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पैनिक अटैक के कारण, लक्षण और कम करने के तरीके - Panic Attack in Hindi

दुनिया जैसे-जैसे आधुनिक हो रही है, वैसे-वैसे बीमारियां अपने पैर पसार रही है। कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं कि बिना किसी कारण व्यक्ति को मौत का डर सताने लगता है। ऐसी ही एक परेशानी है पैनिक अटैक। पैनिक अटैक क्या है, यह समस्या क्यों शुरू होती है, पैनिक अटैक के लक्षण और इसे कम करने के तरीके विस्तार से बताएंगे। 

पैनिक अटैक का कारण, बचाव को लेख के अंत तक पढ़ें। सबसे पहले यह जानते हैं कि पैनिक अटैक क्या है।

पैनिक अटैक क्या है? – What is Panic Attack in Hindi

पैनिक अटैक वह स्थिति है जब किसी व्यक्ति पर अचानक से कोई अनजान सा डर इतना हावी हो जाता है कि उसे मौत के खतरे का एहसास होने लगता है। यह अटैक कहीं भी और किसी भी समय व्यक्ति को आ सकता है।

 “डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर (DSM) के मुताबिक अचानक तीव्र भय और बेचैनी होना और कुछ ही मिनटों में इनका काफी ज्यादा बढ़ जाना पैनिक अटैक कहलाता है” (1) (2)। 

पैनिक अटैक अचानक और समय-समय पर आता-जाता रहता है (3)। पैनिक अटैक आने वाले सभी लोगों को पैनिक विकार नहीं होता। साथ ही यह पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को प्रभावित कर सकता है (4)। 

यह अटैक घातक परिणाम भी दे सकता है, इसलिए जरूरी है कि इस संबंध में आवश्यक जानकारी रखी जाए। लेख में आगे इसके कारण, लक्षण, इलाज और बरती जाने वाली सावधानियां जानने को मिलेंगी।

अब हम बता रहे हैं पैनिक अटैक के कारण।

पैनिक अटैक के कारण – Causes of Panic Attack in Hindi

पैनिक अटैक का कारण जानकर इसका इलाज करने के साथ ही बचाव भी किया जा सकता है। चलिए, पैनिक अटैक के कारण जानते हैं (2) (5) (6) (7)।

  • तनाव
  • ट्रॉमा
  • भय और चिंता
  • शराब और ड्रग्स
  • अधिक कैफीन की मात्रा
  • बचपन में घटी दर्दनाक घटनाएं
  • न्यूरल सर्किटरी (दिमाग में न्यूरोन्स की संख्या) की वजह से
  • लंबे समय से हाइपरवेंटिलेशन (तेज सांसें लेना) की समस्या
  • कुछ मामलों में आनुवंशिक यानी परिवार में किसी को यह समस्या होना
  • जेंडर एक जोखिम कारक है यानी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को यह समस्या अधिक होती है
  • मेडिसिन और हाइपरथायरायडिज्म (थायराइड ग्लैंड द्वारा अधिक हार्मोन का उत्पादन) या वेस्टिबुलर डायफंक्शन (कान और दिमाग संबंधी समस्या) जैसी स्थिति।
  • शरीर में रासायनिक असंतुलन, जैसे गामा-एमिनोब्यूटिरिक एसिड, कोर्टिसोल और सेरोटोनिन में असामान्यताएं

पैनिक अटैक के कारण तो हम बता ही चुके हैं। चलिए, अब पैनिक अटैक के लक्षण के बारे में जानते हैं।

पैनिक अटैक के लक्षण – Symptoms of Panic Attack in Hindi

पैनिक अटैक के कारण के बाद अब हम पैनिक अटैक के लक्षण पर गौर करेंगे। तो पैनिक अटैक आने के दौरान व्यक्ति कुछ इस तरह के शारीरिक लक्षणों को महसूस कर सकता है (1) (2) (7) (8)।

  • तेजी से दिल धड़कना
  • चक्कर आना
  • पसीना आना
  • कंपकंपी
  • सांस लेने में तकलीफ या गला दबने जैसा महसूस होना
  • चोकिंग (फूड या विंड पाइप में कुछ अटका सा लगना)
  • सीने में दर्द
  • पेट में दर्द या मतली
  • हल्की सी ठंड या गर्मी लगना
  • बेहोशी जैसा लगना
  • शरीर का सुन्न होना या झनझनाहट होना (Paresthesias)
  • जो है ही नहीं उसका एहसास होना (Derealization )
  • मरने का डर लगना
  • नियंत्रण खोने का डर लगना
  • कमजोरी महसूस होना
  • हाथ-पैरों व नसों में झनझनाहट महसूस होना

अब पैनिक अटैक को कम करने के तरीके पर एक नजर डाल लेते हैं।

पैनिक अटैक को कम करने के तरीके – Ways To Stop A Panic Attack in Hindi

पैनिक अटैक के कारण और लक्षण के बाद अब यहां हम आपको पैनिक अटैक को कम करने के तरीके बता रहे हैं। ध्यान रहे पैनिक अटैक के ये घरेलू उपाय पैनिक अटैक के लक्षण को कम कर सकते हैं या उससे बचाव कर सकता है। इन्हें पूरी तरह से पैनिक अटैक का इलाज न समझें।

1. लैवेंडर ऑयल

पैनिक अटैक में लैवेंडर के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। माना जाता है कि लैवेंडर ऑयल स्ट्रेस, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों में आराम पहुंचा सकता है, जो पैनिक अटैक का कारण बनते हैं। इसमें एंटीडिप्रेसेंट गुण भी पाए जाते हैं, जो पैनिक अटैक से बचाव और इससे आराम पाने में मदद कर सकते हैं (9)। 

इसके लिए लैवेंडर ऑयल को एक इनहेलर में डालकर पीड़ित व्यक्ति को सुंघाया जा सकता है। चाहें तो डिफ्यूजर में लैवेंडर ऑयल को डालकर उसे अरोमा थेरेपी की तरह भी उपयोग कर सकते हैं।

2. मसल्स रिलैक्स

मांसपेशियों को रिलैक्स करके भी पैनिक अटैक के लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में मसल्स को रिलैक्स करने के बाद चिंता के स्तर में कमी पाई गयी (10)। 

मसल्स को रिलैक्स करने वाले एक्सरसाइज करने के लिए सबसे पहले सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को किया जाना चाहिए। तनाव को कम करने के लिए भी मसल्स को कुछ देर तक आराम दें (11)। 

मांसपेशियों में किसी प्रकार की समस्या, तनाव या चिंता का जोखिम बढ़ा सकता है (12)। ऐसे में व्यक्ति चाहे तो डॉक्टर की सलाह पर भी मसल्स को रिलैक्स करने के तरीके अपना सकता है।

3. हल्का व्यायाम करें

कुछ हल्के व्यायाम करने से एंडोर्फिन हार्मोन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। एक्सरसाइज करने से बढ़ने वाला एंडोर्फिन हार्मोन व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से जुड़ा है, जिसमें मूड भी शामिल है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध की मानें तो यह हार्मोन मूड को अच्छा करने में मदद कर सकता है (13)। 

इसके अलावा, एक्सरसाइज तनाव और चिंता जैसी परेशानियों के जोखिम को भी कम करने में सहायक हो सकता है (14)। इसी वजह से हल्के व्यायाम जैसे - टहलना या जॉगिंग करना और विशेषज्ञ की सलाह पर स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करना पैनिक अटैक को कम कर सकता है। स्ट्रेस दूर करने के लिए योग भी किया जा सकता है।

4. गहरी सांसें लें

पैनिक अटैक आने पर प्रभावित व्यक्ति को गहरी सांस लेने की सलाह दी जानी चाहिए। दरअसल, स्ट्रेस की वजह से पैनिक अटैक आता है। स्ट्रेस में गहरी सांस लेना कारगर है (2)। गहरी सांस लेने से स्ट्रेस दूर होने के साथ ही मूड भी बेहतर हो सकता है (15)। 

स्कूली छात्रों की दैनिक गतिविधियों में डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज को शामिल करना अच्छा विकल्प है। इससे उनमें न सिर्फ तनाव के जोखिम कम होते हैं, बल्कि पढ़ाई व अन्य गतिविधियों में भी प्रदर्शन बेहतर हो सकता है (16)। ऐसे में माना जाता है कि गहरी सांस लेने से अप्रत्यक्ष रूप से पैनिक अटैक से राहत मिल सकती है।

5. माइंडफुलनेस मेडिटेशन

माइंडफुलनेस मेडिटेशन भी पैनिक अटैक को रोकने का अच्छा तरीका माना जाता है। इसे माइंडफुलनेस कॉग्निटिव थेरेपी भी कहा जाता है, जिसमें भावनाओं पर नियंत्रण रखने, खुद के साथ समय बिताने, अच्छी चीजों को महसूस करना और मेडिटेशन शामिल है। यह माइंडफुलनेस एक्सरसाइज स्ट्रेस और चिंता को दूर कर सकते हैं, जिनका सीधा संबंध पैनिक अटैक से है (17) (3)।

6. शांत रहें और आंखें बंद रखें

पैनिक अटैक से ग्रसित लोगों को शांत रहने और अटैक आने का आभास होते समय आंखें बंद करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, कुछ पैनिक अटैक की समस्याएं पर्यावरणीय कारणों से भी हो सकती है, ज्यादा भीड़भाड़ और आसपास की चहल-पहल की वजह से इसपर और बुरा प्रभाव पड़ सकता है (18)। 

ऐसे में खुद को शांत रखने की कोशिश करें। साथ ही अच्छी तरह सांस लेते और छोड़ते रहें। साथ ही भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की कोशिश करें।

अब जानते हैं पैनिक अटैक का निदान कैसे किया जाता है। इसके बाद पैनिक अटैक ट्रीटमेंट पर नजर डालेंगे।

पैनिक अटैक का निदान – Diagnosis of Panic Attack in Hindi

इससे पहले पैनिक अटैक का इलाज जानें, उससे पहले पैनिक अटैक का निदान जानना जरूरी है। तो यहां हम पैनिक अटैक के निदान से जुड़ी जानकरियां दे रहे हैं। तो नीचे बताए गए तरीकों के जरिए डॉक्टर पैनिक अटैक की पहचान कर सकते हैं (19) (7)।

  • डॉक्टर मरीज से कुछ सवाल पूछकर निदान कर सकते हैं।
  • लक्षणों के बारे में डॉक्टर मरीज या उनके परिवार वाले से पूछ सकते हैं।
  • कुछ लोगों को पैनिक अटैक के दौरान ऐसा लगता है जैसे दिल का दौरा पड़ा रहा हो। ऐसे में हार्ट चेकअप कर सकते हैं।
  • डॉक्टर ब्लड टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।
  • डॉक्टर रोगी के मानसिक स्वास्थ्य का परीक्षण कर सकते हैं।

चलिए, अब पैनिक अटैक का इलाज क्या हो सकता है, यह जानते हैं।

पैनिक अटैक का इलाज – Panic Attack Treatment in Hindi

पैनिक अटैक का इलाज करने के लिए मनोवैज्ञानिक और औषधीय दोनों ट्रीटमेंट दिया जाता है। इन दोनों के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं (20) (2) (7)।

  • मनोवैज्ञानिक इलाज - मनोवैज्ञानिक इलाज में कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (दिमाग से संबंधित थेरेपी) शामिल है। इसमें पीड़ित को पैनिक अटैक के दौरान भावनाओं में होने वाले बदलाव व घबराहट के प्रति प्रतिक्रिया करने और सोचने के विभिन्न तरीकों को सिखाया जाता है। यह थेरेपी पैनिक अटैक के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।

  • ब्रीदिंग एक्सरसाइज - ब्रीदिंग एक्सरसाइज की ट्रेनिंग दी जा सकती है। ऐसा करने से तनाव और चिंता जैसी परेशानियों से बचाव में मदद मिल सकती है। इस दौरान विशेषज्ञ स्लो ब्रीदिंग तकनीक के बारे में जानकारी दे सकते हैं।

  • दवाइयां - पैनिक अटैक के इलाज के तौर पर डॉक्टर कुछ दवाइयां भी प्रेस्क्राइब कर सकते हैं। गंभीर लक्षण वाले रोगियों को एंटी-डिप्रेसेंट दवाओं का प्रभाव न दिखने तक अल्प्राजोलम दवा दी जा सकती है। हालांकि, ध्यान रहे दवाइयों का सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श के बिल्कुल न करें।

चलिए, अब एक नजर डालते हैं पैनिक अटैक से बचाव के कुछ टिप्स पर।

पैनिक अटैक से बचाव – Prevention Tips for Panic Attack in Hindi

यह तो हम बता ही चुके हैं कि पैनिक अटैक प्रभावित व्यक्ति के लिए काफी भयावह हो सकता है। ऐसे में इस समस्या के बारे में इतना कुछ जानने के बाद पैनिक अटैक से बचाव के बारे में भी पता होना जरूरी है। पैनिक अटैक को कम करने के तरीके में इन बिंदुओं को शामिल किया जा सकता है (7)–

  • मानसिक आघात की स्थिति में खुद को संभालने की कोशिश करना
  • तनाव व स्ट्रेस से बचाव
  • शराब का सेवन न करना
  • कैफीन का सेवन कम या न करना
  • परिवार से अपनी छोटी-बड़ी परेशानियां साझा करना
  • अवसाद दूर करने के तरीके जैसे खुद को खुश रखने की कोशिश
  • इसके अलावा, मनोचिकित्सक से इससे बचने के उपाय पूछे जा सकते हैं

अब हम बता रहे हैं कि पैनिक अटैक की समस्या होने पर कब डॉक्टर को दिखाएं।

पैनिक अटैक होने पर डॉक्टर को कब दिखाएं – When to See a Doctor in Hindi

अब सवाल यह उठता है कि पैनिक अटैक के दौरान डॉक्टरी सलाह कब लेनी चाहिए। तो नीचे बताई गई स्थितियों में पैनिक अटैक के दौरान डॉक्टरी सलाह लेने से पीछे न हटें (7):

  • अगर पैनिक अटैक की परेशानी हर रोज की दिनचर्या, काम, पारिवारिक रिश्ते या आत्मसम्मान को प्रभावित करे, तो डॉक्टर से परामर्श लें।
  • पैनिक अटैक के लक्षण अगर बार-बार लगातार हो तो डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए।

पैनिक अटैक की जानकारी से प्रभावित लोगों को फायदा मिलेगा। यहां बताए गए पैनिक अटैक के लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से संपर्क करें। यह समस्या दवाइयों की मदद से नियंत्रित हो सकती है। पैनिक अटैक से संबंधित इस आर्टिकल को अन्य लोगों के साथ शेयर करके उन्हें पैनिक अटैक के कारण, लक्षण और इलाज से अवगत कराएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

पैनिक अटैक की गंभीर स्थिति में कैसा महसूस होता है?

पैनिक अटैक की गंभीर समस्या का मतलब सांस लेने में तकलीफ, घुटन की भावना, सीने में दर्द और बेचैनी, बेहोशी महसूस करना, खुद से नियंत्रण खाना और पागल होने का डर या मरने के डर जैसा अनुभव हो सकता है (2)।

लोगों को पैनिक अटैक क्यों आते हैं?

पैनिक अटैक आने का कोई निश्चित कारण नहीं है (7)। हालांकि, यह चिंता, मानसिक स्वास्थ्य, मादक पदार्थों का सेवन या किसी बीमारी के कारण आ सकते हैं (2)।

क्या पैनिक अटैक कभी दूर होंगे?

एक शोध के मुताबिक पैनिक अटैक से 60% पीड़ित व्यक्ति 6 महीने के भीतर ठीक हो जाते हैं (2)। हालांकि, यह व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है।

पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक में क्या अंतर है?

पैनिक अटैक एंग्जायटी अटैक के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं। हालांकि, इनके लक्षणों में थोड़ा बहुत अंतर होता है। जहां, एंग्जायटी की समस्या में सोने में परेशानी, मांसपेशियों में खिंचाव जैसे लक्षण हो सकते हैं और ये 6 महीने तक रह सकते हैं। 

पैनिक अटैक में हाथ पैर में कंपकंपी, पसीना आने जैसे लक्षण दिख सकते हैं (18)। एंग्जायटी अटैक में व्यक्ति को हर वक्त चिंता, डर और बेचैनी महसूस होती है (21)। जबकि पैनिक अटैक में दम घुटने जैसा अनुभव होता है (2)।

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