कुछ लोगों को चलते-चलते या अचानक खड़े होने पर सिर का चक्कर आने लगता है और शारीरिक संतुलन बनाए रखने में समस्या भी होती है। ऐसे में लगता है, जैसे आसपास की सारी चीजें घूम रही हैं। हो सकता है कि ये वर्टिगो के लक्षण हो (1)।
वर्टिगो के कुछ गंभीर मामलों में व्यक्ति अपना संतुलन खोकर गिर जाता है, जिसे ‘ड्रॉप अटैक’ कहते हैं (2)। ऐसे में इस लेख में हम वर्टिगो के लक्षण के साथ-साथ वर्टिगो के इलाज से जुड़ी जरूरी जानकारियां भी दे रहे हैं।
सबसे पहले हम वर्टिगो कितने तरह के होते हैं, इसकी जानकारी दे रहे हैं।
वर्टिगो के प्रकार - Types of Vertigo in Hindi
इससे पहले कि वर्टिगो के लक्षण से जुड़ी जानकारी से पहले वर्टिगो के प्रकार के बारे में जानना जरूरी है। वैसे वर्टिगो के दो प्रकार के होते है, जिसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (1):
- पेरिफेरल वर्टिगो (Peripheral vertigo): यह वेस्टिबुलर लेबीरिंथ या सेमीसर्कुलर कैनल्स (कान के आंतरिक हिस्से, जो शरीर के संतुलन को नियंत्रित करता है) से जुड़ी समस्या की वजह से होता है। इसे पेरिफेरल वर्टिगो कहा जाता है। ऐसे में व्यक्ति को अपना संतुलन बनाने में परेशानी हो सकती है।
- सेंट्रल वर्टिगो (Central Vertigo): सेंट्रल वर्टिगो मस्तिष्क में किसी तरह की समस्या के कारण हो सकता है। आमतौर पर, ब्रेन स्टेम या मस्तिष्क के पिछले हिस्से (सेरिबैलम) में किसी प्रकार की परेशानी होने से यह हो सकता है।
लेख के इस भाग में जानते हैं कि वर्टिगो के कारण क्या हैं।
वर्टिगो के कारण - What Causes Vertigo in Hindi
वर्टिगो दो प्रकार के होते हैं। ऐसे में इनके कारणों को भी दो अलग-अलग भागों में बांटा गया है। तो सबसे पहले पेरिफेरल वर्टिगो के कारण जानते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (1):
बेनाइन पैरॉक्सिज्मल पोजिशनल वर्टिगो (Benign Paroxysmal Positional Vertigo – BPPV) - इस दौरान कैल्शियम के छोटे-छोटे कण कान के आतंरिक हिस्से में इकट्ठा हो जाते हैं, जिससे कान से दिमाग को भेजे जाने वाले संदेश प्रभावित हो सकते है और संतुलन बनाए रखने में समस्या हो सकती है। इसे वर्टिगो का सबसे सामान्य प्रकार माना जा सकता है (3)। यह पेरिफेरल वर्टिगो से जुड़ा होता है, क्योंकि यह वेस्टिबुलर से जुड़े विकार के कारण हो सकता है (4)।
- सिर पर चोट लागना।
- वेस्टिबुलर तंत्रिका की सूजन।
- भीतरी कान की सूजन और जलन।
- मेनिएरे रोग (कान के भीतरी हिस्से से जुड़ा विकार)।
- वेस्टिब्युलर तंत्रिका पर दबाव।
सेंट्रल वर्टिगो के निम्न कारण हो सकते हैं (1):
- रक्त वाहिका संबंधी रोग
- कुछ दवाएं, जैसे एंटीकंवल्जेंट, एस्पिरिन का दुष्प्रभाव
- शराब का सेवन
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है)
- स्ट्रोक
- ट्यूमर (कैंसर या गैर-कैंसर)
- माइग्रेन
वर्टिगो के कारण के बाद जानते हैं, वर्टिगो के लक्षण।
वर्टिगो के लक्षण - Symptoms of Vertigo in Hindi
सिर घूमना और सिर का चक्कर आना वर्टिगो के आम लक्षण हैं। इसके अलावा भी कुछ लक्षण हैं, जिनसे आप वर्टिगो का पता लगा सकते हैं (1) (5)।
- ठीक से सुनाई न देना
- टिनीटस - किसी एक कान में सीटी जैसी आवाज आना
- भोजन निगलने में समस्या
- धुंधला दिखना
- मोशन सिकनेस
- सिरदर्द की समस्या
- आंखों को नियंत्रित करने में समस्या
- चेहरे का पैरालाइसिस
- बोलने में परेशानी या हकलाना
- थकावट लगना
- जी मिचलाना
- कुछ भी निगलने में परेशानी
- मतली व उल्टी की समस्या
- वेस्टिबुलर माइग्रेन, एक प्रकार का माइग्रेन सिरदर्द
क्या विटामिन डी से वर्टिगो में मदद मिलती है?
कई बार पोषक तत्वों की कमी भी वर्टिगो का कारण बन सकती है (20)। इससे जुड़े शोध के अनुसार विटामिन डी की कमी भी वर्टिगो के लक्षणों को बढ़ा सकती है (21)। ऐसे में वर्टिगो से बचाव या इसके लक्षणों को कम करने के लिए डाइट में विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे - मशरूम, मछली, अंडा, चीज़, डेयरी प्रोडक्ट का सेवन कर सकते हैं (22)।
आगे हम जानेंगे कि वर्टिगो के दौरान खान-पान कैसा होना चाहिए।
वर्टिगो के लिए आहार - Diet For Vertigo in Hindi
वर्टिगो के मरीजों को फैट और कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम लेने की सलाह दी जाती है। साथ ही, आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाने की सलाह दी जाती है (20)। ऐसे में वर्टिगो से बचाव या कुछ हद तक राहत के लिए आहार में नीचे दिए गए खाद्य पदार्थ शामिल किए जा सकते हैं:
- सेब, केला, नाशपाती, आड़ू आदि फल फाइबर से भरपूर होते हैं। साथ ही होल ग्रेन ब्रेड, ब्राउन राइस और ओटमील भी खा सकते हैं (23)
- वर्टिगो के लिए आहार में गाजर, पालक, उबले हुए आलू, मशरूम और कद्दू भी खा सकते हैं (23)।
- विटामिन बी-12 की कमी से टिनीटस होने की आशंका बढ़ जाती है (24)। ऐसे में विटामिन बी-12 युक्त खाद्य पदार्थ जैसे - दूध, केला, राजमा को डाइट में शामिल करें (25)।
- आहार में नमक की मात्रा कम करें (26)। ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से बचें, जिनमे नमक (सोडियम) की मात्रा ज्यादा हो, जैसे हेम, बेकन, सलामी, बोलोंगा, आदि। वहीं, भारतीय आहार में पापड़, अचार, ढोकला और बेक किए हुए खाद्य पदार्थ खाने से बचें।
- मेनियर्स रोग में भी वर्टिगो की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह कान से जुड़ी समस्या है, जिसमें चक्कर आने जैसी परेशानी हो सकती है। ऐसे में इस समस्या से बचाव या लक्षणों को कम करने के लिए आहार में नमक की मात्रा कम करें (26)।
- कैफीन और शराब का सेवन भी न करें (27)।
आगे वर्टिगो के निदान की जानकारी दी गई है।
वर्टिगो का निदान - Vertigo Diagnosis in Hindi
डॉक्टर वर्टिगो की पहचान नीचे बताए गए तरीकों से कर सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं: (1)
- रक्त की जांच - बल्ड टेस्ट के द्वारा वर्टिगो का निदान किया जा सकता है।
- बीएईपी- डॉक्टर बीएईपी (Brainstem Auditory Evoked Potentials) टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं (31)। इस टेस्ट को करने के लिए डॉक्टर रोगी के स्कैल्प और कानों के निचले हिस्से पर छोटे इलेक्ट्रोड (तार से जुड़े पैच) लगाते हैं।
ये तार एक ऐसी मशीन से जुड़े होते हैं, जो मस्तिष्क की सभी गतिविधियों को रिकॉर्ड करते हैं। साथ ही इस दौरान ईयरफोन या हेडफोन भी दिए जाते हैं। फिर इसमें कुछ आवाजें सुनाई जाती हैं। इसमें सुनी जाने वाली आवाज को दिमाग कैसे प्रोसेस करता है इसकी जांच की जाती है।
- कैलॉरीक स्टिम्युलेशन - कैलॉरीक स्टिम्युलेशन (Caloric stimulation) द्वारा भी वर्टिगो का निदान किया जा सकता है। इस टेस्ट में गुनगुने व ठंडे पानी को कान में डालकर जांच की जाती है। इससे एकॉस्टिक नर्व से जुड़ी समस्या का पता लगाया जा सकता है। यह तंत्रिका सुनने और संतुलन बनाने के लिए होती है। इस परीक्षण को ब्रेन स्टेम के क्षति का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है (32)।
- ईईजी - वहीं, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर ईईजी (Electroencephalogram) टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट में मरीज को आराम से लेटने को कहा जाता है और इस दौरान उनके सिर पर एलेक्ट्रोड तार लगाए जाते हैं, जो एक मशीन से जुड़े होते हैं। इसी मशीन में रीडिंग ली जाती है (33)।
- इलेक्ट्रोनिस्टाग्मोग्राफी - इलेक्ट्रोनिस्टाग्मोग्राफी (Electronystagmography) करके भी डॉक्टर इसकी जांच कर सकते हैं। यह आई मूवमेंट से जुड़ी जांच होती है।
- सीटी स्कैन - वर्टिगो के निदान के लिए सिर का सीटी स्कैन कराने की सलाह भी दी जा सकती है।
- लंबर पंचर - डॉक्टर लंबर पंचर प्रक्रिया भी अपना सकते हैं। इसमें मिस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिका तंत्र से जुड़े अन्य भागों को प्रभावित करने का कारण जानने के लिए रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में एक सुई डाली जाती है। इसके बाद सूई के माध्यम से रीढ़ के अंदर से द्रव का नमूना लिया जाता है (34)।
- एमआरआई - कुछ मामलों में वर्टिगो का निदान करने के लिए सिर का एमआरआई स्कैन भी किया जा सकता है।
- वॉक टेस्ट - डॉक्टर व्यक्ति के चलने के तरीकों की भी जांच कर सकते हैं।
- हेड थ्रेस्ट - हेड थ्रेस्ट के जरिए भी वर्टिगो का पता लगाया जा सकता है। इस जांच के माध्यम से डॉक्टर पेरिफेरल वर्टिगो और सेंट्रल वर्टिगो की जांच कर सकते हैं।
इस टेस्ट को करने के लिए रोगी की आंखों को किसी केंद्रित बिन्दु (जैसे- डॉक्टर की नाक) को देखने के लिए कहा जा सकता है। इसके बाद रोगी के सिर को दोनों हाथों से पकड़कर दाएं-बाएं हल्के-हल्के से घुमाया जाता है। इस दौरान रोगी की आंखों की गतिविधि की जांच की जाती है।
लेख के अंतिम भाग में वर्टिगो का इलाज जानने का प्रयास करेंगे।
वर्टिगो का इलाज - Vertigo Treatment in Hindi
वर्टिगो की समस्या के इलाज के लिए डॉक्टर कुछ तरीके अपना सकते हैं। इन्हीं तरीकों के बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं (1):
- बेनिगिन पोजिशनल वर्टिगो के इलाज के लिए मरीज के सिर को खास पोजिशन में मूव किया जाता है।
- वर्टिगो के मुख्य लक्षण जैसे मतली और उल्टी के लिए डॉक्टर दवाईंयां दे सकते हैं।
- डॉक्टर वर्टिगो की समस्या से आराम के लिए कुछ शारीरिक व्यायाम करने की भी सलाह दे सकते हैं। यह व्यायाम संतुलन को सही करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही मांसपेशियों को मजबूत करने में सहायक हो सकते हैं।
- वर्टिगो की समस्या अगर किसी बीमारी के कारण हो रही है, तो डॉक्टर उस बीमारी की जांच कर सकते हैं और उसी अनुसार आगे का इलाज कर सकते हैं।
- डॉक्टर वर्टिगो की समस्या से राहत दिलाने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करने की सलाह भी दे सकते हैं।
- कुछ दुर्लभ मामलों में सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।
अगर वर्टिगो की परेशानी लगातार बनी रहती है, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। इसके अलावा, अच्छा खान-पान और अनुशासित दिनचर्या अपनाने की कोशिश करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या वर्टिगो को रोका जा सकता है?
जी हां, वर्टिगो को रोका जा सकता है। इसके लक्षण नजर आने पर इन नीचे दिए गए बातों का ध्यान रखने से इसमें राहत पाई जा सकती है (1):
- लक्षण महसूस होने पर बैठ जाएं या लेट जाएं।
- तेज रोशनी से बचें।
- वर्टिगो के लक्षण दिखने के दौरान कुछ भी पढ़ने की कोशिश ना करें।
- अचानक उठने या बैठने से बचें।
- इसके लक्षण दिखने पर चलने में किसी की मदद की जरूरत हो सकती है।
- इसके अलावा, लक्षण नजर आने के एक हफ्ते बाद ड्राइविंग और चढ़ाई से बचें।
- वर्टिगो के अन्य उपचार चक्कर आने के कारणों पर निर्भर करते हैं। ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह पर किए गए इलाज में राहत मिल सकती है।
वर्टिगो कितने समय तक रहता है?
यह अटैक कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों तक रह सकता है। ज्यादातर मामलों में यह पूरे दिन या कुछ घंटों के बाद कम हो जाता है (27)।
वर्टिगो का देसी इलाज क्या है?
वर्टिगो की समस्या में अदरक का सेवन भी लाभकारी हो सकता है और इसे देसी इलाज माना जा सकता है (14)। इसका सेवन चाय या दूध के साथ किया सकता है। इसके अलावा शहद का सेवन भी वर्टिगो में उपयोगी माना जा सकता है (35)।
डॉक्टरों द्वारा निर्देशित कुछ एक्सरसाइज भी कर सकते हैं, जो वर्टिगो के इलाज करने में मददगार साबित हो सकती हैं। जैसे - स्टैंडिंग अपराइट (Standing Upright), सामने और पीछे की ओर झूलना (Swaying back and forth), बाएं से दाएं झुकना (Toe Touching exercise)। (28)।
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