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नींद में बोलना : कारण, लक्षण, ट्रीटमेंट व टिप्स | Sleep Talking in Hindi

कई लोग सोते हुए नींद में बड़बड़ाते हैं। उनका बड़बड़ाना सुनकर लोगों को चिंता होने लगती है कि ऐसा क्यों हो रहा है। इस बारे में विशेषज्ञों से बात करने की आवश्कता होती है। उन्हीं विशेषज्ञों द्वारा नींद में बोलने की समस्या को ठीक करने के लिए सुझाए गए तरीकों की जानकारी हम लेकर आया है। इस लेख में नींद में बोलने के कारण, लक्षण, बचाव के टिप्स और इलाज के बारे में बता रहे हैं।

लेख की शुरुआत नींद में बोलना क्या है, इससे करते हैं।

स्लीप टॉकिंग या नींद में बोलना क्या है?

स्लीप टॉकिंग कुछ और नहीं, बल्कि नींद संबंधी विकार है। इस समस्या में लोग रात में सोते समय बोलते हैं। इसको सोम्निलोक्यू (Somniloquy) के नाम से भी जाना जाता है (1)। यह विकार पैरासोम्निया (Parasomnia) नामक नींद संबंधित बीमारी के कारण भी हो सकता है (2)

एनसीबीआई पर प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार,  नींद में बात करने की समस्या काफी आम है। बचपन में इससे जूझने वालों में यह शिकायत उम्र बढ़ने के बाद भी रह सकती है (3)। माना जाता है कि बच्चा नींद में सपने से जुड़ी बातें बोलता है या फिर उन बातों को जो उसके दिमाग में बैठी होती हैं (4)

आइए, अब जानते हैं कि लोग नींद में क्यों बात करते हैं।

लोग नींद में क्यों बात करते हैं? | Neend Mein Bolne Ka Karan

नींद में बोलने के पीछे कई कारण होते हैं, जिनके बारे में हम आगे बता रहे हैं (2) :

  • तंत्रिका संबंधी विकार
  • किसी तरह का दर्द
  • जेनेटिक्स यानी आनुवंशिकता
  • अवसाद की समस्या 
  • चिंता
  • दवाइयां
  • हृदय रोग
  • फेफड़े की बीमारी

अब हम नींद में बात करने के चरण व लक्षण बता रहे हैं।

नींद की बात करने के चरण और लक्षण

नींद में बात करने के कुछ विशेष लक्षण नहीं होते हैं। इसका सबसे बड़ा संकेत नींद में बड़बड़ाना और बोलना ही है। लोग जब गहरी नींद में होते हैं, तो उसके बोलने, करहाने जैसी अस्पष्ट की आवाजें सुनाई देती है। अब आगे हम नींद में बात करने के चरण बता रहे हैं (1):

  1. स्टेज 1 और 2 - इन चरणों के दौरान नींद में बात करने वाले 3 और 4 स्टेज की तरह गहरी नींद में नहीं होते। इस समय नींद में की जाने वाली बातें पूरी तरह स्पष्ट होती हैं, जिन्हें आसानी से समझा जा सकता है।
  1. स्टेज 3 और 4 - इस समय बच्चा गहरी नींद में होता है, जिस कारण उसकी बातों को ठीक से समझना मुश्किल होता है। बातें करहाने जैसी और अस्पष्ट होती हैं।

नींद में बात करने की गंभीरता इस बात पर भी निर्भर करती है कि यह हफ्ते और महीने में कितनी बार होता है (1):

  • माइल्ड -  इस स्टेज में नींद में बात करने की समस्या महीने में एक बार हो सकती है।
  • मॉडरेट - इस चरण में नींद में बात करने की शिकायत सप्ताह में एक से अधिक बार हो सकती है, लेकिन हर रात ऐसा नहीं होता। दूसरे कमरे में सो रहे व्यक्ति की नींद में भी ज्यादा बाधा नहीं पड़ती है।
  • सीवियर - इस दौरान रोज नींद में बात करने की वजह से बगल में या पास के कमरे में सोने वाले की नींद टूट सकती है।

नींद में बात करने की शिकायत को समय के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है, जो कुछ इस तरह है (5):

  • एक्यूट - इस श्रेणी में आने वाले नींद में बात करने की समस्या एक महीने या उससे कम समय तक हो सकती है।
  • सबएक्यूट - इस प्रकार के नींद में बात करने की समस्या एक महीने से अधिक, लेकिन एक वर्ष से कम समय तक रहती है।
  • क्रोनिक - यह स्थिति एक वर्ष से अधिक समय तक बनी रह सकती है।

आगे हम नींद में बात करने से जुड़ी परेशानियों के बारे में बता रहे हैं।

नींद में बोलने से होने वाली परेशानियां

नींद में बात करने से किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। हां, उसके साथ या उस कमरे में सो रहे दूसरे व्यक्ति की नींद खुल सकती है। निरंतर बड़बड़ाने के कारण बगल के कमरे में सोने वाले की भी नींद टूट सकती है और फिर दोबारा सोने में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है।

आगे हम बच्चों के नींद में बात करने से जुड़े कुछ जरूरी टिप्स दे रहे हैं।

नींद में बात करना बंद करने के 10 टिप्स | Neend Me Bolna Kaise Roke

नींद में बात करना बंद करने के लिए कुछ टिप्स को अपनाया जा सकता है, जिनमें ये शामिल हैं:

  1. सोने का टाइम टेबल बनाएं। सोने के समय का नियमित रूप से पालन करें। दिन हो या रात एक नियमित समय पर ही सोएं (2)
  1. पर्याप्त नींद लें और जब सो रहे हों तब आसपास शोर न हो।
  1. बिस्तर को साफ और कमरे के तापमान को सामान्य रखें।
  1. बिस्तर के पास तेज रोशनी वाली लाइट लगाने से बचें।
  1. सोने से पहले वसा युक्त और मसालेदार खाद्य पदार्थ खाने से बचें। ऐसे खाद्य पदार्थ जल्दी नहीं पचते हैं, जो नींद में रुकावट का कारण बन सकते हैं (6)
  1. बच्चे के कमरे में सुबह अच्छी रोशनी और रात में पर्याप्त अंधेरा होना चाहिए।
  1. रोजाना पर्याप्त शारीरिक गतिविधि जैसे साइकिल चलाना, तैरना और अन्य खेल जरूर खेले। ऐसे करने से नींद की गुणवत्ता बढ़ सकती है (7)
  1. रात में कैफीन युक्त खाद्य पदार्थ देने पर नींद संबंधित समस्या हो सकती है और स्लीप टॉकिंग भी एक प्रकार का नींद संबंधी समस्या है (2)
  1. आरामदायक कपड़ों में ही सोेएं।
  1. बच्चों से खुलकर बातें करें। ऐसा करने से उनके दिमाग में ऐसी कोई बात बैठी नहीं रहेगी, जिसे वो नींद में बोलें।

सोते समय बड़बड़ाना गंभीर समस्या नहीं है, पर यह किसी समस्या का लक्षण हो सकता है। इसलिए, बचपन में नींद में बोलने की समस्या को ध्यान में रखकर सही कदम उठाए जाएं, तो इसे ठीक किया जा सकता है। वहीं, इस परेशानी को कम करने के लिए लेख में बताए गए तरीके को बच्चों पर अपना सकते हैं।

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