प्रस्तुतकर्ता
Sunita Regmi
Pregnancy
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प्रेगनेंसी के नौ महीने एक महिला के लिए कितने भी अच्छे क्यों न हो, लेकिन डिलीवरी का नाम सुनते ही हर किसी के हाथ-पैर सुन्न पड़ जाते हैं। ऐसा होना लाजमी भी है। शोधकर्ताओं की मानें तो लेबर के समय होने वाला दर्द बीस हड्डियों के एक साथ टूटने के समान होता है।
ऐसे में डिलीवरी और लेबर के लिए गर्भवतियों को खुद को तैयार करने की जरूरत होती है। यही वजह है मैं सुनिता इस लेख में कुछ ऐसे टिप्स साझा कर रही हूं, जिनसे मैंने खुद को डिलीवरी के लिए तैयार किया था।
डिलीवरी और लेबर के लिए गर्भवती को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से तैयार होने की जरूरत होती है। हालांकि, आप डिलीवरी के दौरान होने वाली हर संभावित परिस्थिति के लिए खुद को तैयार नहीं कर सकती हैं। लेकिन, कुछ बातों का ध्यान रखते हुए यह प्रक्रिया आपके लिए थोड़ा आसान हो सकती है। नीचे इससे संबंधित कुछ टिप्स साझा कर रहे हैं (Tips To Prepare For Childbirth in Hindi):
गर्भवती महिलाओं को लेबर से पहले इसके बारे में अच्छे से जानकारी जुटा लेनी चाहिए। उन्हें लेबर के तीनों चरणों के बारे में मालूम होना चाहिए। हां, हर महिला का शरीर अलग होता है और सभी में इन चरणों की अवधि भिन्न हो सकती है। लेकिन यह तय है कि आप इस प्रक्रिया के दौरान तीनों चरणों का अनुभव करेंगी।
गर्भावस्था के दौरान शुरुआत से ही महिलाओं को एक्टिव रहना चाहिए। इसके लिए वे प्रेगनेंसी फिटनेस ट्रेनर या प्रेग्नेंसी योग इंस्ट्रक्टर की देखरेख में नियमित रूप से एक्सरसाइज कर सकती हैं। इससे गर्भाशय ग्रीवा के फैलाव में मदद होती है।
गर्भावस्था में नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से डिलीवरी के समय इस्तेमाल में आने वाली मसल्स मजबूत होती हैं। इसके अलावा, इससे बेबी को जन्म देने के बाद मसल्स में होने वाले दर्द से भी बचाव हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान कई बार महिलाएं अपने स्वास्थ्य और बच्चे की चिंता करने लगती है, जिससे कई बार उन्हें स्ट्रेस हो जाता है। यह आपकी जिंदगी के अनमोल पल में से एक है। ऐसे समय में खुद को स्ट्रेस से दूर रखें। इससे नींद खराब होने के साथ सिरदर्द की समस्या हो सकती है।
इससे गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास भी प्रभावित हो सकता है। शोधकर्ताओं की मानें तो प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेस लेने से कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। कई बार गर्भपात की स्थिति बन सकती है। इसलिए बच्चे और खुद को हेल्दी रखने के लिए स्ट्रेस को अपने पास भी नहीं फटकने दें।
डिलीवरी के लिए पीठ के बल लेट कर पोजीशन में बच्चे को जन्म देना ट्रेडिशनल पोजीशन में से एक है। इससे पेल्विक नर्व्स पर दबाव पढ़ता है, जिससे लेबर पेन बढ़ता है। लेकिन, आप चाहें तो अपने आराम के अनुसार लेबर पोजीशन का चुनाव कर सकती हैं।
जैसे करवट के बल लेटना, स्टेंडिंग या वॉकिंग, इन पोजीशन्स में बच्चा बर्थ कैनाल से आसानी से बाहर आ सकता है। डिलीवरी का समय जब निकट आने लगे, तो इन पोजीशन्स का आप पहले से अभ्यास करती रहें।
कई अस्पताल बर्थिंग क्लासेज देते हैं। आप ड्यू डेट से कुछ महीनों पर इसमें एडमिसन ले सकते हैं। इसमें लेबर की अलग-अलग प्रक्रिया व साइंस ऑफ लेबर के बारे में जानकारी दी जाती है।
साथ ही लेबर की तीनों स्टेज और लेबर पेन को कंट्रोल करने के कुछ तरीकों के बारे में बताएंगे। इन क्लासेज को उनके साथ जॉइन करें जो डिलीवरी के समय आपके पास मौजूद होंगे जैसे पति, बहन आदि।
ड्यू डेट के दौरान आपकी डाइट कैसी हो, इसके बारे में अपने डॉक्टर से पूछें। डॉक्टर डिलीवरी के वक्त आपकी ताकत बनी रहे, इसके लिए लाइट खाना खाने की सलाह देंगे। डिलीवरी से पहले ऑयली, फ्राइड, भारी खाना खाने से परहेज करना चाहिए। साथ ही खाने के पॉर्शन का ध्यान दें।
अधिक मात्रा में खाना खाने से बचें। ऐसे समय में सेब, चिकन सूप, वेजिटेबल सूप, बिस्कुट, चाय आदि का सेवन किया जा सकता है। सिजेरियन डिलीवरी के केस में डॉक्टर सिर्फ तरल पदार्थ लेने की सलाह दे सकते हैं।
यह तो आप जान ही चुके हैं कि डिलीवरी से पहले मां को किसी तरह का स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए। यदि आपके मन में लेबर और डिलीवरी को लेकर किसी भी तरह का कोई डर या सवाल है, तो ड्यू डेट से कुछ दिन पहले डॉक्टर से खुलकर बात करें। इससे डॉक्टर आपके डर को दूर करने का प्रयास करेंगे।
तो ये कुछ ऐसे टिप्स थे, जो गर्भवती महिलाओं को लेबर और डिलीवरी के लिए तैयार करने में मदद करते हैं। उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आपके सारे सवाल दूर हो गए होंगे। इसी तरह की जानकारी हासिल करने के लिए आप हमारे अन्य लेख भी पढ़ सकते हैं। आपको हैप्पी प्रेगनेंसी!
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