पीसीओएस और बांझपन का क्या है संबंध, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर

प्री डायबिटीज (बॉर्डर लाइन डायबिटीज) के कारण, लक्षण और इलाज - Prediabetes In Hindi

लोग अक्सर भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद पर ध्यान देना भूल जाते हैं, नतीजन वे कई बार ऐसी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं जिसकी उन्हें भनक तक नहीं होती है। डायबिटीज भी उन्हीं में से एक है। हालांकि, डायबिटीज से पहले प्री डायबिटीज की श्रेणी भी कुछ कम नहीं होती। 

यहां हम बॉर्डरलाइन डायबिटीज के कारण, प्री डायबिटीज के लक्षण, उपचार, बचाव व डाइट के बारे में बताएंगे। सबसे पहले समझते हैं प्रीडायबिटीज क्या होता है।

प्रीडायबिटीज क्या है?

प्री-डायबिटीज, वैसी स्थिति है जिसमें ब्लड ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। हालांकि, यह इतना अधिक नहीं होता कि इसे डायबिटीज की समस्या कहा जाए।

इसे मेडिकल भाषा में इम्पेयर्ड ग्लूकोज टॉलरेंस (IGT) या इम्पेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज (IFG) के रूप में जाना जा सकता है। आम भाषा में इसे बॉर्डरलाइन डायबिटीज के नाम से जाना जाता है (1)।

प्री-डायबिटीज की समस्या वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर यानी हृदय से जुड़े रोगों के होने का जोखिम अधिक बढ़ जाता है। 

बताया जाता है कि जो लोग प्री-डायबिटीज की श्रेणी में आते हैं और वो समय रहते अपनी जीवनशैली में बदलाव नहीं करते हैं तो हर 3 में से एक व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में जरूरी है कि इसके रोकथाम के लिए जीवन में कुछ जरूरी बदलाव किए जाए (1)।

प्रीडायबिटीज क्या होता है जानने के बाद प्री डायबिटीज सिम्पटम्स के बारे में जानेंगे ।

प्रीडायबिटीज (बॉर्डरलाइन डायबिटीज) के लक्षण - Prediabetes Symptoms in Hindi

प्री डायबिटीज के लक्षण की बात करें तो अधिकतर लोग ये नहीं जान पाते कि उन्हें प्रीडायबिटीज है, क्योंकि आमतौर पर इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि, प्री डायबिटीज से ग्रसित कुछ लोगों के गर्दन के पीछे या फिर किनारों पर और अंडरआर्म्स में कालापन हो सकता है। इसके साथ ही इन जगहों पर छोटी-छोटी त्वचा का विकास भी हो सकता है (2)।

अब बॉर्डरलाइन डायबिटीज के कारण जानते हैं।

प्रीडायबिटीज (बॉर्डरलाइन डायबिटीज) के कारण - Causes of Prediabetes in Hindi

शरीर में इंसुलिन से जुड़ी समस्या होने लगती है। दरअसल, इंसुलिन एक हार्मोन है जो ग्लूकोज के द्वारा कोशिकाओं को ऊर्जा देने में मदद करता है। चलिए अब जानते हैं कि इंसुलिन की समस्या कब हो सकती है (2) :

  • इंसुलिन प्रतिरोध: यह एक ऐसी स्थिति जिसमें शरीर अपने इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता है। इस वजह से शरीर में मौजूद कोशिकाओं को रक्त से ग्लूकोज नहीं मिल पाता है। जिसके परिणामस्वरूप ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।

  • पर्याप्त इंसुलिन न बनना :  इस स्थिति में शरीर में मौजूद रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त इंसुलिन नहीं बन पाता है।

  • अत्यधिक वजन: कई शोधकर्ताओं के मुताबिक, वजन का अधिक बढ़ना और नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि न करना प्रीडायबिटीज का मुख्य कारण बन सकता है।

अब जानते हैं प्रीडायबिटीज यानी बॉर्डरलाइन डायबिटीज के जोखिम कारक कौन-कौन से हैं।

प्रीडायबिटीज (बॉर्डरलाइन डायबिटीज) के जोखिम कारक- Risk Factors in Hindi

प्री-डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम कारक लगभग एक समान ही हैं, आइए नीचे उनके बारे में विस्तार से जानते हैं (1)।

  • पारिवारिक इतिहास: प्रीडायबीटिज के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में सबसे पहला कारक है पारिवारिक इतिहास। अगर परिवार में किसी को मधुमेह की समस्या रही है तो ऐसे में इसके विकसित होने का जोखिम काफी हद तक बढ़ सकता है।

  • वजन ज्यादा होना: अतिरिक्त मोटापा या शरीर का बढ़ा हुआ वजन भी प्री डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकता है।

  • शारीरिक गतिविधि: अगर रोजाना शारीरिक गतिविधियां न की जाए तो, इस कारण भी प्रीडायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।

  • धूम्रपान : सिगरेट या धूम्रपान का सेवन भी बॉर्डरलाइन डायबिटीज के सबसे अहम जोखिम कारकों में से एक है।

  • उच्च रक्तचाप या कोलेस्ट्रॉल: उच्च रक्तचाप की समस्या, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल या फिर इन दोनों का होना भी प्री डायबिटीज के जोखिम को उत्पन्न कर सकता है।

  • गर्भकालीन मधुमेह: कई बार गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की समस्या का होना प्री डायबिटीक होने की संभावना को बढ़ा सकता है।

  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम: पीसीओएस की समस्या , एक ऐसी स्थिति जिसे महिला के बांझपन के कारणों में से एक माना जाता है (3)। यह स्थिति भी महिलाओं में बॉर्डरलाइन डायबिटीज के जोखिम पैदा कर सकती है।

  • एंटीसाइकोटिक दवाएं: कुछ एंटीसाइकोटिक दवाइयों के सेवन को भी बॉर्डरलाइन डायबिटीज का जोखिम कारक माना गया है।

इनके अलावा प्री-डायबिटीज का जोखिम इन निम्नलिखित लोगों में अत्यधिक होता है (1):

  • जो लोग मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया, प्रशांत द्वीप वासी व उत्तरी अफ्रीकी वाले लोग होते हैं उनमें मधुमेह होने की संभावना अधिक हो सकती है।

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आइए जानते हैं कि बॉर्डरलाइन डायबिटीज के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए।

प्रीडायबिटीज (बॉर्डरलाइन डायबिटीज) के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?

वैसे तो प्रीडायबिटीज है के कोई निश्चित लक्षण नहीं होते हैं (2)। हालांकि, कुछ संभावित संकेतों के दिखाई देने पर प्री डायबिटीज के लिए डॉक्टर से संपर्क किया जा सकता है :

  • अगर किसी व्यक्ति का फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज लेवल 125 से ऊपर है तो यह प्री डायबिटीज की समस्या की ओर संकेत करता है (2)। ऐसे में एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए।
  • इसके अलावा, अगर शरीर में किसी प्रकार का परिवर्तन दिखाई दे, जैसे - गर्दन और अंडरआर्म्स में छोटी-छोटी त्वचा का विकास होना या फिर वहां की त्वचा का काला होना (2)।
  • अगर सामान्य स्थिति के मुकाबले अधिक प्यास लग रही हो और बार-बार पेशाब करने की इच्छा महसूस हो रही हो।
  • इन सब के अलावा, दृष्टि का कमजोर होना, अधिक थकान महसूस होना या फिर अधिक पसीना आने पर भी प्रीडायबिटीज  के लिए डॉक्टर से संपर्क किया जा सकता है।

लेख के इस हिस्से में हम प्रीडायबिटीज के इलाज के तरीकों की बात करेंगे।

प्रीडायबिटीज (बॉर्डरलाइन डायबिटीज) का इलाज - Prediabetes Treatments in Hindi

डॉक्टर प्रीडायबिटीज का इलाज जीवन शैली में बदलाव कर या फिर दवाओं की मदद से कर सकते हैं, जो कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। नीचे क्रमवार तरीके से हमने प्रीडायबिटीज का इलाज के बारे में बताया है (4):

  1. जीवनशैली में बदलाव : जीवनशैली में परिवर्तन लाकर प्री डायबिटीज में सुधार लाया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर डेली रूटीन में शारीरिक गतिविधि को शामिल करने और मोटापे को कम करने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, डॉक्टर आहार में भी परिवर्तन करने के सुझाव दे सकते हैं।

  2. दवाएं:  प्री-डायबिटीज के ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर कुछ एंटीडायबिटिक दवाओं के सेवन की सिफारिश कर सकते हैं। ये दवाएं रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।

  3. बैरिएट्रिक सर्जरी: इसमें कैलोरी की मात्रा को सीमित करने के लिए कई प्रक्रियाओं को शामिल किया जाता है। इस सर्जरी को मधुमेह के जोखिमों में कमी लाने के अलावा वजन नियंत्रण में भी सहायक माना गया है।

अब जानिए प्रीडायबिटीज से जुड़ी डाइट के बारे में।

प्रीडायबिटीज (बॉर्डरलाइन डायबिटीज) में क्या खाएं, क्या न खाएं - Diet for Prediabetes in Hindi

जैसा कि हमने लेख में बताया कि प्रीडायबिटिज की समस्या में ब्लड ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है (1)। ऐसे में जरूरी है कि उन खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाए जो ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित कर सकें। चलिए जानते हैं कि बॉर्डरलाइन डायबिटीज में क्या खाएं, क्या न खाएं :

प्री डायबिटीज में क्या खाएं :

प्री डायबिटीज की समस्या में निम्नलिखित चीजों का सेवन किया जा सकता है :

  • कम सैचुरेटेड फैट और अधिक स्वस्थ फैट
  • नट्स
  • एवोकाडो
  • जैतून के तेल का उपयोग
  • फल का सेवन
  • हरी सब्जियों का इस्तेमाल
  • उच्च फाइबर वाले साबुत अनाज

प्री डायबिटिज में क्या न खाएं :

प्री डायबिटिज की समस्या में निम्नलिखित चीजों के सेवन से परहेज करना चाहिए (5):

  • ज्यादा तला-भुना या ज्यादा फैट वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
  • ज्यादा सोडियम युक्त आहार का सेवन न करें।
  • मीठे खाद्य पदार्थ जैसे: आइसक्रीम, कैंडी या बेकरी वाले खाद्य पदार्थों को खाने से बचें।
  • मीठे पेय पदार्थ जैसे: कोल्ड ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, सोडा या जूस के सेवन से भी परहेज करें।

अब पढ़े बचाव

लेख के आखिर में जानें बॉर्डरलाइन डायबिटीज से बचाव के तरीके।

प्रीडायबिटीज (बॉर्डरलाइन डायबिटीज) से बचाव - Pre Diabetes Prevention Tips in Hindi

इस लेख को पढ़ने के बाद अगर मन में यह सवाल आ रहा हो कि प्री डायबिटीज से बचाव कैसे किया जा सकता है तो, नीचे हम कुछ ऐसे ही टिप्स बता रहे हैं जिन्हें ध्यान में रखकर प्रीडायबिटीज के जोखिम को कुछ हद तक कम किया जा सकता है (2):

  • वजन को हमेशा नियंत्रण में रखें।
  • हमेशा स्वस्थ एवं संतुलित आहार का सेवन करें।
  • अपने डेली रूटीन में योग व व्यायाम को शामिल करें।
  • अगर परिवार में किसी को मधुमेह की समस्या है, तो डॉक्टर से बात करें और सलाह लें।
  • धूम्रपान एवं शराब के सेवन से परहेज करें।
  • अत्यधिक मीठे खाद्य व पेय पदार्थों के सेवन से भी बचें।

प्री डायबिटीज से बचने के लिए इसे अच्छे से समझना जरूरी है, जिसमें हमारा यह लेख आपकी मदद कर सकता है। इस लेख में हमने प्रीडायबिटीज क्या होता है, समझाने के साथ-साथ इसके लक्षण व जोखिम कारक से जुड़ी जानकारी दी है। कुछ परिस्थितियों में आप डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं जिसके बारे में भी चर्चा की गई है। उम्मीद है यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रीडायबिटीज के लिए चेतावनी के संकेत क्या हैं?

फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज का लेवल अगर 125 से ऊपर है तो यह इस बात का संकेत है कि प्रीडायबिटीज की समस्या हो सकती है (2)। इसके अलावा, अधिक प्यास लगना, रात के समय ज्यादा पेशाब आना और घाव को ठीक होने में अधिक समय लगना जैसे लक्षण भी प्रीडायबिटीज के लिए चेतावनी के संकेत माने जाते हैं।

A1C का खतरनाक स्तर कौन सा होता है?

A1C का सामान्य स्तर 5.7 प्रतिशत से नीचे होता है। जबकि 5.7 प्रतिशत से 6.4 प्रतिशत का स्तर प्रीडायबिटीज को दर्शाता है तो वहीं 6.5  प्रतिशत या उससे अधिक का स्तर मधुमेह को इंगित करता है। ऐसे में 5.7 प्रतिशत से 6.4 प्रतिशत को खतरनाक माना जा सकता है, क्योंकि यह टाइप 2 डायबिटीज होने के जोखिम को बढ़ा सकता है (6)।

प्रीडायबिटीज का अधिक खतरा किसे होता है?

प्रीडायबिटीज का अधिक खतरा उन लोगों को अधिक होता है, जिनका वजन बढ़ा हुआ हो, जो शारीरिक गतिविधि नहीं करते हो या फिर उच्च रक्तचाप या हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो। इसके अलावा, अगर परिवार में किसी को टाइप 2 मधुमेह हो या फिर गर्भावस्था के दौरान मधुमेह हो, तो इस स्थिति में भी प्रीडायबिटीज होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है (1)।

क्या प्रीडायबिटीज होने से रोका जा सकता है?

हां, जीवनशैली में बदलाव और वजन को नियंत्रित कर प्रीडायबिटीज होने से रोका जा सकता है (2)।

प्री-डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति केला का सेवन कर सकता है?

जी हां, प्री-डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति केला का सेवन कर सकता है (5)।

क्या प्री डायबिटीज वाले लोग  चीनी का सेवन कर सकते हैं ?

नहीं, प्री डायबिटीज वाले लोगों चीनी या फिर चीनी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं कर सकते हैं (5)।

प्री डायबिटीज वाले लोगों के सबसे अच्छा नाश्ता क्या हो सकता है?

प्रीडायबिटीज वाले लोगों के लिए सबसे अच्छा नाश्ता दलिया, ब्रेड, फल, जैसे -संतरा, खरबूजा, जामुन, सेब, केला, और अंगूर आदि हो सकता है (5)। हालांकि , व्यक्ति के स्वास्थ्य और उम्र के अनुसार इसमें बदलाव हो सकते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि इस बारे में एक बार डॉक्टरी सलाह ले लें।

क्या अंडा प्रीडायबिटीज वाले लोगों के लिए अच्छा है?

जी हां, प्रीडायबिटीज वाले लोगों के लिए अंडे का सेवन सुरक्षित माना गया है (5)।

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