प्रस्तुतकर्ता
Sunita Regmi
Pregnancy
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लोग अक्सर भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद पर ध्यान देना भूल जाते हैं, नतीजन वे कई बार ऐसी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं जिसकी उन्हें भनक तक नहीं होती है। डायबिटीज भी उन्हीं में से एक है। हालांकि, डायबिटीज से पहले प्री डायबिटीज की श्रेणी भी कुछ कम नहीं होती।
यहां हम बॉर्डरलाइन डायबिटीज के कारण, प्री डायबिटीज के लक्षण, उपचार, बचाव व डाइट के बारे में बताएंगे। सबसे पहले समझते हैं प्रीडायबिटीज क्या होता है।
प्री-डायबिटीज, वैसी स्थिति है जिसमें ब्लड ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। हालांकि, यह इतना अधिक नहीं होता कि इसे डायबिटीज की समस्या कहा जाए।
इसे मेडिकल भाषा में इम्पेयर्ड ग्लूकोज टॉलरेंस (IGT) या इम्पेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज (IFG) के रूप में जाना जा सकता है। आम भाषा में इसे बॉर्डरलाइन डायबिटीज के नाम से जाना जाता है (1)।
प्री-डायबिटीज की समस्या वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर यानी हृदय से जुड़े रोगों के होने का जोखिम अधिक बढ़ जाता है।
बताया जाता है कि जो लोग प्री-डायबिटीज की श्रेणी में आते हैं और वो समय रहते अपनी जीवनशैली में बदलाव नहीं करते हैं तो हर 3 में से एक व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में जरूरी है कि इसके रोकथाम के लिए जीवन में कुछ जरूरी बदलाव किए जाए (1)।
प्रीडायबिटीज क्या होता है जानने के बाद प्री डायबिटीज सिम्पटम्स के बारे में जानेंगे ।
प्री डायबिटीज के लक्षण की बात करें तो अधिकतर लोग ये नहीं जान पाते कि उन्हें प्रीडायबिटीज है, क्योंकि आमतौर पर इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि, प्री डायबिटीज से ग्रसित कुछ लोगों के गर्दन के पीछे या फिर किनारों पर और अंडरआर्म्स में कालापन हो सकता है। इसके साथ ही इन जगहों पर छोटी-छोटी त्वचा का विकास भी हो सकता है (2)।
अब बॉर्डरलाइन डायबिटीज के कारण जानते हैं।
शरीर में इंसुलिन से जुड़ी समस्या होने लगती है। दरअसल, इंसुलिन एक हार्मोन है जो ग्लूकोज के द्वारा कोशिकाओं को ऊर्जा देने में मदद करता है। चलिए अब जानते हैं कि इंसुलिन की समस्या कब हो सकती है (2) :
अब जानते हैं प्रीडायबिटीज यानी बॉर्डरलाइन डायबिटीज के जोखिम कारक कौन-कौन से हैं।
प्री-डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम कारक लगभग एक समान ही हैं, आइए नीचे उनके बारे में विस्तार से जानते हैं (1)।
इनके अलावा प्री-डायबिटीज का जोखिम इन निम्नलिखित लोगों में अत्यधिक होता है (1):
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आइए जानते हैं कि बॉर्डरलाइन डायबिटीज के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए।
वैसे तो प्रीडायबिटीज है के कोई निश्चित लक्षण नहीं होते हैं (2)। हालांकि, कुछ संभावित संकेतों के दिखाई देने पर प्री डायबिटीज के लिए डॉक्टर से संपर्क किया जा सकता है :
लेख के इस हिस्से में हम प्रीडायबिटीज के इलाज के तरीकों की बात करेंगे।
डॉक्टर प्रीडायबिटीज का इलाज जीवन शैली में बदलाव कर या फिर दवाओं की मदद से कर सकते हैं, जो कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। नीचे क्रमवार तरीके से हमने प्रीडायबिटीज का इलाज के बारे में बताया है (4):
अब जानिए प्रीडायबिटीज से जुड़ी डाइट के बारे में।
जैसा कि हमने लेख में बताया कि प्रीडायबिटिज की समस्या में ब्लड ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है (1)। ऐसे में जरूरी है कि उन खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाए जो ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित कर सकें। चलिए जानते हैं कि बॉर्डरलाइन डायबिटीज में क्या खाएं, क्या न खाएं :
प्री डायबिटीज में क्या खाएं :
प्री डायबिटीज की समस्या में निम्नलिखित चीजों का सेवन किया जा सकता है :
प्री डायबिटिज में क्या न खाएं :
प्री डायबिटिज की समस्या में निम्नलिखित चीजों के सेवन से परहेज करना चाहिए (5):
अब पढ़े बचाव
लेख के आखिर में जानें बॉर्डरलाइन डायबिटीज से बचाव के तरीके।
इस लेख को पढ़ने के बाद अगर मन में यह सवाल आ रहा हो कि प्री डायबिटीज से बचाव कैसे किया जा सकता है तो, नीचे हम कुछ ऐसे ही टिप्स बता रहे हैं जिन्हें ध्यान में रखकर प्रीडायबिटीज के जोखिम को कुछ हद तक कम किया जा सकता है (2):
प्री डायबिटीज से बचने के लिए इसे अच्छे से समझना जरूरी है, जिसमें हमारा यह लेख आपकी मदद कर सकता है। इस लेख में हमने प्रीडायबिटीज क्या होता है, समझाने के साथ-साथ इसके लक्षण व जोखिम कारक से जुड़ी जानकारी दी है। कुछ परिस्थितियों में आप डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं जिसके बारे में भी चर्चा की गई है। उम्मीद है यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज का लेवल अगर 125 से ऊपर है तो यह इस बात का संकेत है कि प्रीडायबिटीज की समस्या हो सकती है (2)। इसके अलावा, अधिक प्यास लगना, रात के समय ज्यादा पेशाब आना और घाव को ठीक होने में अधिक समय लगना जैसे लक्षण भी प्रीडायबिटीज के लिए चेतावनी के संकेत माने जाते हैं।
A1C का सामान्य स्तर 5.7 प्रतिशत से नीचे होता है। जबकि 5.7 प्रतिशत से 6.4 प्रतिशत का स्तर प्रीडायबिटीज को दर्शाता है तो वहीं 6.5 प्रतिशत या उससे अधिक का स्तर मधुमेह को इंगित करता है। ऐसे में 5.7 प्रतिशत से 6.4 प्रतिशत को खतरनाक माना जा सकता है, क्योंकि यह टाइप 2 डायबिटीज होने के जोखिम को बढ़ा सकता है (6)।
प्रीडायबिटीज का अधिक खतरा उन लोगों को अधिक होता है, जिनका वजन बढ़ा हुआ हो, जो शारीरिक गतिविधि नहीं करते हो या फिर उच्च रक्तचाप या हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो। इसके अलावा, अगर परिवार में किसी को टाइप 2 मधुमेह हो या फिर गर्भावस्था के दौरान मधुमेह हो, तो इस स्थिति में भी प्रीडायबिटीज होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है (1)।
हां, जीवनशैली में बदलाव और वजन को नियंत्रित कर प्रीडायबिटीज होने से रोका जा सकता है (2)।
जी हां, प्री-डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति केला का सेवन कर सकता है (5)।
नहीं, प्री डायबिटीज वाले लोगों चीनी या फिर चीनी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं कर सकते हैं (5)।
प्रीडायबिटीज वाले लोगों के लिए सबसे अच्छा नाश्ता दलिया, ब्रेड, फल, जैसे -संतरा, खरबूजा, जामुन, सेब, केला, और अंगूर आदि हो सकता है (5)। हालांकि , व्यक्ति के स्वास्थ्य और उम्र के अनुसार इसमें बदलाव हो सकते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि इस बारे में एक बार डॉक्टरी सलाह ले लें।
जी हां, प्रीडायबिटीज वाले लोगों के लिए अंडे का सेवन सुरक्षित माना गया है (5)।
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