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प्रेगनेंसी में थायराइड है तो क्या करें? | Thyroid During Pregnancy in Hindi

प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले महिला के कई सारे टेस्ट किए जाते हैं। इनमें एक नाम थायराइड का शामिल है।गर्भधारण करने से पहले व गर्भधारण करने के बाद महिला का थायराइड का स्तर संतुलित होना आवश्यक है। इससे माँ और शिशु दोनों का स्वास्थ्य जुड़ा होता है। हम आगे बताएंगे प्रेगनेंसी में थायराइड (Thyroid in pregnancy in Hindi) से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

लेख को शुरू करने से पहले जानते हैं कि थायराइड क्या है।

थायराइड क्या है? | What is Thyroid in Hindi

थायराइड हमारी गर्दन में तितली के आकार की एक ग्रंथि है, जो दो हार्मोंस को रिलीज करती है। इन हार्मोंस को टी3 और टी4 के नाम से जाना जाता है। ये दोनों हार्मोन शरीर में पाचन क्रिया, मेटाबॉलिज्म, हृदय गति, वजन, शरीर का तापमान, कोलेस्ट्रोल व मांसपेशियों को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। 

गायनाकोलॉजिस्ट एंड इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. श्वेता पटेल बताती हैं कि इन हार्मोन्स का स्तर असंतुलित होने पर थायराइड बीमारी होती है। यदि थायराइड ग्रंथि जरूरत से कम हॉर्मोन्स का निर्माण करती है, तो इसे हाइपोथाइरॉयडिज्म कहा जाता है और जब जरूरत से ज्यादा हॉर्मोन्स का निर्माण होता है, तो इस स्थिति को हाइपरथाइरॉयडिज्म कहते हैं।

आगे डॉक्टर श्वेता बताती हैं कि थायराइड इन दिनों काफी आम हो गया है। बहुत लोग इसे गंभीर बीमारी मानते हैं, लेकिन सही इलाज और समय-समय पर जांच कराने से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है।

प्रेग्नेंसी में थायराइड हार्मोंस का क्या रोल होता है? (Role of Thyroid Hormones During Pregnancy in Hindi)

प्रेग्नेंसी में थायराइड (Thyroid in pregnancy in Hindi) हार्मोन की क्या भूमिका होती है, आगे आसान शब्दों में समझा रहे हैं -

थायराइड हार्मोन के लिए बच्चा माँ पर निर्भर रहता है

प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही के दौरान भ्रूण के विकास के लिए थायराइड हार्मोन्स बहुत जरूरी होते हैं, जो उन्हें प्लेसेंटा के माध्यम से मिलते हैं। शिशु में मस्तिष्‍क और तंत्रिका तंत्र का विकास इन्हीं हार्मोन्स पर निर्भर करता है। 

करीबन 12 हफ्ते के बाद शिशु की थायराइड ग्रंथि तैयार हो जाती है, लेकिन यह 18 से 20वें सप्ताह में जाकर ठीक तरह के थायराइड हार्मोन का उत्पादन शुरू करती है। तब तक बच्चा थायराइड हार्मोन के लिए माँ पर निर्भर रहता है।

जटिलताओं को जन्म दे सकता है

इसके अलावा, कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले थायराइड की समस्या होती है, तो कुछ को प्रेगनेंसी के दौरान हो जाती है। प्रेगनेंसी में इस्ट्रोजन और एचसीजी हार्मोंस का निर्माण होता है, जिसके कारण थायराइड का स्तर बढ़ता है। अगर यह स्तर थोड़ा बहुत बड़ा है, तो यह कोई गंभीर परेशानी नहीं है। लेकिन कुछ महिलाओं में इसके चलते थायराइड की परेशानी हो सकती है।

हालांकि, अगर किसी को प्रेग्नेंसी से पहले से हाइपरथायराइड या हाइपोथायराइड की समस्या है, तो उन्हें पहली तिमाही के दौरान डॉक्टर की कड़ी निगरानी में रहने की जरूरत होती है। यदि प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड का ठीक से इलाज न किया जाए, तो इससे समय से पहले जन्म, प्रीक्लेम्पसिया (हाई ब्लड प्रेशर), मिसकैरेज, जन्म के समय शिशु का वजन कम होना आदि परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान थायराइड का उचित इलाज बहुत आवश्यक है।

प्रेग्नेंसी में थायराइड के लक्षण | Symptoms of Thyroid While Pregnant in Hindi

जैसा कि आपने लेख में ऊपर जाना कि थायराइड दो तरह के होते हैं। हाइपरथायराइड या हाइपोथायराइड। नीचे दोनों के अलग-अलग लक्षण बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

हाइपरथायराइड के लक्षण | Symptoms of Hyperthyroidism During Pregnancy

हाइपरथायराइड के लक्षण काफी हद तक प्रेग्नेंसी के लक्षणों जैसे होते हैं। जैसें हार्ट रेट बढ़ना, गर्मी बर्दाश्त न होना, थकान महसूस होना आदि। नीचे इसके कुछ अन्य लक्षण बता रहे हैं:

  • दिल की धड़कन का अनियमित होना
  • बहुत ज्यादा घबराहट महसूस होना
  • गंभीर मतली व उल्टी की शिकायत होना
  • हाथ मिलाते समय हाथों में कंपन होना
  • नींद न आना
  • ज्यादा पसीना आना
  • प्रेग्नेंसी की अपेक्षा वजन का बहुत ज्यादा या बहुत कम होन

हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण | Symptoms of Hypothyroidism During Pregnancy

हाइपोथायराइडिज्म में जरूरत से ज्यादा थकान और वजन बढ़ सकता है। इसे भी महिलाएं प्रेग्नेंसी के लक्षण समझ सकती हैं। नीचे इसके कुछ अन्य लक्षण बता रहे हैं:

  • कब्ज
  • किसी चीज में ध्यान न लगा पाना
  • याद्दाशत का कमजोर होना
  • ठंड ज्यादा लगना
  • मांसपेशियों में दर्द होना

प्रेग्नेंसी में थायराइड के कारण | Causes of Thyroid While Pregnant in Hindi

हाइपरथायराइड या हाइपोथायराइड दोनों के कारण अलग-अलग होते है। नीचे इसके बारे में विस्तार से जानें।

हाइपरथायराइड के कारण | Causes of Hyperthyroidism During Pregnancy

  • ग्रेव डिजीज (Graves disease)- प्रेग्नेंसी में हाइपरथायराइड होने का सबसे मुख्य कारण है ग्रेव डिजीज। यह एक ऑटो इम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर टीएसआई यानी थायराइड स्टिमुलेटिंग इम्यूनोग्लोबिन नामक एंटीबॉडीज बनाती है। इस स्थिति में थायराइड हार्मोंस का जरूरत से ज्यादा निर्माण होता है।

  • थायराइड ग्रंथि न होना- यदि थायराइड ग्रंथि को रिमूव कराने के लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी या सर्जरी करावाई है, तो भी शरीर टीएसआई एंटीबॉडी बना सकता है। अगर शरीर में इसका स्तर काफी बढ़ जाता है, तो टीएसआई रक्त के माध्यम से भ्रूण तक जाएगा। इससे भ्रूण का थायराइड जरूरत से ज्यादा हार्मोन का उत्पादन शुरू कर सकता है।

हाइपोथायराइड के कारण | Causes of Hypothyroidism During Pregnancy

  • हाशिमोटो थायराइडिटिस (Hashimoto’s thyroiditis) - गर्भावस्था के दौरान हाइपोथायराइड की समस्या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर हाशिमोटो थायराइडिटिस के कारण हो सकती है। 100 में से 2 या 3 गर्भवतियों में यह परेशानी होती है। इस स्थिति में इम्यून सिस्टम थायराइड ग्रंथि की कोशिकाओं पर हमला करता है, जिससे थायराइड ग्रंथि प्रभावित होती है और पर्याप्त कोशिकाओं और एंजाइम के बिना शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए थायराइड हार्मोन बनाने लगती है।

प्रेग्नेंसी में थायराइड का निदान कैसे किया जाता है? | Diagnosis of Thyroid in Pregnancy in Hindi

थायराइड के किसी भी प्रकार की बात करें हाइपरथायराइड या हाइपोथायराइड, दोनों के बारे में डॉक्टर गर्भवती में थायराइड के लक्षणों की पहचान कर फिजिकल टेस्ट कर सकते हैं। इसके बाद वह कुछ ब्लड टेस्ट लिख सकते हैं। बल्ड टेस्ट के माध्यम से वह शरीर में टीएसएच की जांच कराई जाती है। इसके अलावा डॉक्टर  टी4 का स्तर पता लगा सकते। हाइपरथायराइड के के में टी 3 के स्तर का पता लगाया जाता है। 

प्रेग्नेंसी में टीसीएच (थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) का सामान्य स्तर कितना होना चाहिए, नीचे तालिका के माध्यम से समझा रहे हैं:

टीएसएच (MIU/L)कमअधिक
पहली तिमाही0.12.5
दूसरी तिमाही0.23.0
तीसरी तिमाही0.33.0

गर्भावस्था में थायराइड का उपचार | Treatment of Thyroid in Pregnancy in Hindi

लेख में आगे थायराइड के दोनों प्रकार का इलाज कैसे किया जाता है, इसके बारे में जानेंगे, जो  कुछ इस प्रकार है:

हाइपरथायराइड के उपचार | Treatment of Hyperthyroidism During Pregnancy in Hindi

सबसे पहले प्रेग्नेंसी में हाइपरथायरायडिज्म के उपचार से जुड़ी जानकारी पर नजर डालते हैं:

एंटीथायराइड दवा - अगर गर्भावती को थोड़ी बहुत हाइपरथायरायडिज्म की समस्या, तो इसके लिए इलाज नहीं किया जाता। लेकिन हां, अगर समस्या गंभीर है, तो डॉक्टर एंटीथायराइड दवा लिख सकते हैं। इससे थायराइड हार्मोन्स के उत्पादन को ब्लॉक किया जा सकता है। 

थायराइड ग्रंथि हटा सकते हैं - दुर्लभ मामलों में हो सकता है कि महिला को दवा से किसी तरह का सुधार न हो या फिर साइड इफेक्ट्स हो रहे हो, तो ऐसे में डॉक्टर को थायराइड ग्रंथि को हटाने के लिए सर्जरी करने की जरूरत हो सकती है। अगर थायराइड दवा का सेवन करने से निम्न लक्षण नजर आएं, तो गर्भवती को बिना देरी करे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:

  • त्वचा का पीला पड़ना
  • गले में लगातार सूजन रहना
  • बुखार होना
  • पेट में हल्का-हल्का दर्द महसूस होना

हाइपोथायराइड के उपचार | Treatment of Hypothyroidism During Pregnancy in Hindi

प्रेगनेंसी में हाइपोथायराइिज्म का इलाज कैसे किया जाता है, अब यह जान लेते हैं:

हाइपरथायराइिज्म का इलाज लिवोथायरोक्सिन नामक सिंथेटिक हार्मोन के जरिए किया जाता है। यह दवा थायराइड ग्रंथि द्वारा बनाए जाने वाले टी4 हार्मोन की तरह होती है। यह दवा गर्भवती के शरीर में हार्मोन के स्तर को बढ़ाने व गर्भ में शिशु को सुरक्षित रखने के लिए दी जाती है।

डॉक्टर इस दवा के साथ हर चार से छह हफ्ते में थायराइड फंक्शन टेस्ट कर स्थिति मॉनिटर करेंगे। ध्यान रखें अपनी प्रीनेटल विटामिन की दवा के साथ थायराइड की दवा न लें। ये दवाएं शरीर में हार्मोन के अवशोषण को अवरुद्ध कर सकती हैं। प्रीनेटल विटामिन्स और थायराइड की दवा के बीच चार घंटे का गैप दें। सुबह खाली पेट थायराइड की दवा का सेवन करना बेहतर होगा। हालांकि, इसे लेकर डॉक्टर से कंसल्ट करें।

गर्भावस्था में थायराइड का इलाज न होने पर क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

गर्भावस्था में थायराइड का ट्रीटमेंट न कराने या समय पर न होने पर क्या समस्याएं हो सकती हैं, नीचे बिंदुवार बता रहे हैं:

  • हाई ब्लड प्रेशर
  • मिसकैरेज
  • एनीमिया
  • शिशु का मानसिक विकास न होना
  • जन्म के समय शिशु का वजन कम होना
  • समय से पहले डिलीवरी

प्रेगनेंसी में थायराइड से ग्रसित महिलाओं के लिए कुछ अन्य जानकारी

थायराइड से जूझ रही गर्भवती इलाज के साथ निम्न बातों का विशेष ख्याल रखें:

  • प्रेग्नेंसी में थायराइड (Thyroid in pregnancy in Hindi) की स्थिति में डॉक्टर द्वारा की दी गई दवाओं का समय पर सेवन करें। साथ ही निर्धारित डोज में खुद से कोई बदलाव न करें।
  • इसके साथ ही डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करें। रोजाना व्यायाम करें या टहलने जाएं।
  • योग प्रशिक्षक की देखरेख में योग जॉइन करें। नियमित रूप से योग करने से भी थायराइड स्टिम्युलेशन हार्मोन में सुधार हो सकता है (1)
  • गर्भावस्था में थायराइड होने पर डाइट से संबंधित जानकारी देते हुए डॉक्टर श्वेता बताती हैं कि गर्भावस्था में हाइपरथायराइिज्म है तो आयोडीन युक्त चीजों का सेवन करने से परहेज करें। 
  • वहीं, हाइपोथायराइिज्म से ग्रसित महिलाएं क्रुसिफेरस सब्जियां जैसे केल, पालक, ब्रोकली, फूलगोभी, पत्तागोभी और टरनिप। 
  • इसके अलावा, हाइपोथायराइिज्म में कम आयोडीन युक्त फूड लेने के लिए कहा जाता है। इसके लिए आहार में ओट्स, शहद, बकव्हीट, क्वीनोआ आदि को शामिल करना बेहतर विकल्प हो सकता है।
  • जंक फूड, शुगर फूड व प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाकर रखें। हालांकि, प्रेग्नेंसी में थायराइड होने पर क्या खाएं व क्या न खाएं इसके बारे में आपके डॉक्टर ज्यादा अच्छे से बता सकते हैं। डाइट से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर और डाइटिशियन की मदद से डाइट चार्ट तैयार कराना बेहतर होगा।

उम्मीद करते हैं इस लेख को पढ़ने के बाद आपको गर्भावस्था में थायराइड का ध्यान रखना कितना जरूरी है, यह अच्छे से समझ आ गया होगा। कुछ महिलाओं में यह समस्या गर्भावस्था के दौरान जन्म लेती है, लेकिन इसे लेकर घबराएं नहीं। सही इलाज से इससे बचाव किया जा सकता है। इसलिए, लेख में बताए गए लक्षणों के नजर आने पर बिना देरी करे चिकित्सक से परामर्श करें।

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