पीसीओएस और बांझपन का क्या है संबंध, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर

वजन जल्दी कम करने का तरीका है इंटरमिटेंट फास्टिंग | Intermittent Fasting For Weight Loss in Hindi

इंटरमिटेंट फास्टिंग - Intermittent Fasting

बढ़ता वजन आगे चलकर मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी रोग और लिवर डिजीज का कारण बन सकता है (1)। ऐसे में जरूरी है कि वक्त रहते बढ़ते वजन को नियंत्रित किया जाए। इसके लिए व्यायाम, डाइटिंग और अन्य तरीकों से ज्यादा कारगर इंटरमिटेंट फास्टिंग है। 

इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है और यह कैसे आम फास्टिंग से अलग है, वजन घटाने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग कैसे मददगार है, इंटरमिटेंट फास्टिंग में क्या खाना चाहिए और इसके नुकसान, यह सब इस लेख में बताया गया है।

सबसे पहले जानते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या होता है?

इंटरमिटेंट फास्टिंग क्‍या है – What is Intermittent Fasting in Hindi

इंटरमिटेंट फास्टिंग | Intermittent Fasting
इंटरमिटेंट फास्टिंग, स्वस्थ जीवनशैली के लिए किए जाने वाला एक छोटा उपवास है। इसे खाने का एक पैटर्न भी कह सकते हैं। इसमें उपवास करने का एक निर्धारित समय होता है। व्यक्ति अपनी सुविधा अनुसार उस निर्धारित समय का चुनाव कर इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू कर सकता है। यह समय 8 घंटे, 12 घंटे, 17 घंटे, आदि हो सकता है।

इंटरमिटेंट उपवास में क्या खाना चाहिए, इससे ज्यादा ध्यान खाने के वक्त और उपवास की अवधि का रखा जाता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे स्वास्थ्य के लिए काफी ज्यादा हैं। इससे शरीर का वजन और शरीर की सूजन को कम करने के साथ-साथ अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है (2)।

जो लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग पहली बार कर रहे हैं, उन्हें नीचे बताई जा रही बातों का ध्यान रखना चाहिए।

शुरुआती लोगों के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग करने की टिप्स

  • कैलोरी का ध्यान रखें -  इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन पूरी तरह बंद नहीं किया जाता, बल्कि उन्हें एक निर्धारित वक्त तक संतुलित मात्रा में लेने की जरूरत होती है (3)। ऐसे भोजन की मात्रा को सीमित करके या कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करके शरीर में कैलोरी को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • शुरुआत करें कम वक्त के उपवास से - पहली बार इंटरमिटेंट फास्टिंग करने वाले व्यक्ति शुरुआत में उपवास की अवधि को कम रख सकते हैं। साथ ही हफ्ते में एक या दो बार ही उपवास रखें। फिर धीरे-धीरे उपवास की अवधि को इंटरमिटेंट फास्टिंग की निर्धारित अवधि तक पहुंचाने का प्रयास करें।
  • उपवास के वक्त का ध्यान रखें - उपवास की अवधि को इस तरह से निर्धारित करें कि उस दौरान 7 घंटे की नींद मिल सके। ध्यान रहे कि सोने से तीन-चार घंटे पहले भोजन करें। उसके बाद सात से आठ घंटे की अच्छी नींद लें। इससे व्यक्ति 11 घंटे तक आसानी से उपवास कर पाएगा। अगर इस बीच उपवास की अवधि को बढ़ाना है, तो उठने के बाद एक से दो घंटे तक कुछ न खाएं।
  • खुद को हाइड्रेट रखें - उपवास के दौरान व्यक्ति को खुद को हाइड्रेट रखना जरूरी है। इसलिए उपवास के दौरान सही मात्रा में पानी या अन्य पेय पदार्थों का सेवन करते रहें। खासकर वो जो पहली बार इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहे हैं।
  • डॉक्टर की सलाह - उपवास के दौरान किसी भी तरह की स्वास्थ्य परेशानी से बचने के लिए डॉक्टर या डायटीशियन से इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे बात कर लें। डॉक्टर स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर इसे करने या न करने की सलाह दे सकते हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग को विस्तार से जानने के लिए आगे इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार पढ़ते हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार और करने का सही तरीका – Ways To Do Intermittent Fasting in Hindi

अगर इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे लेने हैं तो इसके प्रकार और इसे करने का सही तरीका व्यक्ति को पता होना चाहिए। नीचे हम इस विषय पर जानकारी दे रहे हैं।

  1. 16/8 इंटरमिटेंट फास्टिंग - यह इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे चर्चित प्रकार है। इसमें 16 घंटे तक उपवास किया जाता है। यह लगातार 16 घंटे का या 8-8 घंटे करके रखा सकता है (2)। इस तरह के इंटरमिटेंट फास्टिंग को समय-प्रतिबंधित आहार (Time Restricted Diet) भी कहा जाता है।

    उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति सुबह 9 बजे अपना नाश्ता करता है, तो वो पूरे दिन का आखिरी भोजन शाम को 5 बजे करेगा। उसके बाद फिर व्यक्ति को अगली सुबह तक उपवास करना होता है।
  1. 5:2 इंटरमिटेंट फास्टिंग : यह भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकारों में से एक है। इसमें सप्ताह में पांच दिनों तक बिना किसी प्रतिबंध के भोजन का सेवन करना होता है। फिर सप्ताह में किसी भी दो दिन  कैलोरी युक्त आहार का सेवन कम या ना के बराबर करने की सलाह दी जाती है।

    उपवास के दिनों में व्यक्ति को 20-25% ऊर्जा की जरूरत हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति इस दौरान कैलोरी युक्त आहार का सेवन करना चाहता है तो वो 500 कैलोरी से अधिक न लें। साथ ही दो दिन का ये उपवास लगातार न हो (4)।
  1. हर दूसरे दिन का उपवास (Alternate Fasting) - इसमें लगातार उपवास रखने के बजाय हफ्ते में हर दूसरे दिन उपवास रखा जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई सोमवार को सामान्य समय पर भोजन कर रहा है, तो वो मंगलवार को 8-8 घंटे के अंतराल में भोजन करके उपवास रखता है (4) (5)।
  1. समय के अनुसार उपवास (Time Restricted Feeding) - इसमें एक निर्धारित समय के अनुसार खाने की अनुमति होती है। उदाहरण के तौर पर रमजान के दौरान किया जाने वाला उपवास एक अच्छा उदाहरण हो सकता है (6)। समय प्रतिबंधित भोजन (time-restricted feeding) में व्यक्ति सुबह 8 बजे से 3 बजे के बीच खाना खा सकता है और बाकी वक्त उपवास कर सकता है (4) (5)।
  1. रमदान उपवास - रमजान के महीने में किया जाने वाला उपवास भी इंटरमिटेंट फास्टिंग की श्रेणी में आता है। इसमें सूर्योदय से पहले हल्का भोजन और सूर्यास्त के बाद ज्यादा भोजन किया जाता है। ऐसे में रमजान के समय खाने के बाद उपवास की अवधि लगभग 12 घंटे की होती है (4)।
  1. 24 घंटे का उपवास - इसमें व्यक्ति सप्ताह में 1 या 2 दिन के लिए 24 घंटे के उपवास कर सकता है। बेहतर है व्यक्ति अपने शेड्यूल और सुविधा के अनुसार दिन चुनें और फिर उपवास करें। उदाहरण के लिए, पहले दिन शाम 7 बजे भोजन करें और अगले दिन शाम 7 बजे तक उपवास करें। व्यक्ति अपनी इच्छानुसार समय का चुनाव कर सकता है।
  1. 36 घंटे का उपवास - यह 24 घंटे के उपवास की बढ़ी हुई अवधि है। उदाहरण के तौर पर इसमें व्यक्ति पहले दिन रात का खाना खाता है। अगले दिन और रात को उपवास करता है और तीसरे दिन नाश्ता करता है। इस तरीके का उपवास महीने या साल में एक बार किया जा सकता है। बस इसे करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।
  1. एक वक्त के भोजन से परहेज - इसमें एक वक्त का भोजन छोड़ना होता है। जैसे नाश्ते को छोड़कर दोपहर और रात का भोजन किया जा सकता है या नाश्ते के बाद सीधे रात का भोजन किया जा सकता है।
  1. कभी-कभी न खाना - अगर किसी व्यक्ति को लगातार उपवास करने में परेशानी आ रही है, तो व्यक्ति हफ्ते में किसी एक दिन उपवास कर सकता है या पूरे दिन में एक वक्त का भोजन छोड़ सकता है। यह सब व्यक्ति की सुविधानुसार होता है। यह लंबी अवधि के इंटरमिटेंट फास्टिंग को शुरू करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।
  1. योद्धा या वॉरियर आहार - इंटरमिटेंट फास्टिंग के इस प्रकार में व्यक्ति को दिन में हल्का भोजन और रात में अधिक भोजन करने की सलाह दी जाती है, जिसमें प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को भी शामिल किया जाता है। साथ ही इस फास्टिंग के दौरान व्यायाम भी करना जरूरी होता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में जानने के बाद पढ़ें इंटरमिटेंट फास्टिंग लाभकारी है या नहीं?

क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग बढ़ते वजन को कम करने में मददगार है या नहीं?

वजन घटाने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग कुछ हद तक सहायक हो सकती है। दरअसल, एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग, सामान्य वजन, अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों के बीच अल्पकालिक वजन घटाने (Short Term Weight Loss) में प्रभावी साबित हो सकती है (7)। इसके अलावा, जानवरों पर किए गए शोध में इंटरमिटेंट फास्टिंग का असर लाभकारी पाया गया है। फिलहाल, इस बारे में अभी और सटीक वैज्ञानिक प्रमाण की आवश्यकता है, लेकिन व्यक्ति खुद को स्वस्थ रखने और वजन को संतुलित रखने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग का सहारा ले सकता है। यह फास्टिंग न सिर्फ वजन को संतुलित रखने में असरदार हो सकती है, बल्कि इसके फायदे हृदय के स्वास्थ्य को बरकरार रखने में मदद कर सकते हैं (8)।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान किन खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है, उसके बारे में विस्तार से नीचे जानें ।

आगे जानिए इंटरमिटेंट फास्टिंग में व्यक्ति क्या-क्या खा सकता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग में क्या खाना चाहिए – What to eat during Intermittent Fasting in Hindi

इंटरमिटेंट फास्टिंग में खाने के लिए चुने गए वक्त में पौष्टिक आहार का सेवन करें। यूं तो इंटरमिटेंट फास्टिंग में खाने की चीजों को लेकर रोक-टोक नहीं होती, लेकिन कैलोरी को सीमित करना बेहतर होता है (3)। पोषक आहार लेने से इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान कमजोरी महसूस नहीं होती। ऐसे में इंटरमिटेंट फास्टिंग में इन खाद्य पदार्थों को लेना अच्छा होगा।

  • इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान हाई फाइबर युक्त आहार (साबुत फल, अनाज और सब्जियां) का सेवन अच्छा होगा। ये आहार पेट को लंबे समय तक भरा रखने के साथ वजन नियंत्रण में सहयोग करते हैं (9)।
  • नाश्ते में फलों और इनके जूस का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, व्यक्ति अपनी पसंद के खाद्य पदार्थों को भी शामिल कर सकता है। ध्यान रहे, खाद्य पदार्थ पोषण से भरपूर हों।
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग में सीमित मात्रा में कैलोरी युक्त आहार लेने की सलाह भी दी जाती है, लेकिन इसकी मात्रा 500 केसीएल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • अगर वॉरियर इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहे हैं, तो डायटीशियन की सलाह पर प्रोटीन युक्त आहार (दूध, मछली, अंडा, मीट, दाल, बीन्स, चिकन और कम वसा वाले दूध उत्पाद) का सेवन करें (10)।
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान पानी और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें, जिससे शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या न हो।

नोट - ऊपर बताए गए इंटरमिटेंट फास्टिंग के लिए खाद्य पदार्थ अनुमान के आधार पर हैं। सही जानकारी के लिए डायटीशियन से संपर्क जरूर करें।

नीचे जानिए इंटरमिटेंट फास्टिंग के लिए नमूना मील प्लान।

इंटरमिटेंट फास्टिंग में सात दिनों का मील प्लान – Sample 7 Days Intermittent Fasting Plan In Hindi

नीचे साझा की जाने वाली सूची नमूने के तौर पर दी जा गई है। व्यक्ति अपनी इच्छा और आवश्यकतानुसार इसमें मौजूद खाद्य पदार्थों में बदलाव कर सकते हैं। यह 16/8 इंटरमिटेंट फास्टिंग का एक उदाहरण है।

समयपहला दिनदूसरा दिनतीसरा दिनचौथा दिनपांचवा दिनछठा दिनसातवां दिन
सुबह उठने से लेकर दिन के 12 बजे तकफास्टफास्टफास्टफास्टफास्टफास्टफास्ट
दोपहर 12 बजे (पहला मील)चिकन सलाद या खिचड़ी, दही और सलादग्रिल्ड सब्जियां + दही और डार्क चॉकलेट का एक टुकड़ापास्ता या सैंडविचनूडल्सग्रिल्ड मछली और सलाद या ग्रिल्ड सब्जियां और सलादएक सब्जी, सलाद या दही, दाल और चावल या रोटीमछली, अंडा या चिकन की करी साथ में चावल, शाकाहारी व्यक्ति के लिए अपने पसंद की कोई करी, चावल, दाल, सलाद
अंतिम भोजन शाम 4 से 8 बजे के बीचपनीर और हरी सब्जियां मिलाकर एक सब्जी और जरूरत अनुसार रोटी या चावलचिकन या वेज सूप + डार्क चॉकलेट का एक टुकड़ा या सलाद, दाल, एक सब्जी और रोटीसलाद, दाल, चावल या रोटी और सब्जीचिकन टिक्का या पनीर टिक्का या मशरूम-मटर मसाला और रोटीसब्जियों के साथ पनीर या पनीर की सब्जी और चावल या नूडल्स + अपने पसंद की आइसक्रीमग्रिल्ड चिकन, हमस और पिटा ब्रेड (बाजार में उपलब्ध) या अपनी पसंद का खाना जैसे - दाल, सब्जी या रोटीउबले हुए आलू और सलाद या अपने पसंद का कोई भी हल्का डिनर
रात 8 बजे से लेकर सोने तकफास्टफास्टफास्टफास्टफास्टफास्टफास्ट

जरूरी जानकारी : इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान खुद को हाइड्रेट रखने के लिए पानी पीते रहें। देखा जाए तो इसमें किसी भी चीज को खाने की मनाही नहीं रहती है। अपने स्वास्थ्य के आधार पर ही इंटरमिटेंट फास्टिंग के लिए आहार को चुनें।

जब इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में इतना कुछ जान गए हैं, तो अब इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे जानें।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के अन्य फायदे  - Other Benefits of Intermittent Fasting in Hindi

नीचे जानिए इंटरमिटेंट फास्टिंग के कुछ अन्य फायदे।

  1. मोटापा कम करने के लिए - एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए अल्टर्नेट फास्टिंग मददगार होगी। इससे न सिर्फ वजन कम हो सकता है, बल्कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease- एक प्रकार का हृदय रोग) का जोखिम भी कम हो सकता है (11)।

    इंटरमिटेंट फास्टिंग हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक भूमिका निभा सकती है। यहां इंटरमिटेंट हर दूसरे दिन की जाने वाली फास्टिंग (Alternate Fasting) लाभकारी हो सकती है। 
  1. हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में फायदेमंद - इंटरमिटेंट फास्टिंग का लाभ शरीर में एलडीएल (हानिकारक कोलेस्ट्रॉल) को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। दरअसल, कुछ शोध के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग से वजन कम करने के साथ-साथ लिपिड प्रोफाइल भी सुधार हो सकता है।

लिपिड प्रोफाइल और शरीर के वजन घटाने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रभावों का विश्लेषण करने वाले अधिकांश अध्ययन रमजान उपवास पर आधारित हैं (12)। 

  1. इंसुलिन संवेदनशीलता (Insulin Sensitivity) में सुधार - इंसुलिन द्वारा ब्लड ग्लूकोज को प्रभावी ढंग से कम करना ही इंसुलिन संवेदनशीलता कहलाता है (13)। यहां इंटरमिटेंट फास्टिंग के लाभ देखे जा सकते हैं, क्योंकि इससे इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर बना सकती है।

    इस विषय में किए गए शोध के अनुसार जिन व्यक्तियों ने पांच हफ्तों तक ‘टाइम रिस्ट्रिक्टेड फीडिंग’ (इंटरमिटेंट फास्टिंग का एक प्रकार) का पालन किया, उनमें इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार देखा गया (14)।
  1. सेल्युलर रिपेयर को बढ़ावा - इंटरमिटेंट फास्टिंग कोशिकाओं को रिपेयर करने और ऑटोफैगी (Autophagy) में सुधार हो सकता है। ऑटोफैगी, कोशिकाओं से जुड़ी ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें क्षतिग्रस्त कोशिकाएं साफ होती हैं और स्वस्थ कोशिकाओं पुन: निर्माण होता है। एनसीबीआई की वेबसाइट में प्रकाशित एक शोध में चूहों पर इंटरमिटेंट फास्टिंग से ऑटोफैगी प्रक्रिया में सुधार पाया है (15)। 
  1. कैंसर के लिए -  कैंसर के बचाव में  इंटरमिटेंट फास्टिंग कुछ हद तक मददगार हो सकती है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध के अनुसार, शॉर्ट टर्म फास्टिंग (STF-Short Term Fasting) विषाक्तता को कम करने के साथ कीमोथेराप्यूटिक एजेंट के प्रभाव को बढ़ाता है। साथ ही कीमोथेरेपी लेने वाले मरीजों में डीएनए की क्षति को कम करने में मदद कर सकती है (16)।

    इतना ही नहीं, ट्यूमर से प्रभावित जिन चूहों के आहार को कुछ समय के लिए प्रतिबंधित किया गया, उनमें जीवित रहने की क्षमता में बढ़त देखी गई है(17)।
  1. मस्तिष्क के लिए - इंटरमिटेंट फास्टिंग मस्तिष्क के लिए लाभकारी हो सकती है। इससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बेहतर करने में मदद मिल सकती है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग सीखने की क्षमता और स्मृति में सुधार का काम कर सकती है (18)।

    इसके अलावा, चूहों पर किए गए शोध से पता चलता है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग, उम्र आधारित मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार का काम कर सकती है (19)।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए पढ़ते रहिए यह लेख।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान और बाद के कुछ टिप्स

नीचे पढ़ें कुछ इंटरमिटेंट फास्टिंग के वक्त और उसके बाद के टिप्स।

  • जो लोग पहली बार उपवास रख रहे हैं, वो सबसे पहले किसी विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह लें।
  • शुरुआत अल्प अवधि के उपवास से की जा सकती है।
  • फास्टिंग के दौरान खुद को हाइड्रेट रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और तरल पदार्थों का सेवन करें।
  • उपवास के दौरान हल्के-फुल्के व्यायाम किए जा सकते हैं। अगर कमजोरी का अनुभव हो तो व्यायाम न करें।
  • इंटरमिटेंट फास्टिंग तोड़ने के लिए हल्की डाइट लें।
  • कभी भी भारी आहार से अपना उपवास न तोड़ें।
  • लगातार इंटरमिटेंट फास्टिंग न करें या इसकी आदत न बनाएं।
  • किसी को अगर स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो वो इंटरमिटेंट फास्टिंग न करें।
  • उपवास के दौरान और बाद में जंक फूड्स खाने से बचें।

इंटरमिटेंट फास्टिंग कब नहीं करनी चाहिए, यह सवाल मन में हो तो लेख का अगला भाग आपके लिए है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग कब नहीं करनी चाहिए - When to Avoid Intermittent Fasting in Hindi

इंटरमिटेंट फास्टिंग एक प्रकार का उपवास है। ऐसे में इसे कब नहीं करना चाहिए यह व्यक्ति को पता होना चाहिए। आगे पढ़ें इंटरमिटेंट फास्टिंग कब नहीं करनी चाहिए  - (22) (23)।

  • अगर किसी का वजन जरूरत से ज्यादा कम है, तो वो इंटरमिटेंट फास्टिंग न करें।
  • अगर डॉक्टर ने इंटरमिटेंट फास्टिंग न करने की सलाह दी है तो फास्टिंग न करें।
  • गंभीर स्वास्थ्य समस्या में यह फास्टिंग न करें।
  • गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं इंटरमिटेंट फास्टिंग से दूर रहें।
  • बच्चे और किशोर इस फास्टिंग को न करें।
  • अगर कोई ब्लड प्रेशर या ह्रदय रोग से संबंधित दवाइयां ले रहा है, तो इस फास्टिंग को करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।

अगर इंटरमिटेंट उपवास के फायदे हैं, तो इसके नुकसान भी कई हैं। यह जानकारी हम नीचे दे रहे हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान - Side Effects of Intermittent Fasting in Hindi

नीचे जानिए इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान क्या हो सकते हैं (7)

  • सिरदर्द की समस्या 
  • कब्ज की परेशानी
  • नहीं खाने के वजह से चिड़चिड़ाहट या मूड स्विंग
  • खाने की इच्छा और ज्यादा बढ़ना
  • चक्कर आने की परेशानी
  • कमजोरी या ऊर्जा की कमी महसूस होना

अब आप इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे जान गए होंगे। अगर आप वजन घटाने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग करने की सोच रहे हैं, तो लेख को अच्छी तरह पढ़ें और डॉक्टर से भी इस बारे में बात करें। बस इतना याद रखें कि  इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई जादू नहीं है, इसका असर दिखने में वक्त लगता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे पाने के लिए अपने दो Meals के बीच के उपवास के समय पर गौर करें। इंटरमिटेंट फास्टिंग समय पर निगरानी लगातार 8 या 17 घंटे तक कुछ न खाने का ही खेल है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान कॉफी या चाय पी सकते हैं?

इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान सामान्य चाय और कॉफी की जगह हर्बल टी का सेवन किया जा सकता है। सबसे बेहतर सादा पानी, जूस या नींबू पानी का सेवन करना है।

क्या सेब के सिरके के सेवन से इंटरमिटेंट फास्टिंग टूट सकती है?

नहीं, इंटरमिटेंट फास्टिंग में सेब के सिरके का सेवन करने से इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं टूटती।

कितनी लंबी अवधि तक इंटरमिटेंट फास्टिंग रखनी चाहिए?

यह इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार पर निर्भर करता है कि व्यक्ति कौन सा इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहा है। आप उपवास की अवधि 8 घंटे, 8-8 घंटे दो बार, लगातार 17 घंटे, लगातार 24 घंटे, लगातार 36 घंटे कोई भी कर सकते हैं। मगर सबसे असरदार इंटरमिटेंट फास्टिंग 16 से 17 घंटे वाले को माना जाता है। अगर किसी का ब्लड शुगर लेबल काफी कम रहता है, तो वह इस पर डॉक्टर की सलाह ले सकता है।

क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान पानी पी सकते हैं?

हां, इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान हाइड्रेट रहने के लिए नियमित रूप से पानी पीना चाहिए।

इंटरमिटेंट फास्टिंग में व्यक्ति कितना वजन कम कर सकता है?

इंटरमिटेंट फास्टिंग से व्यक्ति अपना वजन 3 से 6 किलो तक कम कर सकता है। वैसे वजन कितना कम होगा यह अधिकतर व्यक्ति के वर्तमान वजन, शारीरिक स्थिति, जीवनशैली और इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार पर निर्भर करता है। 

क्या महिलाओं के लिए उपवास करना अच्छा है?

सामान्य तौर पर उपवास शरीर के लिए अच्छा माना जाता है (24)। बस गर्भवती, स्तनपान कराने वाली माताओं और किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहीं महिलाओं को उपवास न करने की सलाह दी जाती है (22) (23)।

क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग कोर्टिसोल (Cortisol) को बढ़ाता है?

इंटरमिटेंट फास्टिंग से कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ सकता है। बता दें कि कोर्टिसोल हॉर्मोन तनाव के साथ-साथ शरीर से जुड़ी कई समस्याओं में लाभदायक होता है (24)।

सप्ताह में कितने दिन इंटरमिटेंट फास्टिंग करना चाहिए?

अगर कोई पहली बार इंटरमिटेंट फास्टिंग करना चाह रहा है, तो वो ओवरनाइट इंटरमिटेंट फास्टिंग से शुरुआत कर सकता है। इसके अलावा, व्यक्ति हफ्ते में एक दिन इंटरमिटेंट फास्टिंग से शुरुआत करके हफ्ते में दो बार इंटरमिटेंट फास्टिंग तक कर सकता है। 

इंटरमिटेंट फास्टिंग से व्यक्ति एक महीने में कितना वजन कम कर सकते हैं?

इंटरमिटेंट फास्टिंग से व्यक्ति एक महीने में कितना वजन कम कर सकता है, यह इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार और व्यक्ति की उम्र और वजन पर निर्भर करता है। फिर भी अमूमन इंसान एक किलो से ऊपर वजन कम कर सकता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान आपको कितनी देर उपवास करना चाहिए? 

इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान कम से कम 6 घंटे का उपवास किया जा सकता है। अगर इस दौरान कोई स्वास्थ्य समस्या न हो तो धीरे-धीरे इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है।

क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग आपको कीटोसिस में डालती है?

कीटो डाइट में लोग मध्यम मात्रा में प्रोटीन और ज्यादा मात्रा में फैट वाला आहार लेते हैं। अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान प्रोटीन और हाई फैट आहार लेंगे, तो कीटोसिस (Ketosis) चरण में पहुंच जाएंगे। केटोसिस का मतलब है ऊर्जा के लिए शरीर का ग्लूकोज की जगह वसा यानी फैट को बर्न करना। इससे मोटापा घटता है।

टिप्पणियाँ