प्रस्तुतकर्ता
Sunita Regmi
Pregnancy
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होली का नाम सुनते ही, मस्ती, हुड़दंग और भौकाल मचाने जैसे ख्याल मन में आने लगते हैं। कई लोग तो होली के लिए प्री-प्लानिंग भी करने लगते हैं। होली के रंग में रंगने के लिए लोग ना जाने क्या-क्या करते हैं, जिसमें बच्चे सबसे आगे रहते हैं।
बच्चों की होली सबसे पहले शुरू होती है। होली के इस हुड़दंग में बच्चों के लिहाज से हम एक बात जरूर भूल जाते हैं, वो है बच्चों को होने वाली रंग से एलर्जी। जी हां, मानते हैं होली पर धमाचौकड़ी करने में बच्चे सबसे आगे रहते हैं। लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से बच्चों को रंगों से सुरक्षित कैसे ख्याल रखना है, यह पूरी जिम्मेदारी पेरेंट्स की ही है।
होली वाले दिन बच्चे, बड़े और बूढ़े किसी को भी होश नहीं रहता है। अगले दिन रंगों से होने वाली एलर्जी, खासकर बच्चों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। आप चिंता न कीजिए क्योंकि हम आपका और आपके बच्चों का यह रंगों भरा त्योहार फीका नहीं पड़ने देंगे।
बस करना यह है कि नीचे दिए गये तरीकों को अपनाकर आप अपने बच्चों को रंगों से होने वाली एलर्जी से बचा सकते हैं।
होली के त्योहार पर बच्चों को रंगों से सुरक्षित रखने के लिए नीचे कुछ जरूरी टिप्स दे रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं: इस बात से सभी अच्छे से वाकिफ हैं कि होली खेलने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रंग में केमिकल होते है। ये केमिकल बच्चों की त्वचा को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए, केमिकल युक्त रंगों की जगह बच्चों के लिए घर पर ही रंग तैयार किए जा सकते हैं।
इसके अलावा, अगर बच्चा रंग खरीदने की जिद करता है, तो ऑर्गेनिक कलर्स ले सकते हैं। यह दूसरे रंगों की तुलना में महंगे तो होंगे, लेकिन त्वचा पर इससे कोई हानि नहीं होगी।
बच्चों को होली खेलने भेजने से पहले पूरे कपड़े पहनाना न भूलें। इससे जितना हो सकता है उतना त्वचा को रंगों से सुरक्षित रखा जा सकता है। होली गर्मी के मौसम में आती है। इसलिए बच्चे को फुल कवर कॉटन के हल्के कपड़े पहनाना बेहतर विकल्प हो सकता है।
स्कैल्प में रंग न भरे, इसके लिए बच्चे के सिर पर बंडाना बांध सकते हैं। यह उनको स्टाइलिश लुक देने के साथ स्कैल्प के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा। बंडाना का चुनाव करते समय फैब्रिक का ध्यान रखें। गर्मी के मौसम में बेहतर होगा बच्चे को होली खेलने के लिए कॉटन बंडाना बांधकर भेजें।
होली खेलते समय बच्चे को पानी पिलाते रहें। ज्यादा समय तक धूप में खेलने से कई बार बच्चे डिहाइड्रेट हो जाते हैं। इसलिए पूरे दिन बच्चे को पानी पिलाते रहना चाहिए।
होली का त्यौहार मनाने के बाद बच्चे की स्किन पर रंग से एलर्जी के लक्षण नजर आते हैं, तो निम्नलिखित टिप्स को फॉलो करें।
होली खेलने के बाद जो सबसे बड़ी टेंशन होती है, वो है रंगों को छुटाना। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बच्चों की संवेदनशील होती है। रंगों को स्किन से निकालते समय बच्चों को ड्राइनेस, खुजली व रैशेज की शिकायत होना बेहद आम है।
ऐसे में नहाने के बाद एलोवेरा जेल का इस्तेमाल उपयुक्त हो सकता है। एलोवेरा में सूथिंग प्रभाव होता है, जो ड्राइनेस व इरिटेशन को काफी हद तक कम कर सकता है।
रंगों की वजह से शरीर में ड्राइनेस व खुजली की शिकायत हो रही है। इससे राहत पाने के लिए नींबू, दही और चंदन पाउडर से तैयार पैक का इस्तेमाल कर सकते हैं। चंदन त्वचा को नमी प्रदान करता है।
चंदन मौजूद एंटीबैक्टीरियल प्रभाव त्वचा पर बैक्टीरिया को पनपने से रोकने में सक्षम हो सकता है। वहीं, चंदन में कूलिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो डैमेज स्किन को रिपेयर कर सकती हैं (1)।
त्वचा पर रंग से एलर्जी की शिकायत के लिए नीम एक कारगर इलाज साबित हो सकता है। इसके लिए बच्चों को नीम की पत्तियों के पानी से नहला सकते हैं। नीम का पानी तैयार करने के लिए एक बड़े बर्तन में पानी में नीम की पत्तियां डालकर उबालें। जब यह पानी ठंडा हो जाए तो टब में नॉर्मल पानी के साथ मिलाएं।
त्वचा जरूरत से ज्यादा रूखी हो रही है, तो नारियल तेल वरदान समान साबित हो सकता है। इसके पीछे इसमें मौजूद हाइड्रेटिंग प्रभाव को गुणकारी माना जा सकता है। यह त्वचा को गहराई से हाइड्रेट कर त्वचा की ड्राइनेस को कम कर सकता है। एक शोध में नारियल तेल को रूखी त्वचा को मुलायम बनाने के लिए प्रभावकारी पाया गया है (2)।
बच्चों को रंगों से और स्किन एलर्जी से कैसे रखें सुरक्षित, इसके बारे में लेख में विस्तार से बताया गया है। उम्मीद करते हैं बच्चों को रंगों से सेफ रखने में ये टिप्स आपके लिए कारगर साबित होंगे। सेफ होली, हैप्पी होली!
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