प्रस्तुतकर्ता
Sunita Regmi
Pregnancy
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अपूर्ण गर्भपात उसे कहते हैं जब गर्भपात पूरी तरह से नहीं होता। आसान शब्दों में कहें, तो गर्भपात के बाद भी गर्भाशय में गर्भ का कोई अंश का बच जाना। यह सर्जिकल एबॉर्शन व मेडिकेशन एबॉर्शन दोनों में हो सकता है।
लेख में इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यहां अपूर्ण गर्भपात के लक्षण (अधूरे गर्भपात के लक्षण), कारण व इलाज से संबंधित पूरी जानकारी मैं खुद के अनुभव और डॉक्टर द्वारा की गई बातचीत के आधार पर दे रही हूँ।
यूं तो इनकम्प्लीट एबॉर्शन यानी अपूर्ण गर्भपात का जोखिम कम होता है, लेकिन एबॉर्शन पिल लेने से अपूर्ण गर्भपात (अधूरा गर्भपात) की आशंका बढ़ जाती है। कई बार सर्जिकल एबॉर्शन में भी अपूर्ण गर्भपात की स्थिति हो सकती है। लेख में आगे अपूर्ण गर्भपात के लक्षण (अधूरा गर्भपात के लक्षण) बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
गर्भपात पूरी तरह से हुआ है, नीचे इससे जुड़े लक्षण दे रहे हैं:
अपूर्ण गर्भपात (अधूरा गर्भपात) के लक्षण तो आप जान ही चुके हैं। अब मन में सवाल होगा कि अपूर्ण गर्भपात होने का क्या कारण है। डॉक्टर बताते हैं कि असल वजह अज्ञात है, लेकिन ज्यादातर मामलों में क्रोमोसोमल एब्नार्मेलिटिज को जिम्मेदार माना जाता है।
इसके इलाज के लिए मेडिकल व सर्जिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध है। इसमें कॉम्प्लिकेशंस की संभावना बहुत कम है, लेकिन कई बार सेप्सिस से लेकर हेमोग्रापिक शोक, यूट्रीन रपचर जैसी गंभीर स्थिति हो सकती है।
लेख में ऊपर अधूरे गर्भपात के लक्षण बताए हैं। यदि एबॉर्शन के बाद अधिक रक्तस्राव, बुखार जैसे लक्षण नजर आते हैं, तो इसे गंभीरता से लें और तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। डॉक्टर इसका निदान करने के लिए अल्ट्रासाउंड कराते हैं, जिसमें यह स्पष्ट होता है कि अधूरा गर्भपात हुआ है या पूरा गर्भपात हुआ है। उसके बाद डॉक्टर अधूरा गर्भपात का इलाज शुरू करते हैं।
अधूरे गर्भपात का तुरंत इलाज होना बहुत जरूरी है, नहीं तो यह जटिलताएं होती हैं। कुछ मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है। ऐसे समय में खुद से या मेडिकल स्टोर से दवा लेने की गलती न करें। इनकम्प्लीट एबॉर्शन से इंफेक्शन, इंटरनल डैमेज और सीरियस प्रॉब्ल्म्स होने की संभावना अधिक होती है।
अपूर्ण गर्भपात के उपचार (अधूरा गर्भपात का इलाज) करने के लिए डॉक्टर शुरुआत में हार्मोनल दवाओं का सेवन करने के लिए कह सकते हैं। कई बार डॉक्टर को महिला के गर्भाशय से गर्भ का बचा हुआ अंश निकालने के लिए सर्जरी करनी पड़ती है। इसके लिए गर्भाशय से वैक्यूम एस्पिरेशन (vacuum aspiration) की मदद से गर्भ के बचे हुए हिस्से को बाहर निकाला जाता है। इसके बाद इंफेक्शन बढ़े न, इसके लिए एंटीबायोटिक्स लिखकर देते हैं।
अपूर्ण गर्भपात की दवा के तौर पर डॉक्टर कुछ हार्मोनल व एंटीबायोटिक्स लेने के लिए कहेंगे। कई महिलाएं इंटरनेट से जानकारी जुटा कर डॉक्टर की सलाह के बिना अपूर्ण गर्भपात की दवा का सेवन करने लगती हैं। ऐसा करना उनकी जान को खतरे में डाल सकता है। हमेशा डॉक्टर की देखरेख में ही दवा का सेवन करें।
यदि आप कंसीव करने के बाद बार-बार अपना बच्चा खो देती हैं, तो अगली बार कंसीव करने से पहले आपको पूर्ण इलाज कराने की जरूरत है। इसके लिए एक अच्छे फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से मिलें।
फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट जरूरी टेस्ट कर बार-बार हो रहे मिसकैरेज के पीछे की असल परेशानी क्या है, यह पता लगाएंगे। इसके लिए डॉक्टर हार्मोन व पोषक तत्वों की जांच करेंगे। महिला जब कंसीव करती है, तो उसके शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होनी चाहिए। निदान के लिए डॉक्टर द्वारा लिखे गए टेस्ट के बाद वे आपको जो परेशानी है उसके लिए दवा देंगे।
एक्सपर्टस की मानें तो यदि कोई महिला बार-बार मिसकैरेज से जूझ रही है, तो वह दोबारा बच्चे के लिए कोशिश करने से पहले डॉक्टर से पूरा इलाज करवा लें। पहले परेशानी को दूर करें और फिर कंसीव करने का प्लान करें।
कई दफा पुरुष के शुक्राणुओं की गुणवत्ता की कमी के कारण महिला में बार-बार गर्भ के न ठहरने की दिक्कत होती है। ऐसे में डॉक्टर आपके पार्टनर का सीमन एनालिसिस करेंगे। कई बार महिला की ओवरी कमजोर होने के कारण महिला कंसीव तो कर लेती है, लेकिन बच्चा ठहर नहीं पाता। ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर आईवीएफ करने की सलाह देते हैं।
लेख में आपने अपूर्ण गर्भपात के बारे में हर एक छोटी से बड़ी बात के बारे में जाना। हम उम्मीद करते हैं इस मुद्दे को लेकर आपके मन में अब कोई संशय नहीं होगा। हमेशा अपूर्ण गर्भपात की दवा का सेवन डॉक्टर की देखरेख में ही करें। यदि इससे संबंधित अभी भी आपका कोई सवाल है, तो आप इसे नीचे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।
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