प्रस्तुतकर्ता
Sunita Regmi
Pregnancy
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भारत में बच्चों में मोटापा (Childhood Obesity) 'मूक महामारी' बन गई है। यह अब किसी बीमारी का लक्षण नहीं, बल्कि खुद एक बीमारी है। बच्चों का वजन बढ़ने के कारण उनकी समयपूर्व मृत्यु दर में इजाफा हो रहा है। इसे रोकने के लिए बच्चों के वजन बढ़ने और बच्चों में मोटापे का कारण समझना जरूरी है।
आज हम वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संजीव बगई और शिशु विशेषज्ञ डॉक्टर अल्पा शाह, द्वारा बताए गए बच्चों में अस्वस्थ वजन बढ़ने (Unhealthy Weight Gain) के कारण बता रहे हैं।
बच्चों में मोटापे का कारण जानने से पहले इससे जुड़े कुछ आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं।
विश्वभर में केवल तीन दशकों में बच्चों में मोटापा (Childhood Obesity) और किशोरों में मोटापा (Adolescents Obesity) 10 गुना बढ़ा है (1)।
इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ ओबेसिटी (IASO) और इंटरनेशनल ओबेसिटी टास्क फोर्स (IOTF) का मानना है कि दुनिया भर में 200 मिलियन स्कूली बच्चे या तो मोटापे (Obesity) के शिकार हैं या अधिक वजन (Overweight) के। यह अनुमान लगाया गया है कि साल 2025 तक भारत में 17 मिलियन बच्चे मोटे होंगे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ-WHO) के सहयोग से काम करने वाली वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन फेडरेशन की रिपोर्ट कहती है कि भारत में साल 2030 तक 27 मिलियन से अधिक बच्चों के मोटापे से ग्रस्त होने की आशंका है।
रिपोर्ट में दिए गए ये आंकड़े भारत के लिए खतरनाक हैं। वजह यह है कि भारत द्वारा साल 2025 तक चाइल्डहुड ओबेसिटी को रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ की प्रतिबद्धता को पूरा करने की संभावना मुश्किल लग रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक, भारत में 5-9 वर्ष के आयु वर्ग में लगभग 10.81% चाइल्ड हुड ओबेसिटी और 10-19 वर्ष की आयु वालें किशोरों में लगभग 6.23 % मोटापे का प्रसार होगा। मतलब साल 2030 तक 10 में से एक बच्चा मोटापे का शिकार होगा।
नेफ्रॉन क्लीनिक के अध्यक्ष और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ, डॉक्टर संजीव बगई के अनुसार, "बच्चों में मोटापे की घटना 1975 से 2016 तक 600% से 700% तक बढ़ गई है। अर्बन इंडिया में बच्चे के अधिक वजन के मामले लगभग 25% है।"
डॉक्टर संजीव बगई आगे कहते हैं, "बचपन के मोटापे को अब ओबेसोजेनिक वातावरण कहा जाता है। मोटा और गुदगुदा बच्चा बिल्कुल भी स्वस्थ बच्चा नहीं है। मोटा होना बेहतर नहीं है, यह बदतर है।"
शाह चाइल्ड केयर क्लिनिक में कार्यरत, नवजात, शिशु व बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर अल्पा शाह द्वारा बताए गए कारणों का जिक्र हम नीचे विस्तार से कर रहे हैं (1)।
कुछ बच्चे जीन्स के कारण मोटे हो जाते हैं। अगर परिवार के अधिकतर लोग मोटे हैं, तो हो सकता है कि बच्चा भी मोटापे का शिकार हो जाए।
घर में कैसा खाना खाया जाता है। कितना बटर और चीज़ का इस्तेमाल होता है। आउटिंग के लिए कितनी बार बाहर जाते हैं और घर के बड़े कैसा खाना खाते हैं, आदि।
घर के लोगों को देखकर ही बच्चा अपनी खाने की आदतें सीखता व बनाता है। इसलिए जेनेटिक फैक्टर ही नहीं, बल्कि आसपास का माहौल और घर में खानपान की अस्वस्थ आदतें भी बच्चे को मोटापे का शिकार बनाती हैं।
हल्की भूख में चिप्स, बिस्कुट, फ्राइस, बर्गर, जैसी चीजें खाना भी बच्चों में मोटापे का कारण है। कई बार बच्चे प्यास और भूख में अंतर नहीं कर पाते और प्यास लगने पर भी कुछ अस्वस्थ खा लेते हैं। साथ ही सादा पानी पीने के बजाय अस्वस्थ ड्रिंक पीना, इनसबके कारण बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ता जा रहा है।
बच्चे के शरीर में हार्मोन संबंधी समस्याएं होने पर भी मोटापा हो सकता है। इसमें हाइपरथायरोयडिज्म और पोलिसिस्टिक ओवेरियन डिजीज शामिल हैं। इनके चलते बच्चे का वजन बढ़ने लगता है और धीरे-धीरे मोटापे की शिकायत हो जाती है।
अगर बच्चे किसी बीमारी के लिए दवाइयां ले रहा है, तो उसके कारण भी वजन बढ़ सकता है। कोविड के टाइम में बीमार हुए बच्चों द्वारा ली गई दवाइओं से भी बच्चों में मोटापा देखने को मिला है।
बच्चे में डाउन सिंड्रोम या कोई ऐसा सिंड्रोम, जिसके कारण उसके शरीर का वसा मेटाबॉलाइज (चयापचय) नहीं हो पा रहा है, तो उसे मोटापा हो सकता है।
आज के समय में मनोवेज्ञानिक कारण बच्चों में ओवरवेट का सबसे आम कारण है। बच्चा का खुद दूसरों से अलग रखना, अकेले रहना, किसी भी तरह का स्ट्रेस लेना, कोई फोबिया, घर से जुड़ी चिंता, खुद को लेकर असुरक्षित महसूस करना, आदि के कारण भी बच्चा असीमित खाना खाता है और मोटापे का शिकार हो जाता है। आज के मॉर्डन टाइम में बच्चे इनमें से किसी-न-किसी कारक से गुजर ही रहे होते हैं। इसलिए बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है।
आजकल बच्चे घंटों टीवी के आगे बैठ सकते हैं, लेकिन कुछ देर चलने व व्यायाम करने से कतराते हैं। ऐसे में शारीरिक गतविधयों की कमी और दिनभर बैठे रहने से बच्चे में मोटापे की समस्या हो रही है या फिर वो ओवर वेट हो रहे हैं।
बच्चा मोटापे से ग्रस्त है या नहीं, यह आप उसकी उम्र, लंबाई और वजन के हिसाब से जान सकते हैं। सटीक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर बच्चे के बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के आधार पर बता सकते हैं कि बच्चा कितना मोटा है। बॉडी मास इंडेक्स (BMI) प्राप्त करने के लिए वजन को हाइट से भाग (divide) किया जाता है। बीएमआई से पता चलता है कि बच्चा किस कैटेगरी में है। मतलब बच्चे का वजन कम (underweight), ज्यादा वजन (overweight) या मोटा (obese) है।
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