प्रस्तुतकर्ता
Sunita Regmi
Pregnancy
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कमर दर्द की समस्या से आजकल कई लोग प्रभावित रहते हैं। कई बार इसे सामान्य दर्द समझकर अनदेखा किया जाता है। मगर यह सामान्य कमर दर्द गंभीर स्लिप डिस्क का संकेत हो सकता है। वैसे तो स्लिप डिस्क की समस्या बुजुर्गों में देखने को मिलती है, लेकिन आज के समय में ये परेशानी युवाओं में भी आम हो गई है। ऐसे में वक्त रहते स्लिप डिस्क के लक्षण जानकर स्लिप डिस्क की समस्या का इलाज करवा लेना चाहिए।
लेख की शुरुआत में सबसे पहले हम बताएंगे कि स्लिप डिस्क होता क्या है।
26 हड्डियों से हमारे शरीर की रीढ़ बनी होती है, जिन्हें कशेरुकाएं (Vertebrae) कहते हैं। इन वर्टिब्रा के बीच में जेली जैसे पदार्थ से भरे सॉफ्ट लचीले डिस्क पैड होते हैं। ये डिस्क हड्डियों को जोड़ने के साथ ही उनको लचीला और अपनी जगह पर बने रहने में मदद करते हैं (1 )।
इन डिस्क पैड्स के दो भाग होते हैं। आंतरिक भाग जेल जैसा होता है, जबकि दूसरा आउटर रिंग होता है। चोट लगने या कमजोरी के कारण ये डिस्क पैड अपनी जगह से खिसक जाते हैं, इसे ही स्लिप डिस्क या हर्निएटेड डिस्क कहते हैं (2)।
इसके अलावा, अगर स्लिप डिस्क के कारण कोई स्पाइनल नर्व दब जाती है, तो तेज दर्द और सुन्नपन जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है (2)।
अब लेख में हम स्लिप डिस्क के लक्षण बताएंगे।
स्लिप डिस्क में दर्द ज्यादातर शरीर के एक तरफ होता है। चोट के स्थान के आधार पर लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। ये लक्षण कुछ इस प्रकार हैं (3 ):
स्लिप डिस्क के लक्षण के बाद अब स्लिप डिस्क के कारण और जोखिम कारक जानेंगे।
स्लिप डिस्क के कई कारण हो सकते हैं, इनमें से कुछ के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (2) (3)।
आइए, अब लेख में स्लिप डिस्क के निदान की चर्चा करते हैं।
स्लिप डिस्क की समस्या से निजात पाने के लिए पहले इसके लक्षणों को पहचानना जरूरी है। ऐसे में यहां हम स्लिप डिस्क के निदान बता रहे हैं। नीचे लेख में बताए गए तरीकों से डॉक्टर स्लिप डिस्क का निदान कर सकते हैं (3) -
1. पूछताछ करके लक्षण जानना - सबसे पहले डॉक्टर मरीज से उसके लक्षणों के बारे में जानकारी ले सकते हैं। डॉक्टर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं। स्लिप डिस्क के लक्षण सुन्नता या अहसास के बारे में पूछ सकते हैं। साथ ही उसकी जीवनशैली व आदतों के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
शारीरिक परीक्षण: एक बार लक्षणों व जीवनशैली के बारे में जानकारी लेने के बाद डॉक्टर मरीज की कुछ शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। इनमें शामिल हैं :
2. सीटी स्कैन और एमआरआई के आधार पर : शारीरिक परीक्षण के आधार पर प्रभावित जगह का एमआरआई या सीटी स्कैन करने की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट से स्लिप डिस्क के स्थान पर शरीर की तंत्रिका किस प्रकार प्रभावित हो रही है, इसकी पुष्टि हो सकती है। हालांकि, यह ऊपर लेख में नजर आने वाले लक्षणों के बारे में जानने के बाद करने की सलाह दी जा सकती है।
3. एक्स- रे : स्लिप डिस्क का निदान केवल एक्स-रे द्वारा नहीं कर सकते हैं, लेकिन रीढ़ की हड्डी की गुणवत्ता जांचने और पीठ दर्द की समस्या और किन कारणों से हो रही है। इसकी जानकारी लेने के लिए डॉक्टर एक्स-रे की सलाह दे सकते हैं।
4. इलेक्ट्रोमायोग्राफी टेस्ट (Electromyography) : स्लिप डिस्क के निदान में डॉक्टर इलेक्ट्रोमायोग्राफी टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। यह टेस्ट मांसपेशियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए की जाती है। इस टेस्ट में रोगी के प्रभावित मांसपेशियों में सेंसर इलेक्ट्रोड (एक सुई), जो कि एक मॉनिटर से जुड़ा होता है, उस सुई को डालकर तंत्रिकाओं में इसके संचार को मापा जाता है। टेस्ट करने के दौरान बिजली के हल्के झटके भी लगाए जाते हैं (4)।
5. नर्व कंडक्शन स्टडी (Nerve Conduction Velocity) : स्लिप डिस्क की गंभीरता को जानने के लिए यह टेस्ट किया जा सकता है। यह टेस्ट इलेक्ट्रोमायोग्राफी टेस्ट के साथ भी कर सकते हैं। इसमें इलेक्ट्रोड नामक चिपकने वाले पैच का उपयोग किया जाता है। इन्हें प्रभावित हिस्से पर लगाकर नर्व में होने वाले बदलाव को ग्राफ के द्वारा देखा जाता है (5)।
स्लिप डिस्क के तेज दर्द में स्लिप डिस्क ट्रीटमेंट जरूरी हो सकता है, ऐसे में नीचे जानिए स्लिप डिस्क का इलाज।
निदान के बाद अब बारी आती है स्लिप डिस्क के इलाज के बारे में जानने की। एक बार जब डॉक्टर स्लिप डिस्क का निदान कर लेते हैं, तो गंभीरता के आधार पर इलाज का सुझाव देते हैं। स्लिप डिस्क के इलाज कुछ इस प्रकार हैं (2) (3) (6):
1. फिजियोथेरेपी व आराम - अगर स्लिप डिस्क की समस्या गंभीर न हो तो इसके प्राथमिक उपचार के तौर पर डॉक्टर आराम करने की और कुछ मामलों में एक्सपर्ट की देखरेख में फिजियोथेरेपी थेरेपी जैसे - कुछ खास प्रकार के व्यायाम आदि करने की सलाह दे सकते हैं।
इन उपचारों का सही तरीके से पालन करने वाले अधिकांश लोग जल्दी ही ठीक हो सकते हैं और अपने सामान्य गतिविधियों में लौट सकते हैं।
2. दवाइयां - थेरेपी व आराम के साथ डॉक्टर कुछ दवाइयां जैसे - दर्दनिवारक दवा, नसों को आराम पहुंचाने वाली दवाइयां व मांसपेशियों को आराम देने और ऐंठन को कम करने वाली दवाइयां लेने का सुझाव दे सकते हैं।
3. जीवनशैली में बदलाव - अगर किसी का वजन अधिक है और इस वजह से स्लिप डिस्क की समस्या हुई है तो डॉक्टर स्लिप डिस्क या इसमें होने वाले पीठ दर्द में सुधार के लिए डाइट और व्यायाम से जुड़े सुझाव दे सकते हैं।
इस दौरान फिजियोथेरेपिस्ट मरीज को ठीक से उठना, बैठना, कपड़े पहनना, चलना और अन्य गतिविधियों को सही तरीके से करना सिखा सकते हैं। वे मांसपेशियों को मजबूत करना सिखाएंगे, ताकि रीढ़ को सहारा देने में मदद मिल सके। इतना ही नहीं, मरीज यह भी सीखेंगे कि रीढ़ और पैरों में लचीलापन कैसे बढ़ाया जाए।
4. इंजेक्शन - कुछ मामलों में जब दवा से ज्यादा असर न हो तो डॉक्टर स्टेरॉयड इंजेक्शन के जरिये भी उपचार कर सकते हैं। इंजेक्शन कई महीनों तक दर्द को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। ये इंजेक्शन स्पाइनल नर्व और डिस्क के आसपास की सूजन को कम कर सकते हैं और कई लक्षणों से राहत दिला सकते हैं। हालांकि, इंजेक्शन के कुछ महीने बाद हो सकता है कि दर्द फिर से वापस आए।
5. मसाज - डॉक्टरी सलाह पर एक्सपर्ट द्वारा हल्की-फुल्की मालिश की जा सकती है। ऐसा करने से मांसपेशियों को आराम मिल सकता है। ध्यान रहे मसाज जोर से न करें और अगर थोड़ी सी भी असुविधा महसूस हो तो तुरंत मालिश बंद कर दें।
6. ठंडा या गर्म सेंक - गर्म पानी का सेंक या गुनगुने पानी से नहाना भी स्लिप डिस्क की हल्की-फुल्की परेशानी में उपयोगी हो सकता है। इससे मांसपेशियों को आराम मिलता है। ठंडे पानी या बर्फ की सेंक से भी राहत मिल सकती है। ठंडा सेंक प्रभावित नस को आराम दे सकता है।
7. सर्जरी - यदि इन उपचारों के बाद भी स्लिप डिस्क के लक्षण कम नहीं होते हैं, तो सर्जरी भी एक विकल्प हो सकता है। खासतौर से अगर स्लिप डिस्क की समस्या 6 हफ्तों से ज्यादा से है, तो प्रभावित नस पर दबाव को कम करने के लिए सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। सर्जरी उस स्थिति में भी एक विकल्प हो सकता है, जब मूत्राशय या आंत ठीक से काम करना बंद कर देते हैं और मांसपेशियां भी काफी कमजोर हो चुकी होती हैं।
अब नीचे लेख में जानते हैं कि स्लिप डिस्क की समस्या में कौन सा योग और एक्सरसाइज कर सकते हैं।
स्लिप डिस्क के दर्द से राहत पाने के लिए योग और एक्सरसाइज भी लाभकारी हो सकते हैं। दरअसल, स्लिप डिस्क के दौरान प्रभावित हिस्से में खासकर कमर या पीठ में दर्द की शिकायत होती है। ऐसे में कमर दर्द या पीठ दर्द के लिए किए जाने वाले कुछ योगासन व एक्सरसाइज में मकरासन, शवासन, भुजंगासन और शलभासन शामिल हैं (7)।
स्लिप डिस्क के लिए योग और एक्सरसाइज के बारे में अधिक जानने के लिए पाठक डॉक्टर की सलाह लें और किसी एक्स्पर्ट की देखरेख में ही योग या एक्सरसाइज करें।
अब स्लिप डिस्क से बचने के उपाय बताएंगे, जिन्हें अपनाकर इसके जोखिम को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
स्लिप डिस्क से बचाव के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। ऐसे में लेख में नीचे हम स्लिप डिस्क से बचने के उपाय साझा कर रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (3):
अगर कमर में लगातार दर्द हो रहा हो या ऊपर बताए गए लक्षण महसूस हों, तो इस पर वक्त रहते ध्यान दें, क्योंकि ये स्लिप डिस्क के लक्षण हो सकते हैं। इस समस्या के लिए डॉक्टर से इलाज करवाएं। इसके अलावा, स्लिप डिस्क के लिए योग या व्यायाम करने से पहले भी डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
स्लिप डिस्क की समस्या होने पर व्यक्ति को कमर, गर्दन और अन्य प्रभावी जगहों पर दर्द की समस्या हो सकती है (2)।
स्लिप डिस्क को ठीक करने के लिए आप डॉक्टरी सलाह पर दवाईयों और उचित उपचार की प्रक्रिया अपना सकते हैं।
नहीं, स्लिप डिस्क अपने आप ठीक नहीं हो सकती है। इसके लिए उचित उपचार की जरूरत होती है।
स्लिप डिस्क में शलभासन, मकरासन, शवासन, भुजंगासन जैसे योग उपयोगी हो सकते हैं (7)। हालांकि, बेहतर है स्लिप डिस्क एक्सरसाइज या योग करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
स्लिप डिस्क को ठीक होने में कम से कम 6 हफ्तों का वक्त लग सकता है (2)। अगर समस्या गंभीर है तो इसे ठीक होने में 6 हफ्तों से ज्यादा वक्त भी लग सकता है।
खासतौर से स्लिप डिस्क के लिए कोई विशेष खाद्य पदार्थ नहीं है। हालांकि, रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने के लिए पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। विटामिन, मिनरल, प्रोटीन, फाइबर युक्त फल, सब्जियों व अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं (8)।
नहीं, स्लिप डिस्क की समस्या में साइकिल नहीं चलानी चाहिए। दरअसल इस समस्या में झुकने और शरीर में दबाव देने पर तेज दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है (3)। अगर कोई स्लिप डिस्क होने के बावजूद साइकिल चलाना चाहता है तो बेहतर है इस बारे में पहले डॉक्टरी परामर्श लें।
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