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पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) के कारण, लक्षण और इलाज - Post Traumatic Stress Disorder (PTSD) in Hindi

कहते हैं बाहरी घाव को भरना आसान है, लेकिन मन पर लगे चोट को ठीक करना बहुत मुश्किल। कई बार कुछ घटनाएं या हादसे मन में इस कदर बैठ जाते हैं कि मानसिक बीमारी का कारण तक बन जाते हैं। ऐसी ही एक मानसिक समस्या पीटीएसडी यानी पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर है।

इसके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे, लेकिन सावधानी के नजरिए से इसके बारे में पता होना जरूरी है। इस लेख में हम पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के कारण, लक्षण और पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के इलाज की भी जानकारी देंगे।

सबसे पहले जानते हैं पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के बारे में।

पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर क्या है? – What is Post Traumatic Stress Disorder in Hindi

पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) एक मानसिक विकार है। यह किसी दुर्घटना की वजह से हो सकती है। जिसे या तो खुद व्यक्ति ने अनुभव किया होता है या फिर उसके सामने घटी होती है। 

ये दर्दनाक घटनाएं जीवन के लिए खतरा हो सकती है, जैसे युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कार दुर्घटना या यौन उत्पीड़न। कभी-कभी यह जरूरी नहीं कि घटना खतरनाक हो। उदाहरण के लिए, किसी प्रियजन की अचानक, अप्रत्याशित मृत्यु भी पीटीएसडी का कारण बन सकती है (1)। 

इसे चिंता विकार भी कहा जा सकता है, जो भावनात्मक सदमे के कारण हो सकता है (2)। आगे हम इसके लक्षण और जोखिम कारकों से जुड़ी जानकारी विस्तार से दे रहे हैं।

पीटीएसडी के बाद पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण जानें।

पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण – Symptoms of Post Traumatic Stress Disorder in Hindi

यहां हम पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण के बारे में बताएंगे। पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण चार प्रकार के हो सकते हैं, जिनके बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं (1) (2):

  1.  री एक्सपीरियंसिंग लक्षण: इसमें मरीज का लक्षणों का फिर से अनुभव करने की समस्या हो सकती है। ये लक्षण घटना या फिर कुछ आघात की याद दिला सकता है और मरीज उस डर को फिर से महसूस करने लग सकता है। जैसे :
  • फ्लैशबैक, जिसके कारण लगता है कि उनके साथ फिर से वह घटना हो रही है
  • बुरे सपने आना
  • मन में डरावने विचार आना
  1. अवॉयडेंस लक्षण: बचाव के लक्षण, जहां मरीज उन स्थितियों या लोगों से बचने की कोशिश करते हैं जो दर्दनाक घटना की यादों को ट्रिगर करते हैं। जिनमें शामिल हैं:
  • उन स्थानों, घटनाओं या वस्तुओं से दूर रहना, जो दर्दनाक अनुभव या घटना की याद दिलाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि मरीज के साथ कार से जुड़ी दुर्घटना हुई हो, तो वह गाड़ी चलाना बंद कर सकता है।
  • दर्दनाक घटना से संबंधित विचारों या भावनाओं से बचना। उदाहरण के लिए, जो हुआ उसके बारे में सोचने से बचने के लिए खुद को व्यस्त रखने की कोशिश करना।
  • ऐसा महसूस करना जैसे अब कोई भविष्य ही नहीं है।
  • सामान्य गतिविधियों या हर रोज के काम में कोई रुचि न दिखाना।
  1. उत्तेजक लक्षण: जिसके कारण मरीज चिड़चिड़े हो सकते हैं या खतरे से बचने की तलाश में हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
  • छोटी से छोटी बात से भी चौंक जाना
  • तनाव महसूस करना
  • सोने में कठिनाई होना
  • गुस्सा आना
  • एकाग्रता में कमी
  1. नकारात्मक सोच, संज्ञानात्मक या मूड से जुड़े लक्षण: इसमें विश्वासों और भावनाओं में नकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं। इनमें शामिल है:
  • दर्दनाक घटना के बारे में महत्वपूर्ण बातें याद रखने में परेशानी
  • अपने या दुनिया के बारे में नकारात्मक विचार
  • दोष और अपराध बोध महसूस करना
  • अब उन चीजों में दिलचस्पी न होना, जिनका आनंद लिया करते थे
  • ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
  • अन्य लोगों को दोष देना

इनके अलावा, कुछ अन्य लक्षण भी हैं, जो कुछ इस प्रकार है:

  • चक्कर आना
  • बेहोश होना
  • सिरदर्द की समस्या
  • तेज धड़कन महसूस होना

पीटीएसडी के लक्षण के बाद पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के कारण और जाखिम कारक जानते हैं।

पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के कारण और जोखिम कारक – Causes and Risk Factors of Post Traumatic Stress Disorder in Hindi

देखा जाए तो जानकारों को अभी तक इस बात का ठीक से नहीं पता है कि कुछ लोगों को पीटीएसडी होने के क्या कारण हो सकते हैं। हालांकि, कुछ जानकारों का मानना है कि यह वंशानुगत, भावनाओं और पारिवारिक वजहों से हो सकता है। हालांकि, कई जोखिम कारक इसमें एक भूमिका निभा सकते हैं। इनमें शामिल हैं (1) (2):

  • पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में पीटीएसडी से ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है।
  • बचपन में होने वाली कोई दुर्घटना या आघात।
  • डरा हुआ, लाचार, या अत्यधिक भय महसूस करना।
  • एक दर्दनाक घटना से गुजरना जो मन में लंबे समय तक के लिए बैठ जाए।
  • घटना के बाद सामाजिक दूरी होना।
  • घटना के बाद कोई और अन्य तनाव की स्थिति होना, जैसे किसी प्रियजन की मौत, दर्द, चोट, नौकरी या घर का नुकसान।
  • मानसिक बीमारी या मादक द्रव्यों का अधिक सेवन।
  • घरेलू हिंसा।
  • प्राकृतिक आपदा।
  • यौन शोषण की घटना।

 पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का निदान पढ़ें।

पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का निदान – Diagnosis of Post Traumatic Stress Disorder in Hindi

मनोचिकित्सक पीटीएसडी की जांच कर सकते हैं, जो इस प्रकार है (1) (2) (3):

  • शारीरिक परीक्षण - डॉक्टर मरीज से कुछ लक्षणों के बारे में जानकारी ले सकते हैं। फिर उन्हीं लक्षणों के आधार पर डॉक्टर आगे के इलाज की राय दे सकते हैं।

  • मनोचिकित्सकीय परामर्श - अगर शारीरिक समस्या न हो, तो मनोचिकित्सक की सलाह ली जा सकती है। मनोचिकित्सक मरीज के अनुभवों के बारे में पूछ सकते हैं और इसी आधार पर रोग का पता कर सकते हैं।

  • लैब टेस्ट/स्कैन - शारीरिक परीक्षण और मनोचिकित्सकीय परामर्श के बाद अगर डॉक्टर को व्यक्ति में कुछ गंभीर लक्षण दिखते हैं, तो हो सकता है अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए फिजिकल टेस्ट करने की सलाह दें। फिर लक्षणों के आधार पर ब्लड टेस्ट या स्कैन कराने की सलाह दे सकते हैं।

इसके अलावा, पीटीएसडी का निदान करने के लिए मरीज को कम-से-कम एक महीने तक नीचे दिए सभी लक्षण होने चाहिए:

  • कम-से-कम एक बार फिर से उस घटना का अनुभव होना
  • एक बार अवॉयडेंस लक्षण दिखाई देने पर, जैसे - उन चीजों से दूर रहना जो कोई पुरानी घटना की याद दिलाता हो, किसी काम में रुचि न होना।
  • पीटीएसडी के लक्षण 30 दिनों तक होने पर इसका निदान होता है।

निदान के बाद यहां हम बता रहे हैं पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का इलाज कैसे किया जाता है।

पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का इलाज – Treatment of Post Traumatic Stress Disorder in Hindi

पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का इलाज कई प्रकार से किया जा सकता है। पीटीएसडी वाले लोगों के लिए मुख्य उपचार दवाएं, मनोचिकित्सा (टॉक थेरेपी), या दोनों का उपयोग किया जा सकता है। 

पीटीएसडी लोगों को अलग तरह से प्रभावित करता है, इसलिए हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग उपचार हो सकते हैं। एक व्यक्ति के लिए काम करने वाला उपचार जरूरी नहीं कि दूसरे के लिए भी काम करे। ऐसे में मनोचिकित्सक नीचे बताए गए तरीकों से पीटीएसडी का इलाज कर सकते हैं (1) (2) (3):

1. दवाएं:

डॉक्टर पीटीएसडी के इलाज के लिए एंटीडिप्रेसेंट दवाएं दे सकते हैं। यह पीटीएसडी के लक्षणों जैसे उदासी, चिंता, क्रोध और अंदर से खलीपन महसूस करने को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। नींद की समस्या और बुरे सपने जैसे पीटीएसडी लक्षणों के इलाज के लिए अन्य दवाएं सहायक हो सकती हैं।

2. मनोचिकित्सा या साइको थैरेपी:

मनोचिकित्सा में चिकित्सा के एक सहायक रूप को संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive behavioral therapy) या सीबीटी कहा जाता है। सीबीटी में शामिल हो सकते हैं:

  • टॉक थैरेपी: मानसिक बीमारी के इलाज के लिए मनोचिकत्सक से बात करने की थेरेपी सबसे सामान्य थेरेपी है।

    टॉक थैरेपी हर मरीज के साथ वन टू वन या फिर कई मरीजों के साथ एक समूह में हो सकती है। पीटीएसडी के लिए टॉक थेरेपी उपचार आमतौर पर 6 से 12 सप्ताह तक चल सकता है, लेकिन कभी-कभी यह अधिक समय तक भी चल सकता है।

  • एक्सपोजर थैरेपी: इससे लोगों को अपने डर का सामना करने और नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। इस थेरेपी के जरिए उनके मन में बैठे डर को सामने लाया जाता है।

    इसमें मरीज को कल्पना के माध्यम से, लेखन, या उस स्थान का दौरा करने, जहां घटना हुई थी, इसके माध्यम से डर को सामने लाने की कोशिश की जाती है। चिकित्सा के इस तरीके से पीटीएसडी वाले लोगों को उनके डर भावनाओं काे कम करने में मदद मिल सकती है।

  • कॉग्निटिव रिस्ट्रक्चरिंग: इस इलाज की मदद से लोगों के मन में बसी बुरी यादों को समझने में मदद मिल सकती है। कभी-कभी लोग घटना को इस तरह से याद करते हैं कि वह उनके कारण ही हुई थी और इसके लिए वे शर्म महसूस कर सकते हैं, भले ही घटनाक्रम में उनकी गलती नहीं हो। तब डॉक्टर उनके बारे में गहराई से जानकर रोगी को समझाने की कोशिश करते हैं कि जैसा वो सोच रहे हैं वैसा बिलकुल भी नहीं है।

अब जानेंगे पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से बचने के उपाय के बारे में।

पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से बचने के उपाय – Prevention Tips for Post Traumatic Stress Disorder in Hindi

कुछ ऐसे कारक हैं जो पीटीएसडी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। इनमें शामिल हैं (1):

  • दोस्तों, परिवार वालों का साथ व सहारा मिलने से इसका जोखिम कम हो सकता है।
  • खतरे की स्थिति में अपने कार्यों के बारे में अच्छा महसूस करने का प्रयास।
  • बुरी घटना के विचारों से निकलने और उससे निकलने का तरीका सीखने का प्रयास करना।
  • भय महसूस करने के बावजूद प्रभावी ढंग से कार्य करने और प्रतिक्रिया करने में सक्षम होना।

पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर एक मानसिक विकार है जिसके बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। यह व्यक्ति को सामाजिक और व्यक्तिगत दोनों तरह से प्रभावित कर सकता है। यहां हमने पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण और इलाज के बारे में विस्तार से बताया है। 

अगर किसी में पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर या पीटीएसडी के लक्षण दिखें तो बिना देर करते हुए उसपर ध्यान दें और इसकी गंभीरता के आधार पर आगे का इलाज कराएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

आप कैसे बता सकते हैं कि किसी को पीटीएसडी है?

किसी अप्रत्याशित घटना के बाद यदि कोई व्यक्ति उसके बारे में बार-बार सोचकर डरता है तो उसे पीटीएसडी की संभावना हो सकती है। इसके अलावा, लेख में दिए लक्षण अगर कई दिनों तक रहते हैं तो यह पीटीएसडी हो सकता है (2)।

पीटीएसडी किसी व्यक्ति को किस प्रकार प्रभावित करता है?

पीटीएसडी किसी भी व्यक्ति के सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर सकता है।

क्या पीटीएसडी आपके व्यक्तित्व को बदल देता है?

हां, यह मानसिक विकार है जिसके कारण व्यक्तित्व प्रभावित हो सकता है।

क्या पीटीएसडी गुस्से का कारण बनता है?

हां, गुस्सा और पीटीएसडी अक्सर एक साथ हो सकते हैं। इस स्थिति में सामान्य क्रोध पीटीएसडी के अतिरिक्त लक्षणों में से एक हो सकता है (1)।

क्या पीटीएसडी पागल बना सकता है?

नहीं, लेकिन पीटीएसडी वाले वयस्क कभी-कभी ऐसा महसूस कर सकते हैं कि वे मानसिक समस्या से जूझ रहे हो रहे हैं । उनके मूड में अचानक बदलाव जैसी चीजें महसूस कर सकते हैं (4)। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि पीटीएसडी ऐसा एंजाइटी विकार है जिसका इलाज किया जा सकता है।

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