकि, यह चिंता, मानसिक स्वास्थ्य, मादक पदार्थों का सेवन या किसी बीमारी के कारण आ सकते हैं (2)।
एक शोध के मुताबिक पैनिक अटैक से 60% पीड़ित व्यक्ति 6 महीने के भीतर ठीक हो जाते हैं (2)। हालांकि, यह व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है।
पैनिक अटैक एंग्जायटी अटैक के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं। हालांकि, इनके लक्षणों में थोड़ा बहुत अंतर होता है। जहां, एंग्जायटी की समस्या में सोने में परेशानी, मांसपेशियों में खिंचाव जैसे लक्षण हो सकते हैं और ये 6 महीने तक रह सकते हैं।
पैनिक अटैक में हाथ पैर में कंपकंपी, पसीना आने जैसे लक्षण दिख सकते हैं (18)। एंग्जायटी अटैक में व्यक्ति को हर वक्त चिंता, डर और बेचैनी महसूस होती है (21)। जबकि पैनिक अटैक में दम घुटने जैसा अनुभव होता है (2)।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें